कृषि एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें उचित उत्पादन के साथ बेहतर मुनाफा लेने के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन अब फार्म मैकेनाइजेशन ने खेती-किसानी में किसानों की मेहनत और लागत को आधे से भी कम कर दिया है। आज हमारे इंजीनियर्स ने फार्म मैकेनाइजेशन में कई ऐसी कृषि मशीनों को विकसित किया है, जिनकी बदौलत किसान खेती-किसानी में संबंधित काम को समय रहते आसानी से कर पा रहे हैं। दरअसल खेती-किसानी से संबंधित कार्यों को सही वक्त पर निपटाने के लिए कृषि उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इन कृषि उपकरणों की मदद से आज हमारे देश के किसान खेत की तैयारी से लेकर उत्पादन को बाजार में पहुंचाने तक का कार्य बिना किसी दिक्कत के पूरा कर पा रहे हैं। आधुनिक दौर में किसान इन उपकरणों से अपनी खेती को मॉडर्न बना रहे हैं। साथ ही खेती करने का अपना पारंपरिक तरीका भी बदल रहे हैं। आज इन कृषि उपकरणों के आने से कृषि पहले की तुलना में और अधिक आसान और सुविधाजनक हो गई है।
आज खेती के इन उपकरणों के उपयोग से किसान लंबे समय में पूर्ण होने वाले कृषि कार्य को पैसों की बचत के साथ महज कुछ ही घंटों में पूरे कर पा रहे हैं। ऐसे में हम आज हमारे किसान भाईयों को कुछ ऐसे ही कृषि उपकरणों के बारे में जानकारी देंगे, जिनका इस्तेमाल मॉडर्न खेती की जरूरतों को पूरा करने में प्रमुखता से किया जा रहा है। आइये, इस पोस्ट की मदद से इन उपरकरणों के बारे में जानते हैं।
आज के दौर में बिना ट्रैक्टर के कृषि करना संभव नहीं है। खेत की तैयारी से लेकर फसल की गहाई एवं उत्पादन को बाजार में बेचने के लिए ले जाने तक सभी कार्यों को ट्रैक्टर की मदद से किया जा रहा है। खेती की सभी जरूरतों को पूरा करने में किसानों का सच्चा साथी ट्रैक्टर ही है। ट्रैक्टर के इस्तेमाल से किसान फसलों की कटाई, फसलों की गहराई, बुवाई के लिए खेत को तैयार करने जैसे तरह-तरह के कार्य बिना अधिक मेहनत के समय की बचत के साथ कर रहे हैं। खेती में ट्रैक्टर किसानों का सबसे पसंदीदा कृषि यंत्र हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आज देश की प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियां किसानों की जरूरतों के अनुसार 2डब्ल्यूडी एवं 4 डब्ल्यूडी वेरियंट में डीजल और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर मैन्यूफैक्चयरिंग कर ट्रैक्टर्स बाजार में उपलब्ध करवा रही है। खास बात यह है कि खेती-किसानी में किसान ज्यादा से ज्यादा ट्रैक्टर का उपयोग कर पाएं, इसके देश की सरकार के साथ मिलकर सभी राज्य सरकारें अपने-अपने तय प्रावधान के अनुसार ट्रैक्टर पर सब्सिडी भी उपलब्ध करवाती है।
कृषि से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेतों की उचित जुताई करना महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैं। फसलों की बुवाई से पहले खेत को तैयार करना पड़ता है, जिसके लिए खेत की जुताई यानी मिट्टी को उलटना-पलटना होता हैं। खेत की अच्छी जुताई मिट्टी की नमी को बनाए रखने एवं फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करती है। इस क्रिया को पूरा करने के लिए हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। हैरो को ट्रैक्टर से अटैचमेंट करके खेत की मिट्टी को तोड़कर सतह को समतल बनाने के लिए किया जाता है। हैरो खेत में खरपतवार और फसल अवशेषों के साथ-साथ मिट्टी के बड़े हिस्से को तोड़ देता है, जिससे खेत को समतल कर बुवाई के लिए तैयार करने में मदद होती है। बता दें कि हैरो कृषि उपकरण का इस्तेमाल केवल खेत की मिट्टी को उलटने-पलटने के लिए किया जाता है, यह खेत को फसलों के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं करता है। खेती-किसानी में भूमि को फसलों के लायक बनाने में इस यंत्र का इस्तेमाल लंबे समय किसानों द्वारा किया जा रहा है। वक्त गुजरने साथ हैरो को इंजीनियर द्वारा लगातार अपग्रेड किया गया है। आज बाजारों में धातु के अच्छी तरह से डिजाइन किए गए हैरो, डिस्क हैरो, एक्मे हैरो, पटेला, त्रिकोणीय हैरो, बड़े हैरो, स्पाइक टूथ हैरो, स्प्रिंग टूथ हैरो, गुंटाका और रेसिप्रोकेटिंग पावर हैरो आदि उपलब्ध हैं। बाजारों में उपलब्ध होने वाले इन विभिन्न प्रकारों के हैरो की कीमत 30 हजार से लेकर 3 लाख रुपए तक हो सकती है। इनकी कीमत आपके राज्य और शहर के अनुसार अलग-अलग भी हो सकती है।
हल एक महत्वपूर्ण कृषि उपकरण है, इसका इस्तेमाल हैरो से की गई जुताई के बाद मिट्टी की गहरी जुताई करने के लिए किया जाता है। इसे ट्रैक्टर से जोड़कर बीज बोने के पहले जमीन की जरूरतों के अनुसार गहरी जुताई करने में काम लिया जाता है। खेती में इस्तेमाल होने वाला यह पहला और प्राचीन कृषि उपकरण है। आज यह बाजारों में ठूंठ प्रकार, सॉड या ब्रेकर प्रकार और स्लैट प्रकार के रूप में उपलब्ध हैं। हल से भूमि की उपरी सतह को उलटने-पलटने में मदद करता है और खरपतवार,खाद एवं फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने का काम करता है। यह जमीन में पानी साेखने एव जमीन की नमी को बनाए रखने एवं पोषक तत्व बढ़ाने में मदद करता है। हल के इस्तेमाल से जमीन बीज बोने योग्य तैयार हो जाती है। इससे खेती की तैयारी में समय और मजदूरों पर होने वाले खर्च में बचत होती है। साथ ही फसलों के विकास के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि भी होती है।
कृषि में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए फसलों की अच्छी सिंचाई करना होता है। आज फसलों की सिंचाई के लिए किसानों ने समय के साथ सिंचाई विधि में बदलाव किया गया है। किसानों द्वारा फसलों की सिंचाई के लिए नई-नई पद्धतियों को अपनाया जा रहा है, जिनमें ड्रिप/टपक और फव्वारा सिंचाई पद्धति आदि शामिल है। आज सिंचाई के लिए फायर स्प्रिंकलर सिस्टम, ड्रिप इरिगेशन या सेंटर इरिगेशन सिंचाई उपकरण से किसान अपने खेतों में लगी फसलों की सिंचाई कम पानी में कर रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा इन उपकरणों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसमें किसानों को ड्रिप/टपक और फव्वारा उपकरण पर भारी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
सीडर्स और प्लांटर्स कृषि उपकरण की मदद से बीजों की बिजाई एवं रोपाई का कार्य किया जाता है। सीडर्स और प्लांटर्स बुवाई और रोपाई के कार्यों को आसान और कम समय में करने में मदद करते हैं। यह मूल्यवान बीजों को बर्बाद होने से बचाता है और एक समान बिजाई और रोपाई करता है। सीडर्स और प्लांटर्स की आज बाजार में कई श्रेणी उपलब्ध है, जिनमें हाथ और ट्रैक्टर से चलने वाले सीडर्स और प्लांटर्स शामिल है। बिजाई एवं रोपाई के लिए बॉक्स ड्रिल सीडर्स, एयर सीडर्स, प्लांटर्स जैसे अन्य सीडर्स और प्लांटर्स बाजार में किसानों के लिए उपलब्ध हैं। किसान भाई अपने खेत के क्षेत्र के अनुसार खरीद सकते हैं और उपयोग कर सकते हैं।
सीड ड्रिल एक आधुनिक महत्वपूर्ण कृषि उपकरण है, जिससें टैक्टर से अटैचमेंट करके बीजों की बिजाई का कार्य किया जाता है। यह उपकरण किसानों को बीजों की बिजाई एक सामान गहराई, मात्रा और दूरी पर करने में मदद करता है। सीड ड्रिल की मदद से गेहूं, मक्का, मटर, मसूर, सोयाबीन, आलू, प्याज, लहसुन, सूरजमुखी, जीरा, चना, कपास, धान, बाजरा और मूंगफली की बिजाई समय की बचत के साथ उचित मात्रा एवं गहराई में की जा सकती है। यह दो प्रकार की होती है, जिसमें मैनुअल सीड ड्रिल और ऑटोमेटिक शामिल हैं। मैनुअल सीड ड्रिल उपकरण की कीमत 40000 से लेकर 90,000 तक हो सकती हैं। वहीं, ऑटोमेटिक सीड ड्रिल की कीमत 50 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपए तक हो सकती हैं। विभिन्न राज्य सरकारें अपने तय प्रतिशत के अनुसार इस पर सब्सिडी भी प्रदान करती है।
लैंड लेवलर एक समतलीकरण उपकरण है। इसका इस्तेमाल बुवाई से पहले खेत को समतलीकरण करने के लिए किया जाता हैं। लैंड लेवलर को ट्रैक्टर अटैचमेंट भूमि को एक तथा दोनों दिशाओं में सूक्ष्म रूप से समतल करने में किया जाता हैं। लैंड लेवलर की मदद से मात्रा 3 से 4 घंटे में 1 हेक्टेयर भूमि को पूर्णरूप से समतल और बनाया जा सकता है। लैंड लेवलर कृषि मशीन उर्वरकों, बीजों, कीटनाशकों, पानी और की खपत को कम करने में मदद करता है और पैदावार को बढ़ता है। हर 2 से 3 साल बाद इस उपकरण का इस्तेमाल भूमि को समतल और चिकना बनाने के लिए जरूर करना चाहिए।
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