Plastic Mulch Technology : कृषि उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए नई-नई तकनीकी विधियों का उपयोग किया जाता है। इसमें प्लास्टिक मल्च तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह उच्च मूल्यवर्द्धित बागवानी फसलों की पैदावार बढ़ाने के साथ पानी का कम व्यय करने और खेत को साफ-सुधरा रखने में सहायक होती है। इसके उपयोग से किसानों को खेती में खरपतवार नियंत्रण (weed control) के लिए कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है, जिससे लागत में कमी के साथ उनकी आय में भी इजाफा होता है। मल्च तकनीक से अब बिहार के खेत भी खरपतवार मुक्त रहेंगे। क्योंकि राज्य में प्लास्टिक मल्च (मल्चिंग बेड) लगाकर खेती करने वाले किसानों को सरकार द्वारा अनुदान लाभ दिया जाएगा। इस सरकारी अनुदान का लाभ लेकर किसान आधी लागत में प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) लगाकर अपने खेत में खरपतवार नियंत्रण आसानी से कर सकते हैं और फसल उत्पादन में वृद्धि कर आय में वृद्धि भी कर सकते हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री/सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा यह जानकारी दी गई है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री/सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि बिहार सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ, जल संरक्षण और फसल पैदावार बेहतर करने के लिए कृषि में निरंतर आधुनिक तकनीकों (Agricultural Techniques) को बढ़ावा दे रही है। इसी क्रम में, सरकार ने प्लास्टिक / जूट / एग्रो टेक्सटाइल मल्च अवयव के उपयोग को राज्य के सभी जिलों में लागू किए जाने का मोशन (प्रस्ताव) तैयार किया है। योजनांतर्गत प्लास्टिक मल्च तकनीक को अपनाने पर किसानों को 40,000 रुपए (चालीस हजार) प्रति हेक्टेयर की एकमुश्त इकाई लागत (यूनिट कॉस्ट) के लिए 50 प्रतिशत सहायता अनुदान प्रदान दिए जाने का प्रावधान है। इससे किसानों की आमदनी के साथ-साथ उत्पादकता भी बढ़ेगी।
उप मुख्यमंत्री/ सह कृषि मंत्री ने कहा कि मल्च तकनीक के माध्यम से खेतों में नमी (पानी या आर्द्रता ) बनाए रखने, खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायता मिलती है। यह तकनीक विशेष रूप से सब्जियों, फलदार वृक्षों और फूलों की खेती में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुई है। बिहार सरकार की यह पहल किसानों को जलवायु परिवर्तन (Climate change) के प्रभाव से निपटने और फसल उत्पादन की निरंतरता बनाए रखने में सहायता भी करेगी। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार (Bihar Government) कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर राज्य को हरित क्रांति की नई दिशा देने के लिए कृतसंकल्प है। यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की जाएगी, जिससे हर क्षेत्र के किसान मल्च तकनीक का लाभ उठा सकें।
मंत्री ने कहा, तकनीकी प्रशिक्षण, ऑन फ़ार्म डेमोंस्ट्रेशन और सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस तकनीक के उपयोग से उत्पादन में वृद्धि तो होगी ही, साथ ही जल व्यय में कमी और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इससे किसानों की आय में सीधा लाभ होगा, साथ ही पर्यावरण संरक्षण (प्राकृतिक वातावरण की रक्षा) को भी बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा की गई यह पहल कृषि क्षेत्र को सशक्त, टिकाऊ और लाभकारी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह योजना न केवल राज्य में किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि बिहार को कृषि नवाचारों में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने में भी सहायक सिद्ध होगी। इस तकनीक से किसानों का काफी हद तक उत्पादन भी बढ़ेगा, साथ ही किसानों को इससे सभी उच्च मूल्यवर्द्धित बागवानी फसलों की खेती में लाभ होगा।
प्लास्टिक मल्च खेती की एक आधुनिक तकनीक है। इस कृषि तकनीक का उपयोग मूल्यवर्द्धित सब्जी व अन्य बागवानी फसलों की खेती में होता है। यह जल वाष्पीकरण को रोकता है, मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहती है, साथ ही , यह तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को कम करती है। इस तकनीक से खरपतवार नियंत्रण करने में मदद मिलती है, जिससे पौधों को सुरक्षित रखने हेतु खेत में बार-बार निराई-गुडाई का कार्य नहीं करना पड़ता है। इससे मिट्टी की सतह को कठोर होने से बचाया जा सकता है, जिससे पौधों की जड़ों का विकास सुचारू रूप से होता है। खरबूजे के साथ खीरा, टमाटर, लौकी, शिमला मिर्च जैसी सब्जी फसल की खेती में मल्च तकनीक का उपयोग कारगर है। इससे फसलों में कीट-रोगों का प्रकोप भी कम रहता है, साथ ही पोषक तत्वों का भी सदुपयोग होता है।
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