भारत में पिछले कुछ वर्षों से किसान खेती में मुनाफेदार बागवानी फलों की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं। इसमें दुर्लभ, महंगी और नकदी फलों की खेती में रूची दिखा रहे हैं। बाजार की मांग के अनुसार नकदी फलों की खेती कर जमकर पैसा कमा रहे हैं। ऐसे में कई लोग नौकरी को छोड़ खेती से संबंधित व्यवसाय को शुरू करने का मन बना रहे है। क्योंकि बाजार में भी फलों की मांग हर समय ज्यादा होती है और फलों की कीमत भी अच्छी खासी होती है। ऐसी ही मुनाफेदार फलों की खेती में कीवी फल भी शामिल है, जो मौजूद औषधीय गुणों की वजह से मशहूर है। कीवी एक विदेशी फल है, जिसने अपने औषधीय गुणों के कारण भारतीय लोगों के खान-पान में जगह बना ली है। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधी प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। कीवी में भरपूर मात्रा में विटामिल सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। कीवी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ कई बीमारियों में फायदेमंद है। कीवी में मौजूद औषधीय गुणों की वजह से देश और दुनिया में इसकी बहुत ज्यादा मांग है। इसी कारण भारत में किसानों के बीच इसकी खेती का ट्रेंड तेजी में रहा है। किवी फल अपने औषधीय गुणों बाजार में अच्छे दाम पर बिकता हैं, जिसकी वहज से इसकी खेती कम लागत पर किसानों को अच्छा मुनाफा दिलावा सकती है। तो आईए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से जानते हैं कीवी की खेती के बारे में।
कीवी एक विदेशी फल है, जो मूलतः चीन का फल माना है। चीन को कीवी फल का जन्मदाता कहा जाता है। चीन में इसे चाइनीज गूजबैरी कहा जाता है। वर्तमान समय में न्यूजीलैंड इस फल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विदेशों में कीवी की खेती न्यूजीलैंड, इटली, अमेरिका, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, चिली और स्पेन में व्यापक रूप से की जाती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत में कीवी की मांग बढ़ी है जिस कारण इसकी मांग को देखते हुए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल, उत्तरप्रदेश, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, अरूणाचलप्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े स्तर पर हो रही है। यहां के किसान इसकी खेती से लखपति बन रहे है।
कीवी अपने सुंदर रंग व विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम और फोलेट की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। इस फल में रोंएदार बाल होते हैं, जिसके कारण इसे न तो बंदर खाते हैं और न ही अन्य जानवर इस फल को खराब करते हैं। यह फल अपने स्वाद के लिए जाना जाता है, क्योंकि यह थोड़ा खट्टा फल होता है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम, विटामिन ई, सोडियम, फाइबर, कॉपर और एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा भी पायी जाती है, जो शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है। यह अनेक प्रकार की बीमारियों के लिए भी अधिक लाभकारी है। जिसमें डेंगू, मलेरिया और संक्रमित रोग आदि कई बीमारी शामिल है। औषधीय गुणों की वजह से डॉक्टर मरीजों को कीवी के फलों के सेवन का सलाह देते हैं। लोग धीरे-धीरे सेहत के लिए बेहद लाभदायक कीवी जैसे थोड़े खट्टे फलों को भी पंसद करने लग गए है। इसलिए इसके फल की बाजार में सबसे अधिक मांग होती है। ऐसे में आप इसकी खेती से लाखों की कमाई कर सकते है।
कृषि जानकारों के अनुसार कीवी फल में कई गुना पोषण लाभ और वाणिज्यिक उत्पादन और निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं। कीवी फल फसल सुरक्षा के हिसाब से तो बेहतर है ही बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस फल में बीमारियां न के बराबर होती है, जिससे इसकी लागत बहुत कम होती है। यह फल बड़ी तेजी से किसानों के बीच ख्याति पा रहा है। इस फल में एक बार पक्का स्ट्रक्चर लगाने के बाद तीसरे से चौथे साल में अच्छी आमदनी होना शुरू हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को भी कीवी की खेती की ओर रूख करना चाहिए इससे उन्हें फसल सुरक्षा की चिंता से तो छुटकारा मिलेगा साथ ही कृषि में बढ़ती लागत से भी छूटकारा मिल जाएगा।
कीवी फल की खेती के लिए हल्की अम्लीय और गहरी दोमट मिट्टी में कीवी की खेती के लिए अच्छी रहती है। लेकिन इसकी व्यवसायिक खेती के लिए उचित जल निकास वाली जीवांश से भरपूर बलुई दोमट वाली भूमि जिसका पीएच मान 5 से 6 के मध्य हो ऐसी भूमि इसकी खेती के लिए उचित है। कीवी के लिए शीतोष्ण और हल्की उपोष्ण जलवायु उपयुक्त हैं। कीवी के पौधे 15 डिग्री तापमान पर अच्छे से अंकुरित होते है, और तथा पौधों पर फल विकास के लिए 5 से 7 डिग्री तापमान चाहिए होता है।
कीवी के पौधों की रोपाई पौधे के रूप में की जाती है। इसके लिए नर्सरी में बीजो को लगाकर पौध तैयार कर ली जाती है। नर्सरी में बीज बोने के लिए एक मीटर चौड़ी व पांच मीटर लंबी क्यारियां बना लें। प्रत्येक क्यारी में खूब सड़ी गली गोबर की खाद मिलाकर व पानी लगाकर 15-20 दिन पहले छोड़ देते हैं।
बीज को 3 ग्राम कैप्टान दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचार करके 15 सेमी. दूरी पर दो सेमी. गहरा बोएं। कीवी की कलम लगाने के लिए बालू, सड़ी खाद, मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और कोयले का चूरा 2ः2ः1ः1 के अनुपात उचित रहता है। इसके अलावा आप कीवी के पौधे बडिंग, ग्राफ्टिंग और लेयरिंग विधि से भी तैयार कर सकते हैं।
कीवी की खेती के लिए पहले खेत तैयार करे मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की गहरी जुताई कर दे। खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर बना ले। कीवी की खेती में इसके पौधो की रोपाई के लिए एक महीने पहले दो से 4 मीटर की दूरी पर 50 गुणा 50 गुणा 50 सेमी. गड्ढे खोदकर उनमें गोबर की खाद व मिट्टी की बराबर मात्रा मिलाकर भरें तथा सिंचाई करें ताकि मिट्टी बैठ जाए। फिर दिसम्बर, जनवरी माह में एक गड्ढे में पौधे लगाएं। कीवी के पौधे की गर्मियों में हर तीन से चार दिन के अंतराल में पानी दे और सर्दियों में 10-15 दिन बाद सिंचाई करते रहें। एक वर्ष में इसके पौधों को 18 से 20 सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
कीवी की खेती में लागत बहुत कम आती है और मुनाफा सबसे अधिक होता है, लेकिन कीवी की खेती से अच्छी पैदावार के लिए किसानों के बस इसकी फसल में डायवर्सिफाई का बेहद ध्यान रखना होता है। कीवी के एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 400 से अधिक पौधों को लगाया जा सकता है। इसके एक पौधे से 90 से 100 किलोग्राम तक फलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। कीवी का पौधा रोपाई के 4 वर्ष बाद फसल देना आरम्भ कर देता। इसके फलों कीमत की बाजार में 200 से 300 रूपए प्रति किलो के हिसाब से होती है। इस हिसाब से किसान इसकी खेती से करीब 15-20 लाख रूपए तक की सालाना कमाई कर सकते है।
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