Sirohi Goat : पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गांव में रहने वाले लोग खेती के साथ-साथ गाय, भैंस सहित भेड़-बकरियों का पालन कर उनसे मुनाफा कमाते हैं। आज ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत जोत वाले किसानों के बीच बकरी पालन (Goat Farming) काफी पॉपुलर है, क्योंकि यह गाय-भैंस पालन से कई गुना सस्ता पड़ता है और कुछ ही समय में लाखों रुपए का मुनाफा देता है। खास बात यह है कि बकरी के दूध व मांस की डिमांड बाजारों में लगातार बढ़ती जा रही है। इसके मद्देनजर किसानों और पशुपालकों द्वारा कई तरह की बकरियों की नस्ल का पालन किया जा रहा है, जिसमें सिरोही नस्ल के बकरे-बकरियों का पालन राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में अधिक संख्या में किया जा रहा है। सिरोही नस्ल (Sirohi Goat) की खासियत यह है कि इस नस्ल का एक छोटा बच्चा 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है और सिर्फ 6 महीने बाद 10 से 15 हजार रुपए का मोटा मुनाफा देने के लिए तैयार हो जाता है। पशुपालक किसान सिरोही नस्ल (Sirohi Goat) की बकरियों का पालन कर कुछ ही समय में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं। आइए, सिरोही नस्ल की बकरी-बकरे की विशेषता, कीमत और इससे होने वाले मुनाफे के बारे में जानते हैं।
सिरोही एक दोहरे उद्देश्य वाली बकरी नस्ल (Goat Breeds) है। इस नस्ल का पालन मांस और दूध उत्पादन दोनों के लिए अधिकता से किया जाता है। यह पूर्ण रूप से देशी नस्ल है। बकरी की यह नस्ल राजस्थान के सिरोही (Sirohi) जिले के नाम वर्णित है। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों के आसपास के क्षेत्रों में इस नस्ल की बकरियों का पालन प्रमुखता से किया जाता है। बकरी यह नस्ल व्यावसायिक उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त है। क्योंकि सिरोही बकरियां आकार में मध्यम से बड़ी होती है और यह 6 महीने में तैयार हो जाती है। आज वाणिज्यिक सिरोही बकरी पालन कारोबार दिन-प्रति-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है। सिरोही नस्ल की बकरियां (Sirohi breed goats) दूध उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त बकरी नस्ल मानी जाती है और ये सबसे अच्छी मांस बकरी की नस्लों में से भी एक हैं।
सिरोही (Sirohi) बकरियां (goats) मुख्य रूप से अपने ऊंची कद काठी और गठीली शारीरिक संरचना से पहचानी जाती है। सिरोही नस्ल की बकरी के शरीर पर भूरे रंग के बाल होते हैं और सुनहरे भूरे, सफेद रंग के धब्बे पाये जाते हैं। सिरोही बकरी (Sirohi goat) की टांग लंबी होती है। इन नस्ल की बकरियों के कान 8 से 10 सेंटीमीटर लंबे नीचे की ओर मुड़े हुए होते हैं और इन बकरियों की पूंछ मुड़ी हुई होती है। सिरोही नस्ल की बकरी के सींग छोटे आकार और नुकीले ऊपर और पीछे की ओर मुड़ी हुए होते हैं। सिरोही बकरे का औसत वजन लगभग 50-60 किग्रा और इस नस्ल की एक बकरी का वजन लगभग 25 से 40 किग्रा होता है।
सिरोही बकरी एक ब्यांत में लगभग 60 से 65 लीटर दूध देती है। यह साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है। सिरोही नस्ल आमतौर पर जुड़वां बच्चों को ही जन्म देती है। इस तरह इस नस्ल की बकरी साल में चार बच्चों को जन्म देती है। यह आमतौर 13 से 15 महीने की उम्र में बच्चे को जन्म देती है। सिरोही नस्ल खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से अपना सकती है। सिरोही बकरी की पूरे साल में लगभग 130 लीटर दूध उत्पादन क्षमता है।
सिरोही नस्ल की एक बकरी की औसत कीमत 10,000 से 15,000 रुपए तक होती है। अगर कोई किसान भाई इसके एक बच्चे को 300 रुपए किलो के हिसाब से खरीदकर उसे अच्छी खुराक खिलाकर पालन करें तो वे इससे 6 महीने बाद 10,000 से 15,000 रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। सिरोही नस्ल की 10 बकरियों और एक बकरे की पालन (Goat Farming) यूनिट के लिए आपको 120 sq ft शेड की निर्माण करने की आवश्यकता होगी, जिसमें 25,000 हजार रूपए लागत खर्च होगी। शेड निर्माण करने में यह लागत खर्च केवल एक बार होगी। सालभर बाद आपके पास बकरियों की संख्या दुगनी हो जाएगी। सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन कर इससे कुल लाभ एक से डेढ़ लाख रुपए सालाना कमा सकते हैं।
खास बात यह है कि भेड-बकरियों की पालन यूनिट स्थापना के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, बकरी पालन व्यवसाय को सफल बनाने के लिए केंद्री बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) किसानों को निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था के साथ-साथ बकरी पालन प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान संस्थान से फ्री प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं और सिराही नस्ल बकरियों के पालन से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
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