खरीफ सीजन फसलों की बुवाई लगभग खत्म होने वाली है। देश के सभी हिस्सों में कपास, बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, धान, सोयाबीन और तिल जैसी फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है, तो कहीं अंतिम चरण में है। लेकिन इन दिनों अनियमित वर्षा के कारण कीटों के पनपने का भी खतरा बना रहता है। समय रहते यदि इन पर एहतियात नहीं बरती गई तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इन दिनों धान की अगेती खेती करने वाले किसानों को सावधान रहना चाहिए। क्योंकि इन दिनों धान की फसल गभ्भा की अवस्था में है। अगेती फसल में बालियां निकल रही हैं। इन दिनों धान फसल पर शीथ ब्लाइट एवं पत्र अंगमारी रोग के मामले देखने को मिलते हैं। धान फसलों में इन दिनों तना छेदक एवं गंधीबग कीट का प्रभाव देखा गया है। धान में लगने वाले इन कीटों पर पूर्व में रोकथाम की जाए तो इसके प्रभाव से धान फसलों को बचाया जा सकता है। धान की फसल को संक्रमित करने वाले तना छेदक, पीला तना छेदक, स्किरपोफागा इनसर्टुलास आदि प्रमुख कीट हैं, जो धान की फसलों को सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाते है। पीला तना छेदक में लार्वा चरण एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अधिकतम संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। वानस्पतिक अवस्था के दौरान टिलर का लार्वा क्षति से डेड हार्ट के लक्षण (केंद्रीय शूट का सूखना) दिखाई देते हैं तथा पैनिकल वृद्धि के दौरान क्षति का परिणाम सफेद कान (चौची, अधूरा अनाज) जैसा दिखाई देता है। यह कीट ज्यादातर नई फसलों के पौधों को नुकसान पहुंचाता है। फिलहाल, किसान इस समस्या से चिंतित है और फसलों को इनके प्रभाव बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग कर रहे है। किसानों की फसल सुरक्षित हो उसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने इससे बचाव के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई है। इसी बीच हाल ही में सुमिल केमिकल्स लिमिटेड ने दुनिया का पहला ड्राई कैप प्रौद्योगिकी पेटेंट उत्पाद ब्लैकबेल्ट लॉन्च किया है। यह कीटनाशक धान की फसलों को इस कीट के हानिकारक प्रभाव से बचाएगा। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि ड्राई कैप प्रौद्योगिकी पेटेंट ब्लैकबेल्ट का किस प्रकार धान के फसलों में इसका प्रयोग करना है।
ब्लैकबेल्ट सीआईबी के 9(3) पंजीकरण के तहत एक विकसित ड्राई कैप प्रौद्योगिकी उत्पाद है, जो इन कीटों के रोकथाम में कई गुना असरकारक पाया गया है। इस उत्पाद को ना केवल कीटों के खिलाफ एक ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रभावशाली तरीके से रोकथाम करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। धान में लगने वाले तना छेदक, पीला तना छेदक स्किरपोफागा इनसर्टुलास, आदि प्रमुख कीटों के हानिकारक प्रभाव से धान फसल को बचाने के लिए, हाल ही में सुमिल केमिकल्स लिमिटेड ने दुनिया का पहला ड्राई कैप प्रौद्योगिकी पेटेंट उत्पाद ब्लैकबेल्ट लॉन्च किया है।
सुमिल केमिकल्स लिमिटेड ने इसे लॉन्च करते हुए कहा कि इस उत्पाद को 270-300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। वर्तमान समय में जहां बाजार कई तरह के कीटनाशकों से भरा हुआ है, लेकिन बाजार में उपलब्ध कीटनाशक प्रभावी रूप से कीट को नियंत्रित करने में असमर्थ है। वहीं कंपनी ने ब्लैकबेल्ट को अत्याधुनिक तकनीक के साथ बाजार में उतारा है, जो इन कीटों के नियंत्रण के लिए काफी प्रभावशाली है। ब्लैकबेल्ट एक व्यापक स्पेक्ट्रम का है जो तेजी से कार्रवाई करती है और साथ ही लंबी अवधि के नियंत्रण के लिए भी सक्षम है। यह आसानी से उपयोग करने वाला उत्पाद है। पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है, क्योंकि यह कोई अवशेष नहीं छोड़ता है और मानव हितैषी भी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुमिल कैमिकल्स लिमिटेड के एमडी बिमल शाह ने बताया कि वैश्विक चावल उत्पादन और निर्यात में भारत एक प्रमुख देश है, क्योंकि हम बहुत अधिक मात्रा में चावल का उत्पादन करते हैं, लेकिन प्रति एकड़ हमारी उत्पादकता कई अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। इसके कई कारक हैं जिनमे प्रमुख कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए हानिकारक कीटनाशक का इस्तेमाल काफी हद तक जिम्मेदार है। क्योंकि इन कीटनाशकों का अवशेष फसलों के उत्पाद में भी आ जाता है। लेकिन कंपनी द्वारा लॉन्च ड्राई कैप तकनीक पर आधारित ब्लैकबेल्ट दो कृषि रसायनों को एक साथ सम्मलित करने में सक्षम है, जो बाजार में सामान्य उच्च विषाक्तता वाले तरल फॉर्मूलेशन को प्रतिस्थापित कर सकता हैं। अतः इससे निजात पाने के लिए समय पर रोग एवं कीटों की रोकथाम कर इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
धान की फसल में तनाछेदक कीट की पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है। इसके मादा कीट का अग्र पंख पीलापन लिए हुए होता है जिसके मध्य भाग में एक काला धब्बा होता है। कीट के पिल्लू तना के अंदर घुसकर मुलायम भाग को खाता है। जिसके कारण गभ्भा सूख जाता है। बाद की अवस्था में आक्रान्त होने पर बालियां सफेद हो जाती हैं, जिसे आसानी से खींचकर बाहर निकाला जा सकता है।
तना छेदक कीट पर नियंत्रण करने के लिए खेत में 8.10 फेरोमोन टैप प्रति हेक्टेयर एवं बर्ड पर्चर लगाने की सलाह दी जाती है। खेत में शाम के समय प्रकाश फन्दा साथ ही, कार्बाफ्यूरान 3 जी दानेदार 25 किलोग्राम या फिप्रोनिल 0.3 जी 20.25 किलो अथवा कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी दानेदार 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर सेए खेत में नमी की स्थिति में व्यवहार किए जाने की सलाह दी जाती है और कुछ दिनों बाद की स्थिति में एसिफेट 75 प्रतिशत एसपी का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव किये जाने की सलाह दी जाती है।
ट्रैक्टरगुरु आपको अपडेट रखने के लिए हर माह महिंद्रा ट्रैक्टर व वीएसटी ट्रैक्टर कंपनियों सहित अन्य ट्रैक्टर कंपनियों की मासिक सेल्स रिपोर्ट प्रकाशित करता है। ट्रैक्टर्स सेल्स रिपोर्ट में ट्रैक्टर की थोक व खुदरा बिक्री की राज्यवार, जिलेवार, एचपी के अनुसार जानकारी दी जाती है। साथ ही ट्रैक्टरगुरु आपको सेल्स रिपोर्ट की मासिक सदस्यता भी प्रदान करता है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y