Automatic Vertical Conveyor Reaper Machines : आगामी 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच रबी सीजन की मुख्य अनाज फसल गेहूं की कटाई (हार्वेस्टिंग) कार्य शुरू हो जाएगा। किसानों द्वारा मजदूरों एवं विभिन्न हार्वेस्टिंग कृषि यंत्रों/मशीनों के उपयोग से फसल कटाई की जाएगी। लेकिन आज के समय में फसल कटाई के दौरान किसानों को मजदूरों की बढ़ती कमी और हार्वेस्टर मशीनों की संख्या कम होने से दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। इससे कटाई में देरी सहित उपज की लागत भी बढ़ रही है, जिसके चलते कई किसान फसल कटाई के लिए रीपर कृषि यंत्र का उपयोग कर रहे हैं। सबसे अधिक किसान रीपर मशीन का उपयोग गेहूं एवं धान जैसी अनाज फसलों की कटाई में करते हैं। इससे न केवल किसानों की फसलों की कटाई समय पर होती है, बल्कि कटाई लागत भी कम हो रही है।
आज बाजार में कई प्रकार के रीपर कृषि यंत्र (Reaper Agricultural Machinery) उपलब्ध हैं, जिसमें स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर, ट्रैक्टर चलित वर्टिकल कन्वेयर रीपर, स्वचालित रीपर शामिल है। खास बात यह है कि इन रीपर मशीनों पर वित्तीय सहायता भी उपलब्ध है। सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाओं के तहत रीपर यंत्र की खरीद लागत पर किसान श्रेणियों के आधार पर अलग-अलग सब्सिडी भी दी जाती है। इसका लाभ उठाकर किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार रीपर कृषि यंत्र खरीद कर उसका फसल कटाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए, जानते हैं कि क्या है स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर कृषि यंत्र, यह फसलों की कटाई कैसे करता है, इस पर सरकार से कितना मिलता है अनुदान?
भारतीय कृषि में जौ, गेहूं, धान और अन्य प्रमुख अनाज फसलों की हार्वेस्टिंग (कटाई) के लिए स्व-चालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर मशीन का उपयोग किसानों द्वारा सबसे ज्यादा किया जा रहा है। इस कृषि यंत्र की मदद से किसान फसलों की कटाई पहले से अधिक कुशलता और कम श्रम लागत के साथ पूरा करने में सक्षम हुए हैं। स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर मशीन (Automatic Vertical Conveyor Reaper Machine) एक स्व-संचालित कटाई कृषि यंत्र है, जो कुशल डीजल या पेट्रोल इंजन से संचालित होती है। यह मशीन फसल कटाई के लिए छोटे और मध्यम किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय कृषि उत्पाद है। स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर कृषि यंत्र अपने पावरफुल इंजन के साथ कुशल तरीके से फसलों की कटाई करती है।
यह एक इंजन चालित रीपर मशीन है, जिसमें किसानों को फसल काटने के लिए यंत्र के साथ पीछे चलना होता है। यह मशीन गेहूं, धान और तिलहन फसलों की कटाई के लिए उपयुक्त है। इस कटाई मशीन में इंजन, पावर ट्रांसमिशन बॉक्स, कटर बार, फसल पंक्ति डिवाइडर सहित कन्वेयर बेल्ट, स्टार व्हील, ऑपरेटिंग कंट्रोल और एक मजबूत फ्रेम लगी होती है, जिसमें बेल्ट पुली के द्वारा इंजन पावर कटर बार और कन्वेयर बेल्ट को प्रेषित की जाती है। यह रीपर मशीन फसल की कटाई करते हुए उसे खड़ी अवस्था में दूसरी तरफ ले जाकर जमीन पर सामान रूप से गिराती है। फसल को व्यक्ति द्वारा आसानी से इकट्ठा कर उसके गट्ठे बनाए जाते हैं। मशीन द्वारा काटी गई फसल का वहन खड़ी दिशा में होने के कारण फसल के बिखेरने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। यह कृषि यंत्र अन्य मजदूरों पर किसान की निर्भरता में कमी करती है, जिससे किसान स्वयं ही इस यंत्र की मदद से अपनी फसल कम समय और लागत में कटाई कर सकते हैं। स्व-चालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर मशीन की कार्य क्षमता 0.25 से 0.30 हेक्टेयर प्रति घंटे की और अनाज हानि 5.0 से 5.9 प्रतिशत की है।
सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर, जिसे वॉक-बिहाइंड टाइप हार्वेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। इस रीपर मशीन से कृषक मजदूरी और कटाई के दौरान आने वाले खर्च की बचत कर सकता है। भारत में सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर (स्वचलित वर्टिकल कंवेयर रीपर) की कीमत तकरीबन 80 हजार से 1.20 लाख रुपए हो सकती हैं। इच्छुक किसान नजदीकी डीलर या निर्माता से मोल भाव कर इस रीपर मशीन को खरीद सकते हैं। सरकार द्वारा इन यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। अगर किसान सरकारी योजना के तहत अनुदान का लाभ लेना चाहते हैं, तो वे अपने ब्लॉक या जिले के कृषि विभाग में आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन कर सकते हैं, जिसके बाद अगर किसान का चयन यंत्र खरीदने के लिए हो जाता है तब वे स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर कृषि यंत्र पर अनुदान के लिए पात्र होंगे।
केंद्र क्षेत्र की योजना सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाईजेशन (SMAM) के तहत राज्यों और केद्र शासित प्रदेशों में कृषि यंत्रों और मशीनों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के अतंर्गत राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न परियोजना लागू कर किसानों को स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर सहित अन्य उपयोगी यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग श्रेणियों के किसानों को अलग-अलग अनुदान लाभ दिया जाता है। योजना के तहत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को कृषि यंत्र की इकाई लागत पर 50 प्रतिशत एवं अन्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत 40-80 प्रतिशत तक भी अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
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