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आम की फसल में लगने वाली गंभीर बीमारी और उनका प्रभावी समाधान

आम की फसल में लगने वाली गंभीर बीमारी और उनका प्रभावी समाधान
पोस्ट -27 मई 2025 शेयर पोस्ट

आम की फसलों में लगने वाले रोग एवं उसके समाधान, जानें होने वाले गंभीर नुकसान से कैसे बचे

Diseases and management suggestions in mango crop : भारत न केवल आम की सबसे बड़ी खपत वाला देश है, बल्कि यह विश्व का सबसे बड़ा (लगभग 60%) आम उत्पादक देश भी है। देश के उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग एक तिहाई हिस्से में आम खेती की जाती है। सरकार कृषि वैज्ञानिकों और दुनियाभर से खासकर इजरायल की मदद से आम के बागवानों के हित में कई काम भी कर रही है, जिसके चलते प्रदेश में आम की उत्पादकता, उत्पाद की गुणवत्ता और निर्यात में वृद्धि भी हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल आम की फसल का साइज काफी अच्छा रहने का अनुमान है, जिससे फल की कमी की भरपाई हो सकती है। फसल इस समय परिपक्वता के करीब है। आम का साइज करीब 75 फीसद तक पहुंच चुका है। लगभग दो से तीन हफ्ते में इनकी आवक बाजार में शुरू हो जाएगी। ऐसे समय में फसल की गुणवत्ता बनी रहे, बाजार में उसके अच्छे भाव मिलें, इसके लिए उनकी देखरेख जरूरी है। अभी मौसम विभाग लगातार गर्मी बढ़ने का पूर्वानुमान बता रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ-साथ आम की फसल में लगने वाले कीट-रोग जैसे थ्रिप्स, मिलीबग, पुष्पक्रम मिज और ब्लॉसम ब्लाइट का प्रकोप भी बढ़ता जाता है। अगर शुरुआती स्टेज में इनका प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया तो इनकी संख्या इतनी बढ़ सकती है कि फिर इनकी रोकथाम करना कठिन हो जाएगा। इससे पूरी फसल नष्ट हो सकती है। इसी कारण समय रहते नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक है और इन बीमारियों से फसल की सुरक्षा के लिए बागवानों को विशेष रूप से सतर्क रहना होगा। ऐसे में हम बताएंगे कि आम की फसल में होने वाली गंभीर बीमारी और उनके नियंत्रण हेतु प्रभावी प्रबंधन के बारे में। इससे आप आम की फसलों की सुरक्षा कर पाएंगे और खेती को एक सफल व्यवसाय बना सकेंगे। 

ब्लॉसम ब्लाइट : आम के बागों में फूल आने के समय होने वाली एक गंभीर बीमारी (Blossom Blight: A serious disease that occurs during flowering in mango orchards)

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), रहमानखेड़ा, लखनऊ द्वारा जारी सलाह के मुताबिक, ब्लॉसम ब्लाइट आम के बागों में फूल निकलने की अवस्था के दौरान होने वाली एक गंभीर बीमारी है। यह फसल उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से फंगस (फफूंद) के कारण होता है। इसके प्रभाव से फूल और छोटे फल झड़ने लगते हैं। रोग से संक्रमित फूलों से फल बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अधिक नमी और बारिश ब्लॉसम ब्लाइट रोग के तेजी से फैलने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करती हैं, जिससे आम की फसल खतरे में पड़ जाती है। समय पर पहचान और नियंत्रण न होने पर यह फंगस रोग पूरे बाग को प्रभावित कर सकती है।

प्रभावी नियंत्रण उपाय (Effective control measures)

ऐसे समय में फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। समय-समय से अपने बागों की नियमित जांच-पड़ताल करनी चाहिए, जिससे समय रहते ब्लॉसम ब्लाइट रोग के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर प्रभावी नियंत्रण उपाए किए जा सके। इस रोग की रोकथाम के लिए फूल आने से पहले उचित फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव और बागों की साफ-सफाई बेहद जरूरी है। 

अगर पेड़ पर संक्रमित फूल दिखाई दें, तो आईसीएआर (CISH), रहमानखेड़ा, लखनऊ द्वारा जारी सलाह के अनुसार, कार्बेन्डाजिम 12 + मैंकोजेब 63 WP या ट्रिफ्लोक्सीस्ट्रोबिन + टेबुकोनाजोल (25+50प्रतिशत) का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर निर्धारित मात्रा में छिड़काव करें। इससे रोग को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। आम उत्पादक किसान समय पर इन निवारक उपायों को अपनाकर अपनी आम की फसल की सुरक्षा ब्लॉसम ब्लाइट से कर सकते हैं और अच्छा उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है। 

पुष्पक्रम मिज (Mango Blossom Midge) का प्रकोप और बचाव के उपाय (Infestation and prevention measures of Mango Blossom Midge)

आईसीएआर-सीआईएसएच, रहमानखेड़ा, लखनऊ के अनुसार, पुष्पक्रम मिज (Mango Blossom Midge) एक छोटा कीट है, जो आम के फूलों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। वर्तमान में यह आम के बागों में एक प्रमुख कीट बनकर उभर रहा है। पुष्पक्रम मिज कीट विशेष रूप से पुष्पक्रम (inflorescence) पर हमला करता है और फसल की उपज में भारी गिरावट ला सकता है। यह फूल निकलने की अवधि के दौरान सक्रिय होता है। पुष्पक्रम मिज के लार्वा (grub) फूलों के आधार (peduncle) में सुराख बनाकर अंदर घुसते हैं। संक्रमित पुष्पक्रम पर छोटे काले धब्बे और उनके केंद्र में छोटे छेद दिखाई देते हैं, जिससे उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है और पुष्पक्रम धीरे-धीरे सूखने और झड़ने लगते हैं। 

हालिया रिपोर्टों के मुताबिक, कई आम के बागों में पुष्पक्रम मिज सक्रिय हो चुका है और फूलों को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में बागवानों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), रहमानखेड़ा, लखनऊ द्वारा किसानों को सलाह है कि वे अपने बागों की नियमित रूप से निगरानी करें। संक्रमण के शुरुआती संकेत मिलने पर नियंत्रण के प्रभावी उपाय अपनाएं। बागों की सफाई बनाए रखना, गिरी हुई पत्तियों और टहनियों को हटाना, नाइट्रोजन उर्वरकों के अधिक उपयोग से बचना जैसे प्रभावी उपाए इस कीट के प्रकोप को कम करने में मदद कर सकता है। इन उपायों से फूलों का स्वस्थ विकास और अधिक फलधारण सुनिश्चित किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण (Chemical control)

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पुष्पक्रम मिज (Mango Blossom Midge) नियंत्रित करने के लिए  पुष्पन पूर्व अवस्था में इमिडाक्लोप्रिड 17.8SL @ 0.3 मिली या थायोमेथोक्साम 25WG @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में निर्धारित मात्रा में छिड़काव करें। साथ ही, स्टिकर (1 मिली/लीटर पानी) के उपयोग से छिड़काव की प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है। जरूरत पड़ने पर 10 से 12 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं। इसके अलावा, आम के बागों में कीट निगरानी के लिए पीले चिपचिपे ट्रैप (Yellow Sticky Traps) लगाएं।

आम के बागों में मिलीबग (Mealybug) की समस्या और समाधान (Problem and solution of mealybug in mango orchards)

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), रहमानखेड़ा, लखनऊ की सलाह अनुसार, मिलीबग (Mealybug) आम के बागों में लगने वाला एक प्रमुख कीट है। यह पौधों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देता है। आम के बागों के लिए मिलीबग कीट एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह कीट आमतौर पर जनवरी से मई तक ज्यादा सक्रिय होता है। यदि समय रहते नियंत्रण के उपाए न किया जाए, तो यह फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

संक्रमित तनों, शाखाओं एवं फूलों पर सफेद, रूई जैसे पदार्थ दिखाई देना, पत्तियां और फूल चिपचिपे हो जाना (हनीड्यू स्राव के कारण), पुष्पक्रम और छोटे फल सूखने लगते हैं, फलों पर काली फफूंद (सोती मोल्ड) का विकास दिखने लगते हैं। यदि मिलीबग का प्रकोप पहले से ही फूलों और नई पत्तियों पर पहुंच चुका है, तो तत्काल उपाय करना आवश्यक है। बागों की स्वच्छता के लिए नियमित साफ-सफाई बनाए रखें, पौधों के नीचे उगने वाले खरपतवारों (Weeds) को हटाना, संक्रमित शाखाओं को छांटकर नष्ट करें और नाइट्रोजन उर्वरकों का अधिक उपयोग न करना मिलीबग के प्रकोप को कम करने में सहायक हो सकता है। इन नियंत्रित उपायों को अपनाकर किसान अपनी आम की फसल को इस कीट से बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं। 

प्रकोप के लिए रासायिनक नियंत्रण (Chemical control for outbreaks)

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH) के अनुसार, अगर निम्फ पहले से ही आम के पेड़ों पर चढ़ चुके हैं, तो स्पाइरोटेट्रैमेट 11.01 प्रतिशत + इमिडाक्लोप्रिड 11.01 प्रतिशत SC का प्रति लीटर पानी में निर्धारित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, पेड़ों के तनों के चारों ओर कीटनाशक धूल डालने से उन निम्फों को मारा जा सकता है, जो पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, जैविक नियंत्रण के लिए नीम तेल 5 प्रतिशत या नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करें। क्रिप्टोलेमस मोंट्रोजिएरी जैसे परभक्षी कीट का उपयोग करें, जो मिलीबग को खाता है।

आम की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप और उसके नियंत्रण के उपाय (Thrips infestation in mango crop and its control measures)

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), रहमानखेड़ा, लखनऊ द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि फिलहाल आम के बागों में थ्रिप्स का प्रकोप देखा गया है। थ्रिप्स बहुत छोटे, पतले और भूरे या काले रंग के कीट होते हैं जो आम की पत्तियों, फूलों और नव विकसित फलों का रस चूसते हैं। आम की फसल में इसका प्रकोप विशेषकर फरवरी से अप्रैल के बीच अधिक होता है, जब पौधों में नई वृद्धि और फूल निकल रहे होते हैं। संक्रमित पत्तियों पर धब्बे, मुड़ने की समस्या और फल विकास में बाधा उत्पन्न होती है। अगर समय पर इनका नियंत्रण न किया जाए, तो यह कीट फूलों और फलों की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता हैं।

इस कीट के प्रकोप को रोकने के लिए किसानों को सतर्क रहना चाहिए। अपने बागों की नियमित रूप से जांच करनी चाहिए। प्रकोप का प्रारंभिक अवस्था में पहचान और नियंत्रण सबसे प्रभावी होता है। आईसीएआर- सीआईएसएच द्वारा सुझाए गए थ्रिप्स नियंत्रण उपायों में इमिडाक्लोप्रिड 17.8SL, टोल्फेनपाय्राड 15 प्रतिशत EC या थायोमेथोक्साम 25WG का प्रति लीटर पानी में निर्धारित मात्रा में छिड़काव करना शामिल है। रासायनिक नियंत्रण के साथ, बाग में सफाई बनाए रखना भी आवश्यक है। खरपतवारों, वैकल्पिक पोषक पौधों को हटाने और झड़े हुए फूल, पत्तियों के अवशेषों को नष्ट करने से थ्रिप्स की आबादी को कम किया जा सकता है। किसान इन उपायों को अपनाकर अपने आम के बागों को थ्रिप्स कीट से बचा सकते हैं और बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

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