केंद्रीय कैबिनेट ने देश के किसानों को बड़ी खुशखबरी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) के तहत ब्याज छूट (आईएस) घटक को जारी रखने तथा आवश्यक निधि व्यवस्था को मंजूरी दी। इस योजना के अंतर्गत, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से 3 लाख तक के अल्पकालिक फसल ऋणों पर बैंकों को 1.5% वार्षिक ब्याज अनुदान मिलता रहेगा। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होता है कि समय पर पुनर्भुगतान करने वाले किसानों को 3 फीसदी शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (PRI) सहित सिर्फ 4% की प्रभावी ब्याज दर पर कृषि ऋण मिलता रहेगा। केंद्र सरकार ने किसानों को कृषि लोन पर दी जाने वाले ब्याज अनुदान के लिए 15.6 हजार करोड़ रुपए जारी करने की मंजूरी भी दी है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि वर्तमान ऋण लागत प्रवृत्तियों, औसत एमसीएलआर (वह न्यूनतम ब्याज दर है जो बैंकों को अपनी उधार देने की दर के रूप में तय करनी होती है) और रेपो दर बदलाव को देखते हुए, ग्रामीण और सहकारी बैंकों को सहयोग देने तथा किसानों के लिए कम लागत वाले ऋण तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ब्याज छूट दर को 1.5 % पर बनाए रखना आवश्यक है। कैबिनेट का निर्णय किसानों की आय को दोगुना करने, ग्रामीण ऋण इको-सिस्टम को मजबूत करने और समय पर और सस्ती ऋण पहुंच के माध्यम से कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।
प्रेस रिलीज में बताया गया है कि इस योजना के माध्यम से किसान सिर्फ 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर कार्यशील पूंजी प्राप्त कर सकेंगे। यह वैश्विक स्तर पर सबसे कम दरों में से एक है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत 5 वर्षों तक रिवॉल्विंग क्रेडिट की सुविधा उपलब्ध है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में एक वर्ष तक ब्याज राहत और गंभीर आपदाओं में 5 वर्षों तक राहत मिलती है। अब 76 प्रतिशत कृषि ऋण खाते छोटे और सीमांत किसानों के पास हैं। यह योजना भारतीय कृषि की रीढ़ को सशक्त बनाती है। 2 लाख तक के ऋण के लिए कोई जमानत आवश्यक नहीं है। सरल ऋण उपलब्धता से बेहतर बीज, उर्वरक और उपकरणों का उपयोग संभव है, जिससे उपज और आय में वृद्धि होती है।
बयान में बताया गया है कि संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है, जिसका मकसद किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। केसीसी योजना की संरचना या अन्य घटकों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है। देश में 7.75 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड खाते हैं। इस सहायता को जारी रखना कृषि के लिए संस्थागत ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो उत्पादकता बढ़ाने और छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
योजना के अंतर्गत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक के अल्पकालिक ऋण मिले, जिसमें ऋण देने वाली पात्र संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त, समय पर ऋण चुकाने वाले किसान शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) के रूप में 3 प्रतिशत तक के प्रोत्साहन के पात्र हैं, जिससे किसान क्रेडिट कार्ड ऋणों (kisan credit card loans) पर उनकी ब्याज दर प्रभावी रूप से 4 प्रतिशत हो जाती है। केवल पशुपालन या मत्स्य पालन हेतु लिए गए ऋणों पर ब्याज लाभ 2 लाख रुपए तक लागू है।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से संस्थागत ऋण संवितरण वर्ष 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गया। कुल कृषि ऋण प्रवाह भी वित्त वर्ष 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। संस्थागत ऋण का हिस्सा 75 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जिससे किसानों की साहूकारों पर निर्भरता घटी है। कृषि क्षेत्र के एनपीए 2019 में 8.9 प्रतिशत से घटकर 2023 में 7.2 प्रतिशत हो गए हैं, जबकि केसीसी के एनपीए 2021–22 में 12.66 फीसदी से घटकर 2023–24 में 11.5 फीसदी हो गए हैं। यह बेहतर ऋण प्रदर्शन और वसूली को दर्शाता है।
पारदर्शिता के लिए सरकार ने डिजिटल किसान ऋण पोर्टल (Kisan Rin Portal - KRP) शुरू किया है, जो ब्याज अनुदान दावों की डिजिटल ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है। इससे ऋण वितरण तेज, पारदर्शी और उत्तरदायी बनता है, जिससे किसान और बैंक दोनों लाभान्वित होते हैं। सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा 5 लाख रुपए तक बढ़ाने के अपने बजट 2025 के वादे पर प्रतिबद्ध है। यह प्रस्ताव सक्रिय विचाराधीन है। कैबिनेट निर्णय मौजूदा प्रावधानों के तहत किसानों को सतत सहायता सुनिश्चित करता है। सही मायने में किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के शुभारंभ जैसे डिजिटल सुधारों ने योजना के दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाया है।
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