देश के ग्रामीण इलाकों में बकरी का पालन (Goat Farming) बड़े स्तर पर होता है। हालांकि, पहले भेड़-बकरियों का पालन लोग घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करते थे। लेकिन अब सरकारी पहलों और सब्सिडी योजनाओं एवं तकनीकी नवाचारों के कारण यह एक बड़ा कारोबार बनकर उभरा है। वर्तमान में कई राज्य बकरी पालन (Goat Farming) को बढ़ावा दे रही है, जिसके लिए सरकार द्वारा योजना लागू कर किसानों को बकरियों के लिए लोन, उनके रहने के लिए शेड निर्माण एवं अन्य समाधानों के लिए अच्छी-खासी सब्सिडी भी उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा, प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर बकरी पालन की ट्रेनिंग और नई तकनीकों की जानकारी किसानों को दी जा रही है, ताकि वे क्षेत्र से सफलापूर्वक लाभ ले सकें। इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology), कानपुर द्वारा आयोजित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर कानपुर देहात में शिक्षित बेरोजगारों और किसानों को पांच दिवसीय बकरी पालन पर फ्री प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर आप भी बकरी पालन के लिए नई तकनीक मुफ्त में सीखना चाहते हैं, तो ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए केंद्र में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, (उत्तर) द्वारा कृषि विज्ञान संस्थान दिलीप नगर कानपुर देहात में अनुसूचित जाति उपयोजना (Scheduled Caste Sub-Plan) के तहत शिक्षित बेरोजगारों के लिए 5 दिवसीय रोजगारपरक बकरी पालन (Goat Farming) पर फ्री प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें ग्रेजुएट लेवल से लेकर कक्षा 8वीं पास तक के कुल 25 प्रतिभागी बकरी पालन के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस प्रशिक्षण प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत में बताया कि सीमांत एवं लघु किसानों के अलावा शिक्षित बेरोजगारों के लिए बकरी पालन कम लागत में अधिक आमदनी का मुख्य कारोबार है।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर ने बताया कि बकरी पालन एक एटीएम की तरह है, जब चाहे तब इसको अच्छे दामों में बेच सकते हैं। इसके अलावा, इससे कभी भी किसी समय दूध निकाल कर इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही बकरियों के दूध का उपयोग कई बीमारियों में होता है, जिसके कारण इसके दूध की डिमांड हमेशा हाई लेवल पर रहती है।
उन्होंने बताया कि आप अपने संसाधनों के अनुसार, 10 से 50 बकरियों के झुंड रखकर बकरी पालन शुरू कर सकते हैं। कृषि विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. खलील खान का कहना है कि कम जगह में हम साधारण खानपान में इनको पाल सकते हैं। बकरी का दूध नवजात शिशुओं के लिए दवा का कार्य करता है, जो आसानी से पच जाता है। ट्रेनिंग में आए हुई महिलाओं ने बताया कि इस प्रशिक्षण से वे बकरी पालन का धंधा शुरू करके अपने घर को अच्छे से चला सकती हैं।
इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड में भेड़-बकरी पालन और कुक्कुट पालन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बकरी पालन और कुक्कुट पालन किसानों के लिए एक बेहतर आय का स्रोत बन सकता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस किसान मेले में कुछ किसानों को बकरी और उन्नत बीज भी उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि बकरी का दूध फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को कम करने में सहायक होता है और इससे किसान आर्थिक रूप से भी मजबूत हो सकते हैं। एक बकरी एक साल में दो बच्चे देती है, और जब ये बच्चे एक साल के हो जाते हैं, तो इन्हें बाजार में 5 से 10 हजार रुपए तक में बेचा जा सकता है।
मुख्य पशुपालन चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश तिवारी की जानकारी के अनुसार, पशुपालन विभाग द्वारा गोड़ा में भेड़ पालन योजना लागू की गई है। इस योजना में लाभार्थी को 20 भेड़ मादा और एक नर भेड़ा दिया जाएगा। इस योजना में भेड़ पालन यूनिट की लागत 1,70,000 रुपए निर्धारित की गई है। इसमें लाभार्थियों को 1 लाख 53 हजार रुपए की सब्सिडी राज्य सरकार की तरफ से दी जाएगी, तो वहीं 17 हजार रुपए स्वयं लाभार्थी किसान को देना होगा। उन्होंने बताया कि जो भी किसान इच्छुक हैं, वे इस योजना में आवेदन कर लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि भेड़ पालन के लिए आवेदन फार्म मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय विकास भवन या संबंधित विकास खंड स्तरीय पशु चिकित्साधिकारी से दिया जाएगा। उसे भरने के बाद संबंधित दस्तावेजों को लगाना है। अपने ग्राम सभा के प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी (सचिव) से सत्यापन करने के पश्चात फॉर्म को पशुपालन विभाग में आकर जमा कर दें। उन्होंने बताया कि जांच के बाद किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा। पशुपालन निदेशालय, उत्तर प्रदेश के विभागीय वेबसाइट https://www.animalhusb.upsdc.gov.in/ पर ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y