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मक्का किसानों को मिल रही सरकार से ड्रायर और पॉपकॉर्न मशीन पर सब्सिडी

मक्का किसानों को मिल रही सरकार से ड्रायर और पॉपकॉर्न मशीन पर सब्सिडी
पोस्ट -26 अगस्त 2024 शेयर पोस्ट

किसानों के लिए बड़ी खबर :  ड्रायर और पॉपकॉर्न मशीन के लिए सब्सिडी दे रही सरकार

Maize Production : मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। साथ ही इन बीजों की खरीद पर किसानों को अनुदान का लाभ भी प्रदान किया जाता है, ताकि किसान मक्के की खेती कर पैदावार बढ़ा सके। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi government) ने प्रदेश में मक्के का उत्पादन वर्ष 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। सरकार तय अवधि तक इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ सरकार ने मक्का का रकबा बढ़ाने एवं प्रति हेक्टेयर उत्पादन दोगुना करने के लिए "त्वरित मक्का विकास योजना" शुरू की है।  मक्का किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार इस योजना के तहत किसानों को ड्रायर और पॉपकॉर्न मशीन पर सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। 

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तीसरी प्रमुख खाद्यान्न फसल (Third major food crop)

वर्तमान में प्रदेश में लगभग 8.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्के की खेती होती है, जिससे कुल पैदावार करीब 21.16 लाख मीट्रिक टन होता है। प्रदेश की योगी सरकार की सहायता भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) से संबद्ध भारतीय मक्का संस्थान भी कर रहा है। धान और गेहूं के बाद मक्का खाद्यान्न की तीसरी प्रमुख फसल है। उपज और रकबा बढ़ाकर 2027 तक इसकी उपज दोगुना करने के लक्ष्य के पीछे मक्के का बहुपयोगी होना है। अब तो एथनॉल के रूप में भविष्य में इसकी संभावनाएं और बढ़ गई हैं। मक्के का उपयोग ग्रेन बेस्ड इथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों, कुक्कुट एवं पशुओं के पोषाहार, दवा, कास्मेटिक और एल्कोहल इंडस्ट्री में भी होता है। इसके अलावा मक्के के आटा, धोकला, बेबी कार्न और पॉपकार्न के रूप में तो ये खाया ही जाता है। किसी न किसी रूप में ये हर सूप का अनिवार्य हिस्सा है। ये सभी क्षेत्र संभावनाओं वाले हैं। 

मक्का को लाया गया एमएसपी दायरे में (Maize brought under MSP ambit)

तीनों फसल सीजन में मक्का की खेती की जा सकती है। यह सहफसली खेती के लिए भी अनुकूल है। बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की। बेहतर उपज की बात करें या सहफसली खेती या औद्योगिक प्रयोग की। हर मौसम (रबी, खरीफ एवं जायद) और जल-निकासी के प्रबंधन वाली हर तरह की भूमि में होने वाले मक्के का जवाब नहीं है। बहुपयोगी होने की वजह से आने वाले समय में मक्के की मांग भी बढ़ेगी। इस बढ़ी मांग का अधिकतम लाभ प्रदेश के किसानों को हो, इसके लिए सरकार मक्के की खेती के प्रति किसानों को लगातार जागरूक कर रही है। उनको खेती के उन्नत तौर तरीकों की जानकारी देने के साथ सीड रिप्लेसमेंट (बीज प्रतिस्थापन) की दर को भी बढ़ा रही है। मक्के की उपज के लिए किसानों को वाजिब दाम मिले। इसके लिए केंद्र सरकार पहले ही इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है। 

उपज बढाने की भरपूर संभावना (Great potential to increase yield)

मक्के में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेड, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल मिलता है। इस लिहाज से मक्का की खेती कुपोषण के खिलाफ जंग साबित हो सकती है। इन्हीं विशेषताओं के कारण से मक्के को अनाजों की रानी कहा गया है। विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के जरिये मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है। प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले तमिलनाडु की औसत उपज 59.39 क्विंटल है। देश के उपज का औसत 26 क्विंटल एवं उत्तर प्रदेश के उपज का औसत 2021-22 में 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। ऐसे में यहां उपज मक्के की उपज बढ़ाने की भरपूर संभावना है। 

किसानों को ड्रायर मशीन और पॉपकॉर्न मशीन पर अनुदान (Grant to farmers on dryer machine and popcorn machine)

विशेषज्ञों के अनुसार, मक्के की तैयार फसल में लगभग 30 प्रतिशत तक नमी होती है। यदि उत्पादक किसान या उत्पादन करने वाले इलाके में इसे सुखाने (ड्रायर) का उचित बंदोबस्त न हो, तो इसमें फंगस लग जाता। योगी सरकार अनुदान पर ड्रायर मशीन उपलब्ध करा रही है। 15 लाख की लागत पर 12 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा। कोई भी किसान निजी रूप से या उत्पादक संगठन इस मशीन को खरीद सकता है।  इसी प्रकार पॉपकॉर्न मशीन पर भी 10 हजार का अनुदान देय है। इसी तरह  मक्के की बुवाई से लेकर प्रोसेसिंग संबंधित अन्य मशीनों पर भी अनुदान देय है।  

किसानों को उत्पादन के लिए प्रशिक्षण (Training to farmers for production)

उत्तर प्रदेश सरकार प्रगतिशील किसानों को उत्पादन की बेहतर टेक्निक जानने के लिए प्रशिक्षण के लिए भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान भी भेजती है। किसानों को कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उन्नत प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिए। डंकल डबल, कंचन 25, डीकेएस 9108, डीएचएम 117, एचआरएम-1, एनके 6240, पिनैवला, 900 एम और गोल्ड आदि प्रजातियों की उत्पादकता अच्छी बताई जाती है। वैसे तो मक्का 80-120 दिन में तैयार हो जाता है। पर, पॉपकार्न के लिए यह सिर्फ 60 दिन में ही तैयार हो जाता है।

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