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गेहूं एवं चने की फसल में कीटों का प्रकोप, जाने कृषि विभाग की सलाह

गेहूं एवं चने की फसल में कीटों का प्रकोप, जाने कृषि विभाग की सलाह
पोस्ट -03 जनवरी 2025 शेयर पोस्ट

फसलों में रोग एवं कीटों का प्रकोप, किसान इन दवाओं का छिड़काव कर बचाव करें 

वेस्टर्न डिस्टर्बन्स के चलते मौसम में बदलाव होने के कारण रबी मौसम की प्रमुख फसलें गेहूं एवं चना में रोग एवं कीटों के प्रकोप होने की पूरी संभावना बनी हुई है। इसको देखते हुए कृषि विकास विभाग के मैदानी अमले द्वारा किसानों के खेतों का भ्रमण करके फसलों में आने वाली समस्याओं से रूबरू कराते हुए उनके बेहतर उपायों से कृषकों को अवगत कराया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को अभी फसलों में आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी जा रही है और उनको नियंत्रित करने के बेहतर उपायों से अवगत कराया जा रहा है।

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चने की फसल में उकठा एवं जड़-सड़न रोग (Blight and root rot disease in gram crop)

मध्यप्रदेश के जिला सीहोर स्थित कृषि विभाग ने बताया कि इस अवस्था में मौसम में परिवर्तन जैसे दिन में न्यूनतम तापमान के चलते पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सुचारू रूप से न होने के कारण चना फसल प्रभावित होने के साथ-साथ फसल के पौधे पीले पड़कर सूख रहे हैं। जिसके कारण फसल में आर्थिक नुकसान होने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही फसल में चने की सुंडी इल्ली के साथ-साथ उकठा एवं जड़-सड़न रोग के प्रकोप के चलते भी फसल सूख रही है। 

प्रकोप नियंत्रित के लिए करें दवाओं का छिड़काव (Spray medicines to control the outbreak)

सीहोर कृषि विकास विभाग ने कृषकों को एडवाइजरी दी है कि चना फसल की सुरक्षा के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास 200 ग्राम/ एकड़ या क्लोरोइन्ट्रानिलीप्रोल + लेम्ब्डासाइलोथ्रिन 80 मिली प्रति एकड़ के साथ फ्लूपायराक्साइड + पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन 150 मिली/एकड़ या एजोक्सीस्ट्रोबिन + टेबूकोनोजोल 150 मिली/एकड़ के साथ जरूरी तत्व नाइट्रोजन, फॉरस्फोरस और पोटैशियम (एनपीके) 19:19:19, 1 किग्रा/एकड़ से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।

गेहूं में जड़ माहू एवं कठुआ इल्ली का प्रकोप (Infestation of root aphid and kathua caterpillar in wheat)

कृषि विभाग ने बताया कि जिले की मुख्य फसल गेहूं में भी वर्तमान समय में जड़ माहू कीट एवं कठुआ इल्ली का प्रकोप प्रारम्भिक अवस्था से ही फसल पर बना हुआ है। इसके कारण फसल पीली पड़ कर सूख रही है व इल्ली के प्रकोप के चलते फसल की वानस्पतिक वृद्धि व बालियां प्रभावित हो रही है। 

कृषकों को सलाह है कि उक्त कीटों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास 200 ग्राम/एकड के साथ एनःपीःके 19:19:19, 1 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे। इसके साथ ही किसानों को सलाह दी जारी है कि अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए सतत कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क में रहे।

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