Krishi Subsidy Scheme : खेती-किसानी को नई ऊंचाईयों तक ले जाने में उन्नत कृषि यंत्रों और उपकरणों की भूमिका बेहद अहम रही है। ट्रैक्टर, रोटावेटर, थ्रेशर, लेजर लेवलर जैसे आधुनिक कृषि उपकरणों ने खेती को पहले से तेज, सटीक और लाभकारी बना दिया है। लेकिन हर किसान के लिए इन यंत्रों की खरीदी करना संभव नहीं होता, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC), हाई-टेक हब फॉर कस्टम हायरिंग और फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना जैसी योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों, कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs), सहकारी समितियों और निजी कृषि उद्यमियों को हायरिंग सेंटरों की स्थापना के लिए अनुदान दिया जाता है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश में निजी कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। किसानों और कृषि उद्यमियों को कस्टम हायरिंग केंद्र योजना के अंतर्गत दस लाख रुपए तक की भारी सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना का लाभ लेकर अपना खुद का व्यवसाय किसानों की सेवा करते हुए अच्छा पैसा कमा सकते हैं। आइए, कस्टम हायरिंग सेंटर योजना क्या है? किसानों को इस योजना में लाभ कैसे मिलेगा? योजना में आवेदन की प्रक्रिया क्या रहेगी के बारे में स्टेप बाय स्टेप जानते हैं।
कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय, मध्यप्रदेश, भोपाल द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए निजी क्षेत्र में कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) स्थापित करने के लिए इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र जैसे ट्रैक्टर, रोटावेटर, थ्रेशर, सुपर सीडर, लेजर लेवलर एवं अन्य आधुनिक सुविधाएं किराये पर उपलब्ध कराना है। खासकर उन छोटे और सीमांत किसानों को, जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती है, जिस वजह से वे इन महंगे कृषि यंत्रों को खरीद पाने में असमर्थ होते हैं, उन्हें कस्टम हायरिंग केंद्र (सीएचसी) से सस्ती दरों पर किराए से यंत्र लाभ प्रदान किया जाता है।
कस्टम हायरिंग सेंटर योजना तहत हितग्राही को स्वयं के गांव में कृषि कार्यों हेतु कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने हेतु अनुदान दिया जाना है। यह योजना “क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड” (Credit Linked Back Ended)” अनुदान सब्सिडी पर आधारित है। इस योजना के तहत कस्टम हायरिंग केन्द्र (CHS) के लिए आवश्यक ट्रैक्टर व अन्य संबंधित सभी कृषि यंत्रों की खरीद लागत पर सभी श्रेणी के आवेदकों को अनुदान राशि 40 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपए तक (जो भी कम हो) दिया जाएगा। अनुदान राशि की गणना “सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन योजना केंद्र सरकार द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 05 मई 2025 में उल्लेखित प्रत्येक यंत्र हेतु दिये गये प्रावधान अनुसार अधिकतम सीमा तक की जाएगी।
निजी क्षेत्र में कस्टम हायरिंग योजना (Custom Hiring Subsidy) में हितग्राही भारत सरकार के “एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड” (ए.आई.एफ.) अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के भी पात्र होंगे। प्रदेश में कुल 1000 कस्टम हायरिंग केन्द्रों (सामान्य के कुल 599, अनुसूचित जनजाति के कुल 189, अनुसूचित जाति के कुल 157 तथा एफपीओ के कुल 52) के जिलेवार आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इच्छुक आवेदक दिनांक 26 मई से 12 जून 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। लॉटरी प्रक्रिया दिनांक 13 जून 2025 को दोपहर 12 बजे होगी और लॉटरी परिणाम उसी दिन शाम 5 बजे तक पोर्टल (www.chc.mpdage.org) पर देखे जा सकेंगे। सफल आवेदकों के दस्तावेजों का सत्यापन एवं बैंक ड्राफ्ट दिनांक 16 से 17 जून 2025 तक प्रात: 10.30 से सायं 5.30 तक जमा किया जाएगा। इस योजना के तहत चयनित आवेदकों को स्वीकृति पत्र प्रदान किया जाएगा, जिसके उपरांत वह बैंक से ऋण प्राप्त कर केंद्र स्थापित कर सकेंगे। आवेदक अधिक जानकारी एवं आवेदन के लिए पोर्टल www.chc.mpdage.org पर संपर्क करें।
योजना के अंतर्गत प्रत्येक आवेदक को आवेदन के लिए धरोहर राशि (डिमांड ड्राफ्ट) 10,000 रुपए बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा कराना अनिवार्य होगा। ऑनलाईन आवेदन के साथ धरोहर राशि के बैंक ड्रा़फ्ट की स्कैन प्रति अपलोड करना होगा। बैंक ड्राफ्ट की मूल प्रति अभिलेखों के सत्यापन के समय संबंधित कार्यालय में जमा कराई जानी अनिवार्य होगी। योजना के तहत उपयुक्त पाए गए आवेदकों की धरोहर राशि केंद्र स्थापना के उपरांत लौटाई जाएगी, लेकिन अगर आवेदक सीएचएस केंद्र स्थापित करने में असफल रहता है, तो धरोहर राशि शासन द्वारा राजसात कर ली जाएगी।
अगर आवेदक को किसी भी प्रकार की समस्या आती है, तो वे दिए गए कृषि विकास विभाग के हेल्पलाइन नंबर या ईमेल से संपर्क कर सकते है :-
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