देश की आधी से ज्यादा आबादी खेती व्यवसाय से ही पैसे कमाती है। और अपने परिवार का भरण पोषण करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्रचीन काल से ही पांरपरिक योजनाबद्ध खेती से खाद्यान उत्पादन की मांग को पूरा करते आ रहे है। लेकिन तेजी से बढ़ती जनसंख्या दर से योजनाबद्ध खेती से खाद्यान उत्पादन की मांग को पूरा करना बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। तेजी से बढ़ती हुए खाद्यान उत्पादन की आपूर्ति के लिए खेती में पैदावार को बढ़ना होगा। लेकिन पैदावार को बढ़ाने के लिए मिट्टी का स्वस्थ्य रहना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। जिस प्रकार मानव को स्वस्थ्य रहने के लिए सही पोषक तत्वों की जरूर होती है, ठीक उसी प्रकार खेती से बेहतर पैदावार हासिल करने के लिए मिट्टी को भी पोषक तत्वों की जरुर पड़ती है। पौधों के अच्छे और सही विकास के लिए लगभग कुल 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों का भूमि के लिए संतुलित मात्रा में होना आवश्यक है जिससे अधिक पैदावार करके लाभ उठाया जा सके। खेत की मिट्टी संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों को बनाए रखने एवं खेत से बेहतर पैदावार के लिए मिट्टी जांच करवाना बेहद जरूरी हो जाता है। इस मिट्टी जांच से पता चलता है कि खेत की भूमि में किस पोषक तत्व की मात्रा संतुलित है एवं किस पोषक तत्व की मात्रा कम या अधिक है। इस लिए अपने खेत की मिट्टी की जांच समय-समय पर करते रहे। मिट्टी जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमन्त्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भी चलाई जा रही है। आईए ट्रैक्टगुरु के इस लेख से जानते है कि क्यों है मिट्टी की जांच करना जरूरी और मिट्टी जांच के क्या होता है लाभ।
खेती से कम लागत, मेहनत और समय में उन्नत पैदावार लेने के लिए उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करना पड़ता है। संतुलित मात्रा में प्रयोग के लिए मिट्टी की जांच करवाना जरूरी हो जाता है। मिट्टी जांच से पता चल जाता हैं कि खेत की मिट्टी में किस पोषक तत्व की मात्रा में कमी हुई है और किसी तत्व की मात्रा अधिक है एवं किस पोषक तत्व की मात्रा संतुलित है। किसी भी फसल से उन्नत पैदावार के लिए यह जानना जरूरी है कि उस फसल के लिए भूमि उपयुक्त हैं या नहीं। जिस भूमि पर फसल को उगाया जाएगा। उस भूमि में फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध है या नहीं। यह सब भूमि की मिट्टी जांच से ही पता चल सकता है। इस लिए उन्नत पैदावार के लिए खेत की मिट्टी की जांच करना आवश्यक होता है। मिट्टी जांच से खेती की लागत में कमी आती है और पैदावार भी बेहतर मिलता है।
मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा को संतुलित बनाए रखने के लिए मिट्टी की जांच जरुरी है। क्योंकि इससे हमें मिट्टी की परिस्थति के बारे में पता चलता है। मिट्टी परीक्षण के लिए केंद्र सरकार ने साल 2015 में प्रधानमंत्री सॉयल हेल्थ कार्ड योजना (Prime Minister Soil Health Card Scheme) को लॉन्च किया था। जिसका प्रमुख उद्देश्य खेत मिट्टी की जांच करना है। एवं इस जांच के अनुसार मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है उन पोषक तत्वों को उपलब्ध करवाना है। कृषि क्षेत्र में मृदा की जांच के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू इस योजना की थीम ’स्वस्थ धरा, खेत हरा’ है। इसे थीम को योजना को शुरू करते समय निर्धारित कर दिया गया था।
कृषि क्षेत्र में मृदा की जांच के लिए चलाई जा रही सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को हर दूसरे साल मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। जिससे किसानों को पता चल सके कि उनके खेतों की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है। एवं स्वास्थ्य कार्ड रिपोर्ट के अनुसार किसान उस कमी को दूर कर उपज बढ़ा सके। किसानों के खेत की मृदा में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी आयी है, इसकी जांच कर एक रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है। यह रिपोर्ट कार्ड तैयार कर किसान को दिया जाता है, जिसके अनुसार किसान अपनी मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने हेतु सही खाद उचित मात्रा में इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। इस सॉयल हेल्थ कार्ड योजना से खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरकता सुधार जाती है, जो की उसकी पैदावार के लिहाज से काफी अच्छा है।
खेत की मृदा में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी आयी है, इसे जानने के लिए हर दो साल के पश्चात खेतों की मिट्टी की जांच करना जरूरी है। इस जांच से मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में उपस्थित हैं, इसकी जानकारी किसानों को मिल जाती है। खेत में बोई जाने वाली फसलों को कितनी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर इस्तेमाल कर सकते है। खेत की मिट्टी की जांच फसल बुवाई से एक या दो महीने पहले करवाएं। खेतों की मिट्टी में पोषक तत्व की जांच मुख्यतः दो समस्याओं के आधार पर किया जाता है। जिसमें पहला फसल व फल वाले वृक्षों के पोषक तत्वों के लिए एवं दूसरा आम्लीय व क्षारीय मिट्टी में सुधार के लिए मिट्टी कि जांच किया जाता है।
खेत की मृदा जांच से किसानों को पता चलता है कि उनके खेत की मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वा की मात्रा अधिक या कम है। इस जांच रिपोर्ट कार्ड के अनुसार मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने हेतु सही उर्वरक उचित मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है। यदि मिट्टी की जांच के बिना उर्वरक एवं अन्य पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है, तो सम्भावना है कि खेत में उसकी जरूरत से अधिक या कम उर्वरक एवं अन्य पोषक तत्वों का इस्तेमाल हो जाए। आवश्यकता से कम उर्वरक एवं अन्य पोषक तत्वों डालने पर कम उपज मिलेगी और अधिक डालने पर भूमि खराब होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए फसल की बुवाई या रोपाई से पहले मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। खेत का नमूना अलग अलग स्थानों से लेना चाहिए। नमूना लेने के लिए लगभग आधा से एक फुट का गहरा गड्ढा खोद कर खुरपे या अन्य किसी उपकरण की सहायता से सभी स्थानों से नमूना इकट्ठा कर ले और इनको किसी बाल्टी या टब में अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद नमूने वाली मिट्टी को साफ थैली में डाल लें।
मृदा जांच हेतु लिए गए नमूने वाली थैली पर नाम, पता, तहसील व जिले का नाम खेत का खसरा नम्बर भूमि सिंचित है या असिंचित, आदि डाल कर सावधानिपूर्वक अपने स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक या नजदीकी कृषि विभाग में जमा करवा सकते हैं। वहीं, अपने नजदीकी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में नमूना जांच के लिए दे सकते हैं जहां पर इसकी जांच मुफ्त में की जाती है। बता दें कि केंद्र सरकार ओर से चलाई जा रही सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत पूरे देश भर में करीब 11 हजार 531 सॉयल टेस्टिंग लैब खोले गए हैं।
Ans. खेत की मृदा में मौजूद पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा जानने के लिए खेतों की मिट्टी की जांच करना जरूरी है। जांच से पता चलता है कि भूमि में कौन सा पोषक तत्त्व उचित, अधिक या कम मात्रा में है।
Ans. खेतों से अधिक पैदावार व लाभ लेने के लिए उर्वरको का संतुलित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है। उर्वरकों का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने हेतु मिट्टी का परीक्षण करवाना आवश्यक है।
Ans. मृदा जांच हेतु किसानों को मिट्टी नमूने को अपने स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक या नजदीकी कृषि विभाग के मिट्टी जांच प्रयोगशाला में नमूना जांच के लिए लाना होता है। जांच मुफ्त में की जाती है। मिट्टी की जांच करने के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है।
Ans. खेत में फसल की बुवाई या रोपाई से एक महीने पहले मिट्टी का सैंपल लेना चाहिए। सैंपल अलग अलग स्थानों से लेना चाहिए। सैंपल लेने के लिए भूमि के उपर से घास-फूस साफ करें। भूमि की सतह से लगभग आधा से एक फुट का गहरा गड्ढा खोद कर खुरपे या अन्य किसी उपकरण की सहायता से सभी स्थानों से नमूना इकट्ठा कर ले और इनको किसी बाल्टी या टब में अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद नमूने वाली मिट्टी को साफ थैली में डाल लें।
Ans. जांच मुफ्त में की जाती है।
Ans. प्लास्टिसिटी टेस्ट, थंब पेनिट्रेशन टेस्ट और पॉकेट पेनेट्रोमीटर टेस्ट जैसे सामान्य तरीकों का उपयोग करके मिट्टी का परीक्षण किया जाता है।
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