direct sowing of paddy : खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही देशभर में धान की बुवाई और रोपाई का कार्य जोर पकड़ चुका है। इस साल बेहतर पैदावार सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारें किसानों को धान की उन्नत किस्मों के बीज सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही हैं। साथ ही आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने और बुवाई में तकनीकी मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार द्वारा धान की रोपाई डीएसआर तकनीक यानी धान की सीधी बिजाई करने को बढ़ावा दिया जा रहा है। DSR तकनीक से धान की बुवाई करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को 4500 रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान भी दिया जा रहा है। यानी अब किसानों को प्रति एकड़ 500 रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। सीधी बिजाई (डीएसआर) करने से समय, श्रम एवं सिंचाई पानी और लागत की बचत होती है, बंपर पैदावार भी होती है, फसल में बीमारी आने का खतरा भी कम होता है। प्रदेश के 12 जिलों में यह योजना लागू की गई है। अनुदान का लाभ लेने के लिए किसान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से अपना आवेदन 10 जुलाई तक करें।
धान की सीधी बिजाई (डीएसआर मशीन) से धान की बुवाई करने पर करीब 25 प्रतिशत पानी की बचत होती है, मजदूर खर्च में कमी आती है। इसलिए हरियाणा सरकार किसानों को धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर) के लिए सब्सिडी राशि देकर इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार द्वारा पिछले साल 2024 तक किसानों को डीएसआर मशीनों से धान की बुवाई करने के लिए 4 हजार प्रति एकड़ का अनुदान दिया गया है, जिसमें साल 2025 के लिए 500 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। यानी इस साल राज्य में सीधी बिजाई करने वाले किसानों को 4500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा। इसके अलावा अगर कोई किसान धान की खेती छोड़कर दूसरी फसल की खेती करते हैं, तो उन्हें "मेरा पानी, मेरी विरासत" योजना के तहत 8000 रुपए की सहायता राशि सरकार द्वारा दी जा रही है।
धान की रोपाई में प्रति एकड़ में 7 से 8 हजार रुपए की लागत आती है, जबकि सीधी बिजाई (डायरेक्ट सिडेड राइस) में ये ही लागत 2500 रुपए से 3000 रुपए प्रति एकड़ तक रहती है, इसलिए प्रति एकड़ अनुदान में 500 रुपये खरीफ 2025 के लिए बढ़ोतरी की गई है। प्रदेश के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा के अनुसार, सरकार भी इस योजना को लेकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। चालू खरीफ वर्ष में धान की सीधी बुवाई के लिए चार लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। हरियाणा के 12 जिलों के लिए यह योजना है, जहां पर धान की खेती की जाती है। इसमें फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, रोहतक, अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद और सोनीपत जिले शामिल हैं।
करनाल जिले में 30000 एकड़ और कुरूक्षेत्र जिले के लिए 30000 एकड़ में डीएसआर से सीधी बिजाई करने का टारगेट रखा गया है। सीधी बिजाई के दौरान किसान हाईब्रिड और बासमती धान किस्म की ही बुवाई कर सकते हैं। धान की सीधी बिजाई के बाद गेहूं की फसल की तरह ही सिंचाई करनी होती है। इससे किसानों को धान, पानी और समय की बचत होती है। कुरुक्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त इंतजाम है, इसलिए धान की सीधी बिजाई को लेकर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। सरकार द्वारा "मेरा पानी, मेरी विरासत" स्कीम शुरू की गई है, जिसमें पानी की अधिक से अधिक बचत करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि पुरानी विधि से धान की बुवाई/रोपाई की बात की जाए, तो इसमें करीब 22 से 23 पानी फसल को लगाते हैं।
कुरुक्षेत्र के उप कृषि निदेशक डॉ. कर्म चंद ने कहा, "किसान धान की रोपाई की तैयारी कर रहे हैं, किसानों के लिए धान की सीधी बिजाई करने पर प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी राशि दी जा रही है। अनुदान राशि के लिए किसान कृषि विभाग के पोर्टल पर आगामी 10 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। डॉ कर्मचंद ने बताया कि सरकार इस विधि से 4500 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है तो वहीं दूसरी विधि से धान की रोपाई करने में खर्च ज्यादा आता है, जिसके चलते एक एकड़ में धान की सीधी बिजाई करने से करीब ₹10000 की बचत होती है। इस विधि से खेती करने में पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है। फसल में बीमारी नहीं आती, जिसके चलते यह विधि काफी अच्छी है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस विधि से खेती करने के लिए प्रोत्साहन किया जा रहा है।
कृषि विभाग के उप निर्देशक डॉ. कर्म चंद ने बताया, हरियाणा सरकार एवं कृषि विभाग मिलकर पानी की खपत को कम करने के लिए धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) पर जोर दे रहा है, जिससे किसान कम लागत में अधिक उपज हासिल कर सकें और संसाधनों का कुशल उपयोग हो सके। उप कृषि निदेशक ने कहा, "कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 में धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर) को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मशीनें अनुदान पर उपलब्ध करवाई जाएंगी। विभाग को इस योजना के अंतर्गत 50 डी.एस.आर मशीनों का लक्ष्य प्राप्त हुआ है, जिनका आवंटन "पहले आओ-पहले पाओ" के आधार पर किया जाएगा। किसान विभागीय पोर्टल www.agriharyana.gov.in के माध्यम से 10 जुलाई 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। "प्रत्येक डी.एस.आर मशीन पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।
आवेदन करने के लिए किसान के पास "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" पोर्टल पर पंजीकरण और वैध ट्रैक्टर की आर.सी. होना अनिवार्य है। जिन किसानों ने पिछले तीन वर्षों में डी.एस.आर मशीन का अनुदान प्राप्त किया है, वे इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे। योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान उप कृषि निदेशक करनाल तथा सहायक कृषि अभियंता करनाल के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। डॉ कर्मचंद, डिप्टी डायरेक्टर, कृषि विभाग, कुरुक्षेत्र ने कहा "मेरा पानी, मेरी विरासत" योजना का लाभ जिले में 50 मशीन उपलब्ध हैं। एक मशीन प्रतिदिन 10 से 12 एकड़ खेत बीज देती है। उन्होंने आगे कहा, "अगर कोई किसान अपने खेत को खाली रखना चाहता है. तब भी यह छूट किसान को मिलती है। यदि किसान अपने खेत को खाली रखता है तो किसान के खेत से फंगस जैसी बीमारियां खत्म हो जाएगी और खेत उपजाऊ बनेगा।
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