धान की खेती : धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है, जिसकी खेती पूर्णरूप से मानसून पर निर्भर होती है। आमतौर पर, धान की बुवाई जून से जुलाई के महीने के बीच यानी मानूसन की बारिश शुरू होने पर की जाती है। अब खरीफ का सीजन आ चुका है। किसान भाई धान की बुवाई के लिए नर्सरी तैयार कर रहे हैं। लगभग 20 से 22 दिन में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे। देश में आमतौर पर, धान की रोपाई हाथ से की जाती है। हाथ से धान रोपाई करने में श्रम और समय की अधिक आवश्यकता होती है। इससे मजदूरी भी तुलनात्मक रूप से अधिक हो जाती है। वर्तमान में श्रमिकों की कमी और मौसम के दौरान इनकी कार्य दक्षता में कमी से रोपाई में देरी होती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होती है। इसे देखते हुए कम लागत पर बेहतर और तेजी से रोपाई कार्य करने के लिए किसान “पैडी ट्रांसप्लांटर” (धान रोपण यंत्र) मशीन के इस्तेमाल से धान की रोपाई करते हैं। इसकी सहायता से बिना मजदूरों की मदद से कम समय और लागत में धान की रोपाई होती है। पैडी ट्रांसप्लांटर एक विदेशी तकनीक मशीन है। इस मशीन की मदद से किसान भाई केवल 100 रुपए खर्च पर एक से डेढ़ घंटे में धान की रोपाई कर सकते हैं। यह विदेशी मशीन धान की खेती में रोपाई लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने में किसानों के लिए मददगार हो रही है।
वर्तमान में मजदूरों की कमी और मजदूरी लागत बढ़ने से कई क्षेत्र के किसान धीरे धीरे इस विदेशी मशीन “पैडी ट्रांसप्लांटर” को अपनाने में लगे हैं। बिहार राज्य के रोहतास जिले में किसान लालबाबू सिंह पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से बिना मजदूरों की मदद के, कम समय और कम खर्च में धान की रोपाई करते हैं। उन्होंने धान की खेती में इस मशीन का इस्तेमाल कई साल पहले ही शुरू कर दिया था। पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन (Paddy Transplanter Machine) ने धान की खेती को पहले से काफी आसान बना दिया है। किसान इससे कम लागत में अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इससे समय, मेहनत और पैसा तीनों की बचत होती है। अगर आप भी धान की खेती करते हैं, तो इस कृषि यंत्र का उपयोग रोपाई के लिए जरूर करें यह आपकी खेती को आधुनिक और लाभदायक बनाएगी।
उन्होंने बताया कि पहले यह मशीन केवल विदेशों में इस्तेमाल होती थी, लेकिन अब पिछले कुछ सालों से भारत में भी इस मशीन का इस्तेमाल होने लगा है। भारतीय किसानों के लिए यह मशीन बाजार में उपलब्ध है। पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन दो रेंज में मिलती हैं। इसमें छोटी पैडी ट्रांसप्लांटर की कीमत 3 लाख रुपए, बड़े पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन की कीमत 13 लाख रुपए के आसपास हो सकती है। धान रोपाई की इस उन्नत मशीन को अपनाने के लिए राज्य की सरकारें अलग-अलग कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत किसानों को भारी सब्सिडी देती है। इससे इस मशीन के लिए निवेश करना आसान हो जाता है। धान की खेती करने वाले किसान योजना का लाभ उठाते हुए इसे अनुदानित कीमत पर खरीद सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान अपने राज्य के नजदीक कृषि विभाग या विभागीय पोर्टल पर संपर्क करें।
पैडी ट्रांसप्लास्टर मशीन से धान की रोपाई लागत में कमी आती है, मजदूरों पर निर्भरता कम हो जाती है, कम समय अवधि में पौध रोपाई कतार से कतार की दूरी पर एक सामान करती है। यह मशीन 1 लीटर पेट्रोल प्रति बीघा घंटे से खेत में धान की रोपाई मात्र एक से डेढ़ घंटे में कर देती है। मतलब रोपाई में केवल किसान की 100 रुपए लागत आती है। पैडी ट्रांसप्लांटर से रोपाई करने में जहां कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, वहीं इससे बीज की बचत एवं निंदाई, गुड़ाई एवं कटाई आदि कार्य भी आसानी से किए जा सकते हैं। इससे लागत काफी कम हो जाती है। इस मशीन का उपयोग करने से प्रति हेक्टेयर कार्य घंटे में 75 से 80 प्रतिशत श्रम की बचत होती है और हाथ से रोपाई की तुलना में 50 प्रतिशत लागत की कमी होती है। यांत्रिक धान रोपाई से पौध एक निश्चित स्थान पर लगते हैं जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होती है तथा उपज भी उचित मात्रा में प्राप्त होती है।
पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन में पेट्रोल इंजन लगा होता है। यह 4- 8 कतारों में धान की रोपाई करती है, जिसमें कतार से कतार बीज की दूरी 238 एमएम होती है और पौध से पौध की दूरी 100 से 120 एमएम के आस-पास होती है। पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से धान की रोपाई बहुत आसान है। इसको चलाने के लिए एक प्रचालक एवं दो श्रमिकों की आवश्यकता होती है। पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई के लिए पहले पौध तैयार करने के लिए नर्सरी लगानी होती है। तैयार नर्सरी को यह मशीन अपने आप खेत में रोपती है। यह मशीन एक साथ चार कतारों में पौध लगाती है, जिससे पौधों को सही दूरी और जगह मिलती है, जो फसल की अच्छी बढ़त के लिए जरूरी है। पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से मैट टाइप नर्सरी तैयार करने से उत्पादन में भी 10-12 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होती है।
पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई करने के लिए धान की नर्सरी तैयार करना बहुत ही सरल है। इसके लिए सबसे पहले मेट टाईप नर्सरी तैयार करना होता है। पॉलीथिन के ऊपर फ्रेम की सहायता से गीली मिट्टी डालकर बराबर मात्रा में अंकुरित धान को छिड़काव करें। इसके लिए प्रति एकड़ लगभग 7-8 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी 18 से 21 दिन में मशीन से रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। मशीन रोपाई के लिए खेत की उथली मताई रोपाई के 4-5 दिन पहले करनी होती है। प्रति एकड़ धान की मशीन से रोपाई करने के लिए केवल 2-3 घंटे का समय लगता है और 3 से 4 मजदूर की आवश्यकता होती है, जबकि परंपरागत विधि से धान की रोपाई करने में 15 से 20 मजदूर लगते हैं, जिसमें लागत भी ज्यादा होती है।
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