Palm farming subsidy : गिरते जल स्तर एवं घटती कृषि जोत को देखते हुए सरकार द्वारा खेती की नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही कम पानी में होने वाली फसलों के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उनकी आमदनी को बढ़ाया जा सकें। इस बीच हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने अधिकारियों को किसानों को वर्टिकल फार्मिग के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। राज्य में घटती कृषि जोत को देखते हुए कृषि मंत्री द्वारा यह निर्देश दिए गए है, जिससे किसान कम क्षेत्र में अधिक आमदनी हासिल कर सकेंगे। “एकीकृत बागवानी विकास मिशन” के अंतर्गत गठित “हरियाणा राज्य बागवानी विकास” (Haryana State Horticulture Development) एजेंसी की जनरल बॉडी की दूसरी बैठक में कृषि मंत्री ने यह निर्देश दिए। साथ ही प्रदेश में खजूर की खेती को बढ़ावा भी दिया जा रहा है, जिसके लिए सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर 1.60 लाख रुपए तक का अनुदान भी दे रही है। आइए, “खजूर की खेती कैसे करें” के बारे में सभी संबंधित जानकारी को जानें?
बैठक में कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इजराइल और जापान की तर्ज पर किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों (Modern agricultural techniques) से अवगत कराएं, जिससे वे कम पानी और कम रासायनिक खाद-उर्वरक से कृषि की बेहतरीन पैदावार ली जा सके। उन्होंने अधिकारियों को बजट का पूर्ण रूप से सदुपयोग करने की हिदायत दी है। इसके लिए लक्ष्य बना कर कार्य करें और उसको निर्धारित अवधि में पूरा करने के लिए भी कहा है। मंत्री ने बागवानी के क्षेत्र में वृद्धि करने के निर्देश देते हुए कहा कि कृषकों की सब्सिडी जल्द ही उनके डीबीटी लिंक बैंक खाते में स्थानांतरित हो जानी चाहिए। बैठक में उन्होंने बताया कि राज्य में विभिन्न सब्जी और फलों के लगभग 400 क्लस्टर चिन्हित किए गए हैं, जिनमें पैक हाउस हेतु किसानों एवं किसान समूहों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा।
बैठक में कृषि मंत्री राणा ने कहा कि, प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में कम पानी में खजूर की खेती करने पर जोर दिया जा रहा है। किसानों को इसके लिए लगातार प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। “एकीकृत बागवानी विकास योजना” (MIDH) के तहत कवर की जा रही खजूर की खेती (Date cultivation) के लिए 1 लाख 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा, हरियाणा में मशरूम की परियोजनाओं पर भी बल दिया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश के सोनीपत जिला में मशरूम क्लस्टर विकसित (Mushroom cluster developed) किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य जिलों में भी किसानों को मशरूम की खेती (Mushroom Farming) करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) योजना के तहत पिछले तीन वर्षों की वित्तीय रिपोर्ट की समीक्षा की, इसके साथ ही श्रेणीवार बजट की उपलब्धता व खर्च की भी जानकारी ली। उन्होंने बीज उत्पादन, नए बागों की स्थापना एवं प्रथम और द्वितीय वर्ष में बागों के रखरखाव, खुम्ब प्रोजेक्ट, बागवानी मशीनीकरण, उत्कृष्टता केंद्र, मधुमक्खी पालन समेत अन्य मदों की भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धि की भी समीक्षा की और एकीकृत बागवानी विकास परियोजनाओं से किसानों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
खजूर की खेती एक शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु वाली है। इसकी खेती के लिए रेतीली, बलुई दोमट मिट्टी वाली भूमि सबसे उपयुक्त होती है। भूमि का पी.एच. मान 8 से 9 के बीच होना चाहिए। खजूर के पौधे मिट्टी में 3 से 4 प्रतिशत तक क्षारीयता सहन कर सकते है। यानी इसकी खेती उन भूमि पर भी आसानी से की जा सकती है, जहां ज्वार, बाजारा, रागी, गेहूं, जौ, सरसों और मक्का जैसे पारंपरिक फसलों की संभावन नहीं होती है। भारत में राजस्थान के जैसलमेर, बारमेर, बीकानेर, व जोधपुर जैसे क्षेत्रों की जलवायु में खजूर की (Date Palm Farming) खेती होती है, जबकि हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्र की जलवायु इसकी खेती उपयुक्त है।
अगर आप खजूर की खेती लगाना करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की उपयुक्त तैयारी करना बेहद आवश्यक है। खजूर की खेती के लिए शुरुआत में खेत की गहरी जुताई करें, ताकि पुरानी फसलों के अवशेष और खरपतवार की जड़ें मिट्टी में मिल जाए। मिट्टी पलटने वाले हल जैसे- कल्टीवेटर, मोल्ड बोर्ड हल, डिस्क हल, स्प्रिंग टाइन हल से 2 से 3 बार जुताई करें, ताकि मिट्टी की कठोर परत टूट जाए। इसके बाद रोटावेटर जैसे कृषि यंत्रों की मदद से खेत की मिट्टी की जुताई करके उसे भुरभुरा व समतल बना लें, ताकि सिंचाई के समय पानी का समान वितरण हो। अगर भूमि में ढलान है, तो जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
खजूर के पौधरोपण से पहले तैयार खेत में 1x1x1 मीटर आकार के गड्ढे खोदें। हर पौधे के बीच कम से कम 8-10 मीटर की दूरी रखें ताकि पौधों को पर्याप्त धूप और स्थान मिल सके। 20-25 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, कृषि विशेषज्ञ के सुझाव पर सुपर फॉस्टेट व क्यूनालफॉस या फैनवलरेट चूर्ण का मिश्रण पर्याप्त मात्रा में बनाकर तैयार गड्ढों में डाल दें। साथ ही इसमें नीम खली भी मिलाएं। इसके बाद गड्ढे में पानी भर दें। बीज के माध्यम से खजूर के पौधे तैयार करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस प्रकार पौधे तैयार करने पर नर व मादा पौधा का अनुपात 50-50 फीसदी रहने का अनुमान रहता है और पौधे देर से विकसित होते हैं। सकर्स (अंतःभूस्तारी) से तैयार किए गए पौधे बीज द्वारा तैयार पौधों की तुलना में 2 से 3 साल पहले फल देने के लिए तैयार हो जाते है, जबकि टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधों की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, और ये फल देने के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं।
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