Mushroom Farming : देश में कई राज्य सरकारें मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, जिसके लिए कई योजनाएं लागू कर किसानों को मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) के लिए विशेष प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दे रही है। कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें किसानों को बेहतर मशरूम उत्पादन के तौर-तरीके सिखाए जा रहे हैं। किसानों को मशरूम किट सब्सिडी (Subsidy) पर उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे उनको आर्थिक मदद मिल रही है। इस कड़ी में बिहार राज्य के कृषक अवधेश मेहता ने कृषि क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है, उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़ मशरूम (Mushroom) का उत्पादन करना शुरू किया। इससे कम समय में बेहतर मुनाफा पाकर वे आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि सही कार्य योजना, आधुनिक तकनीक और मेहनत से मशरूम की खेती फायदेमंद है। किसान अवधेश मेहता बिना किसी खेत के मशरूम की खेती से कम लागत पर हर महीने 50 हजार रुपए तक की कमाई कर रहे हैं। राज्य योजना के तहत उन्हें मशरूम कीट के लिए सरकार से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई है।
किसान अवधेश मेहता का कहना है कि सरकार राज्य में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। राज्य उद्यान विभाग द्वारा मशरूम संबंधित योजना (2024-25) लागू की गई है। इस योजना के तहत मशरूम किट के लिए लाभार्थी किसानों को 90 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। उद्यान निदेशालय, बिहार कृषि विभाग के अनुसार, मशरूम किट वितरण योजना (Mushroom Kit Distribution Scheme) के तहत राज्य के किसान मशरूम की किट के लिए इकाई लागत 60 रुपए पर 90 फीसदी अनुदान ले सकते हैं। इसका मतलब इस योजना के तहत किसानों को मशरूम किट के लिए सिर्फ 6 रुपए ही खर्च करने होंगे। मशरूम किट वितरण योजना (राज्य योजना) में किसानों को न्यूनतम 25 और अधिकतम 100 मशरूम किट दी जाएगी।
प्रगतिशील किसान अवधेश मेहता ने बताया कि मशरूम के उत्पादन के लिए खेत की जरूरत नहीं है। आप इसकी खेती अपने घर के किसी एक कमरे में भी शुरू कर सकते हैं। उन्होंने मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) की शुरुआत सिर्फ 12 हजार रुपए के निवेश से की। किसान ने इसके लिए 200 बैग तैयार किए, इन बैग को तैयार करने पर उनकी लागत 60 रुपए प्रति बैग आई। एक बैग से उन्हें 1-1.5 किलो मशरूम उत्पादन मिला। वर्तमान में मशरूम 250 रुपए प्रति किलो के भाव से बाजार में बिक रहा है, जिससे उन्हें 200 बैग से 50 हजार रुपए तक की कमाई हो रही है। कम लागत में अधिक मुनाफे की यह मॉडल खेती वर्तमान में किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। किसान अवधेश की सफलता से प्रेरित होकर क्षेत्र के 15 अन्य किसान भी मशरूम की खेती में जुट गए हैं।
किसान अवधेश ने कहा, पारंपरिक खेती के मुकाबले मशरूम की खेती कम स्थान और कम लागत में आसानी से की जा सकती है। इस कारण मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन रहा है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसे सीखकर कोई भी किसान इस करोबार को शुरू कर सकता है। मशरूम के उत्पादन के लिए ठंडी और नमीयुक्त जगह की जरूरत होती है। बीज को पुआल या गेहूं की भूसी में मिलाकर बैग तैयार किए जाते हैं। 20 से 25 डिग्री पारा व 80 से 85 प्रतिशत नमी की जरूरत होती है। 25 से 30 दिनों में मशरूम की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिसके बाद इसे बाजार में बेचा जाता है। यह खेती न्यूनतम जोखिम में अधिक मुनाफा देने वाली है। किसान पारंपरिक फसलों की खेती के स्थान पर इसे अपनाकर कम समय में अधिक मुनाफा देने वाला बिजनेस सेट कर सकते हैं। अवधेश मेहता पारंपरिक खेती के साथ मशरूम उत्पादन और मछली पालन भी कर रहे हैं।
बिहार कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार, सरकार मशरूम उत्पादन करने वाले किसानों को अनुदान दे रही है। इसके लिए, राज्य योजना के तहत मशरुम किट वितरण योजना (2024-25) हेतु ऑनलाईन आवेदन फॉर्म भरने की प्रकिया चालू है। इच्छुक किसान उद्यान विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए आवेदक को अपने सभी जरूरी दस्तावेज जैसे – आधार कार्ड, बैंक पासबुक, डीबीटी पर किसान पंजीयन संख्या और मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र देने होंगे। एक मशरूम किट का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए जिसमें 100 ग्राम उच्च गुणवत्ता का मशरूम स्पॉन मिला हो। इस योजना अंतर्गत जमीन की अनिवार्यता नहीं है।
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