DCB Bank : कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों में निवेश करने के लिए किसानों को प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक और केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषि एवं अकृषि ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा, प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) द्वारा जरूरतमंद किसान सदस्यों को अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण के साथ ही कृषि से जुड़ी अन्य सुविधाएँ भी दी जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक लिखित जवाब बताया गया है कि बीते कुछ वर्षों में किसानों की इनकम में सुधार हुआ है। किसान बैंकों से लिया गया पैसा रिटर्न कर उनका विश्वास जीत रहे हैं। इसके परिमाण स्वरूप किसानों को ऋण उपलब्ध कराने में सरकारी बैंकों के साथ अब निजी क्षेत्रों के बैंक भी तेजी से आगे आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में प्राइवेट बैंकों एव वित्तीय संस्थानों ने किसानों को कृषि कार्यों हेतु ऋण देना शुरू किया है। इस बदलाव को देखते हुए डीसीबी बैंक ने भी किसानों को कृषि देने की शुरूआत की है। यह एक नई पीढ़ी का निजी क्षेत्र का सहकारी बैंक है, जिसकी देशभर में कुल 451 शाखाएं है। डीसीबी बैंक के कृषि लोन प्रमुख ने कहा कि हमने कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को उनकी अवश्यकताओं के अनुसार लोन देना शुरू किया है।
बिजनेसलाइन के अनुसार, मुंबई स्थित निजी क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक (कमर्शियल) बैंक डीसीबी बैंक ने हाल ही में कृषि क्षेत्र में विविध उत्पादों की पेशकश के अलावा किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को ऋण देना शुरू किया है। डीसीबी बैंक के रिटेल और कृषि ऋण प्रमुख नरेंद्रनाथ मिश्रा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की वित्तीय जरूरत पूरी करने के लिए ऋण की मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। कृषि ऋण बैंक के लिए एक दिलचस्प व्यावसायिक प्रस्ताव (बिजनेस प्रपोजल) है। डीसीबी बैंक (DCB Bank) दो दशकों से इस क्षेत्र में उपलब्ध है। बैंक ने ग्राहकों की जरूरतों के अनुरूप एग्रीकल्चर ऋण में विविध उत्पाद पेश किए हैं।
बैंक के खुदरा और कृषि ऋण प्रमुख नरेंद्रनाथ मिश्रा ने कहा कि ऋण उत्पाद (लोन प्रोडक्ट) में ट्रैक्टर और कृषि यंत्र/ उपकरण लोन, किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card), माइक्रोफाइनेंस ऋण (Microfinance Loan), फसल वित्त संस्थानों (Crop Finance Organization) और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies) के माध्यम से लोन के साथ ही किसानों को गोल्ड लोन प्रोडक्ट भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कृषि ऋण की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। आधुनिक खेती, खेतों में मशीनीकरण, कृषि इनपुट की लागत में बढ़ने से किसानों की वित्तीय जरूरतें बढ़ी हैं । नरेंद्रनाथ मिश्रा ने कहा कि डीसीबी बैंक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance Scheme) के अंतर्गत सभी अधिसूचित (लिस्टेड) फसलों के लिए बीमा सुविधा देता है। किसानों को फसल बीमा के फायदे भी बताता है। इससे उनका फसल के जरिए होने वाले नुकसान में कमी देखी जा रही है।
डीसीबी बैंक के रिटेल और एग्रीकल्चर लोन प्रमुख नरेंद्रनाथ मिश्रा ने कहा कि हम कृषि/ डेयरी फार्मिंग/ मत्स्यपालन (फिश फार्मिंग) और मुर्गीपालन (पोल्ट्री फार्मिंग) जैसे कृषि से जुड़े गतिविधियों के लिए ऋण सुविधा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीसीबी बैंक महिला किसानों को सभी कृषि ऋण योजनाओं में लोन लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। कृषि करने वाली ग्रामीण महिलाओं को इसमें प्रमुखता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन, मुर्गीपालन या कृषि से जुड़े अन्य कार्यों के लिए बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस ऋण की सुविधा दी जा रही है।
नरेंद्रनाथ मिश्रा ने कहा कि डीसीबी बैंक विशेषकर कृषि ऋण पर ध्यान केंद्रित करता है। बैंक के पास किसान क्रेडिट कार्ड, ट्रैक्टर लोन और माइक्रोफाइनेंस के लिए एक विशेष वर्टिकल है। बैंक फार्मिंग/ डेयरी, फिश फार्मिंग और पोल्ट्री गतिविधयां जैसे संबद्ध क्षेत्रों में ऋण देता है। बैंक कृषि उद्देश्यों के लिए न्यूनतम 18 फीसदी ऋण देने के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों को पूरा कर रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, एग्रीकल्चर ऋण का एक बड़ा हिस्सा किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) स्कीम के माध्यम से वितरित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को कृषि इनपुट खरीदने और उनकी उत्पादन जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। भले ही कृषि क्षेत्र का एनपीए घट रहा है, फिर भी कुछ वित्त एक्सपर्ट का ऐसा मानना है कि केसीसी (KCC) के जरिए किसानों को दिए जाने वाले ऋण में तेजी से बढ़ोतरी हो रहा है। इससे कृषि क्षेत्र का एनपीए अन्य दूसरे क्षेत्रों की रफ्तार से कम नहीं हो रहा है। बहरहाल, सितंबर 2024 तक कुल चालू केसीसी कार्ड (KCC) खाते 7.71 करोड़ थे, जिनका कुल बकाया 9.88 लाख करोड़ रुपए है। केसीसी के माध्यम से बैंक खेती के लिए जो लोन देते हैं, उस पर ब्याज सिर्फ 4 फीसदी होता है। सरकार ने केसीसी बनवाने की प्रक्रिया न सिर्फ आसान कर दी है बल्कि बैंकों को ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी का लाभ देने के निर्देश दिए हैं।
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