सफेदे की खेती से करें औसतन सालाना 10 लाख रुपये की कमाई

पोस्ट -01 दिसम्बर 2022 शेयर पोस्ट

जानें, सफेदे की खेती करने के तरीके और मार्केट वेल्यू

अगर किसान हैं तो जरा लीक से हटकर खेती करना सीखिए। जागरूक किसान आजकल परंपरागत खेती छोड़ कर आधुनिक कृषि के तौर-तरीके अपना रहे हैं। वैज्ञानिक ढंग और मार्केट वेल्यू के हिसाब से खेती करने से आपकी कमाई कई गुना अधिक बढ़ जाएगी। भारत में यूकेलिप्टस यानि सफेदे की खेती अनेक किसान देखते-देखते संपन्न बन गए। देश के बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल आदि क्षेत्रों में सफेदे की खेती व्यापक रूप से की जाने लगी है। इसे वनस्पति विज्ञान में नीलगिरी भी कहा जाता है। यह पौधा इतनी तेजी बढ़ता है कि पांच साल में ही किसानों को मालामाल कर सकता है। इसकी कई प्रजाति के पौधों की लंबाई 322 फुट तक हो जाती है। इन्ही में एक है यूकेलिप्ट रेंगनेस है। यहां आपको ट्रैक्टर गुरू के इस आर्टिकल में नीलगिरी या सफेदे की खेती की फुल जानकारी प्रदान की जाएगी। इसे अवश्य पढ़ें और शेयर करें।

सफेदे की खेती में लागत और कमाई का गणित

आप सोच रहे होंगे कि नीलगिरी या सफेदे की खेती करने में बहुत अधिक लागत आती है। ऐसा नहीं है। लागत के हिसाब से कमाई ज्यादा होती है। 1 हेक्टेयर में नीलगिरी के 3 हजार पौधे रोपे जा सकते हैं। इनकी खरीद में करीब 21 हजार रुपये का खर्चा आता है। इसमें अन्य खर्च को भी जोड़ें तो लगभग 25 हजार रुपये कुल लागत होगी। पांच साल बाद ये पौधे आपको प्रति पौधे के हिसाब से 400 केजी लकड़ी (सफेदे की बल्लियां) की पैदावार देंगे। इस लागत के मुकाबले आप 5 साल में खर्चा काट कर 60 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं।

अंतर फसल भी ले सकते हैं

सफेदे की खेती में जब पौधे बड़े हो जाएं तो आप इनके बीच अंतराल में हल्दी, अदरक आदि जमीकंद वाली लाभदायक फसलें भी पैदा कर सकते हैं। यह दोहरा लाभ होगा।

सफेदे की खेती के लिए सबसे पहले करें जमीन का चयन

अगर आपको सफेदे की खेती करनी है तो सबसे पहले जमीन का चयन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है। यह जमीन ऐसी हो जहां पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी पहुंचती हो, हवा का आवागमन सही तरीके से रहे और जल का स्थायी ठहराव नही हो। तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए। दोमट किस्म की मिट्टी अधिक उपजाऊ रहती है। सफेदे को दो तरह से उगा सकते हैं। बीजों से और कलम लगा कर। कलम वाली विधि ज्यादा अच्छी रहती है। इसकी खेती का समय जून से अक्टूबर तक रहता है।

ऐसे करें पौधे रोपने की तैयारी

सफेदे के पौधों की रोपाई करने के लिए सबसे पहले ट्रैक्टर के प्लाऊ मशीन की सहायता से खेती गहरी जुताई कर लें। इसके बाद कल्टीवेटर चला कर दो आडी-तिरछी जुताई करें। खेत यदि समतल नहीं हो तो इसे समतल बना लें। इसके बाद 5 फीट की दूरी पर एक एक फीट चौड़ाई और गहराई के हिसाब से गड्ढे बना लें। यह काम इनमें पौधे लगाने से बीस दिन पहले पूरा कर लेना चाहिए। इसी दौरान इनमें उचित मात्रा में गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें। खाद के अलावा इनमें 200 ग्राम प्रति गड्ढे के हिसाब से एन.पी. मात्रा मिला देनी चाहिए।

सफेदे की नर्सरी कैसे करें तैयार?

सफेदे की पौधशाला तैयार करना भी आपके लिए कमाई का अच्छा जरिया बन  सकता है। इसके लिए इसकी बेहतरीन किस्म के बीजों को पॉलिथीन में लगाया जाता है। इसमें गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर रखें और इसमें बीज दबा दें। पौधे अंकुरित होने पर इन्हे जमीन में लगा दें। करीब 6 महीने के पौधों को अटैचमेंट के लिए तैयार हो जाते हैं। वैसे सफेदे की खेती के लिए यदि  पौधे रोपने हों तो एक साल पुराना पौधा ज्यादा लाभदायक होता है। नीलगिरी की अच्छी किस्मों में नीलगिरी ओब्लिव्का, डेली गेटेंसिस, डायवर्सीकलर, नीलगिरी निटेंस, नीलगिरी ग्लोब्युल्स आदि प्रमुख हैं।

सफेदे की खेती में सिंचाई और देखभाल

सफेदे के पौधों को खेत में लगाने के बाद इनकी सिंचाई मौसम के अनुसार करें। गर्मियों में वीक में तीन बार भी सिंचाई की जा सकती है वहीं सर्दियों में सिंचाई पंद्रह दिन में करें। बारिश के दिनों में सिंचाई की जरूरत बहुत कम होती है। पौधों के संपूर्ण विकास तक लगभग 25-26  सिंचाई की जा सकती है। इसी तरह पौधों की देखभाल करते रहें। इनमें दीमक का प्र्रकोप हो सकता  है। इसके अलावा किंक बनने से तना और पत्ते खराब होने लगते हैं। तनहाई रोग के कारण भी पौधे नष्ट हो सकते हैं। ऐसे में कीटनाशक दवा का छिडक़ाव किया जा सकता है। दीमक लगने पर निंबीसाइड 2 एमएम 1 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें। 

सफेदे के मुख्य प्रोडक्टस

नीलगिरी या सफेदे से कई कीमती उत्पाद मिलते हैं। इससे इमारती लकड़ी के अलावा क्रेंक से एक प्रॉम्प्ट उडने वाला तेल, यूकेलिप्ट ऑयल, गोंद आदि मिलता है। बाजार में इनकी खासी डिमांड रहती है।

सफेदे की खेती के लिए अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब:

सवाल-1. नीलगिरी क्या है इसकी खेती के क्या फायदे हैं?

जवाब- नीलगिरी को यूकेलिप्ट्स या सफेदा भी कहा जाता है। इसकी खेती से हर पांच साल में प्रति हेक्टेयर 50 से 60 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं।

सवाल-2. सफेदे के पौधों की बढ़त के लिए कितना तापमान जरूरी है?

जवाब- 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए।

सवाल-3. सफेदे की खेती के लिए कैसी मिट्टी चाहिए?

जवाब- दोमट या चिकनी मिट्टी।

सवाल- 4. सफेदे की खेती कौन-कौन से प्रदेशों में ज्यादा की जाती है?

जवाब- बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों में सफेदे की खेती व्यापक रूप से की जाती है।

सवाल- 5. सफेदे की प्रमुख उन्नत किस्मों के नाम बताइए?

जवाब- इसकी अच्छी किस्मों में नीलगिरी ओब्लिव्का, डेली गेटेंसिस, डायवर्सीकलर, नीलगिरी निटेंस, नीलगिरी ग्लोब्युल्स आदि प्रमुख हैं।

सवाल-6. सफेदे की खेती के लिए पौधों के विकास होने तक कितनी सिंचाई आवश्यक है?

जवाब- इसके लिए 25-26 सिंचाई करना जरूरी है?

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