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मानसून में दुधारू पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन कैसे बढ़ाएं?

मानसून में दुधारू पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन कैसे बढ़ाएं?
पोस्ट -13 जून 2025 शेयर पोस्ट

मानसून में पशुओं का रखें खास ध्यान, दूध उत्पादन में आएगी बढ़ोतरी।

हर पशुपालक चाहता है कि उसके दुधारू पशु ज्यादा से ज्यादा दूध दें और कभी भी बीमार नहीं पड़े। लेकिन हर साल कई बार ऐसे मौके आते हैं जब पशुओं में संक्रमण फैलने या मौसम में बदलाव के कारण दूध के उत्पादन में गिरावट आती है। जहां गर्मी के मौसम में गाय-भैंस का दूध कम हो जाता है वहीं मानसून सीजन भी पशुपालकों के कई चुनौतियां लेकर आता है। इस सीजन का शुरुआती महीना जुलाई भैंसों के प्रजनन के लिए उत्तम माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इस दौरान पशुओं में कई संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों का सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है, जिससे पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि, यदि कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो इन परेशानियों से बचा जा सकता है। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से जानें कि पशुपालकों को जुलाई माह में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए।

मानसून में इस कारण से बढ़ती है दुधारू पशुओं में दिक्कत (Due to this reason, problems in dairy animals increase during monsoon)

पशु चिकित्सकों के अनुसार, लंबी गर्मी के बाद अचानक बारिश से वातावरण में गर्मी और नमी बढ़ जाती है, जो परर पशुपालक चाहता है कि उसके दुधारू पशु ज्यादा से ज्यादा दूध दें और कभी भी बीमार नहीं पड़े। लेकिन साल में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब पशुओं में संक्रमण फैलने या मौसम में बदलाव के कारण दूध के उत्पादन में गिजीवियों और बाहरी परजीवियों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण देती है। इस वजह से पशुओं में त्वचा संबंधी रोग, आंतरिक परजीवी संक्रमण और अन्य मौसमी बीमारियां पनपने लगती है। इन बीमारियों के कारण पशु कमजोर हो जाते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इसके परिणाम स्वरूप दूध उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिलती है।

पशुपालकों को इन बातों का रखना होगा ध्यान, पशु नहीं पड़ेंगे बीमार (Livestock farmers will have to take care of these things, animals will not fall sick)

बाड़े की साफ-सफाई : बारिश के मौसम में पशुओं के बाड़े को साफ और सूखा रखना चाहिए। नमी से फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ध्यान रखें कि नियमित रूप से बाड़े की सफाई हो और कोई जलजमाव न हो।

परजीवी नियंत्रण : जुलाई में परजीवी और बाहरी परजीवी का असर काफी ज्यादा होता है। पशुओं को पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार परजीवीनाशक दवाएं देनी चाहिए और बाहरी परजीवियों जैसे कि किलनी और जूं से बचाव के लिए उचित उपाय करने चाहिए।

प्रजनन और नवजात की सुरक्षा : जुलाई का महीना भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए अच्छा माना जाता है। गाभिन गाय-भैंसों को अलग, साफ, हवादार और सूखे स्थान पर रखें। नवजात बछड़ों और कटड़ों की विशेष देखभाल करें।

मिनरल मिक्सचर नियमित खिलाएं : अच्छे दूध उत्पादन और पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से मिनरल मिक्सचर देना बहुत जरूरी है। पशु चिकित्सक की सलाह पर उचित मात्रा में मिनरल मिक्सचर दें।

हरे चारे को खिलाने में बरतें सावधानी : मानसून में हर जगह हरा चारा उपलब्ध होता है और हरे चारे की तेजी से बढ़वार होती है। ज्वार जैसे कुछ हरे चारे बारिश के बाद शुरुआती अवस्था में जहरीले हो सकते हैं क्योंकि उनमें साइनाइड जहर पैदा होने लगता है। ऐसी फसल को कच्ची अवस्था में न काटें और न ही पशुओं को खिलाएं। पशुओं को हरे चारे के खेतों में सीधे चरने नहीं देना चाहिए।

संतुलित पशु आहार और चारा प्रबंधन : संतुलित पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया और ज्वार की एक साथ बुवाई करें। यह आने वाले समय में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी को पूरा करेगा। जुलाई का महीना हरा चारा बोने के लिए सही समय होता है।

पशु चिकित्सकों की सलाह (Veterinarians' advice)

पशु चिकित्सक इस बात पर जोर देते हैं कि मानसून के दौरान पशुओं के स्वास्थ्य पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करें। समय रहते उठाए गए कदम पशुओं को गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से भी राहत दिला सकते हैं।

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