PM Kusum Yojana 2025 : केंद्र सरकार द्वारा देशभर में पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Yojana) चलाई जा रही है, जिसके माध्यम से किसानों को सिंचाई हेतु बिजली उपलब्ध कराने के साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनुदान पर सौर ऊर्जा पंप संयंत्र दिए जाते हैं। ऐसे में इस योजना के तहत राजस्थान राज्य के किसानों को भी लाभ मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा “पीएम कुसुम योजना” के तहत अब तक प्रदेश के लगभग 1 लाख 70 हजार से अधिक किसानों के खेत में सौर पैनल आधारित कृषि पंपसेट स्थापित किए जा रहे हैं। जिन किसानों के पास पहले से पंप हैं, उन पंपों का सौरीकरण (Solarization) किया गया है, जिससे अब किसानों को दिन में बिजली मिलने लगी है। पीएम-कुसुम योजना (PM Kusum Solar Subsidy Yojana) के तहत राजस्थान को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए बड़ी कामयाबी मिली है और राजस्थान ऐसा अग्रणी राज्य बन गया है, जहां इस योजना के कम्पोनेंट-ए एवं कम्पोनेंट-सी के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन 1 हजार मेगावाट से अधिक हो गया है।
राज्य सरकार के अनुसार, सौर पावर का उपयोग कर किसानों को दिन में बिजली आपूर्ति की दिशा में राजस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है। “पीएम कुसुम योजना” कम्पोनेंट-ए एवं सी के अंतर्गत 560 ग्रिड कनेक्टेड विकेन्द्रित सौर पावर प्लांट (Solar power plant) स्थापित कर 70 हजार से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, जबकि “पीएम कुसुम योजना” के कंपोनेंट-बी के अंतर्गत लगभग 1 लाख किसानों को सोलर ऊर्जा पंप दिए गए हैं, जिससे किसानों के सिंचाई कृषि पंपों को सौर ऊर्जा पैनल से बिजली उपलब्ध हो रही है।
राज्य द्वारा योजना के सफल क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 के दौरान पीएम कुसुम कंपोनेंट -A में दो बार में कुल 6,000 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों के अतिरिक्त आवंटन की मंजूरी दी है तथा कम्पोनेंट-C के तहत 2 लाख सोलर पंपों का अतिरिक्त आवंटन स्वीकृत किया है। इस प्रकार इस योजना के माध्यम से प्रदेश में करीब 12 हजार मेगावाट क्षमता के सौर पावर प्लांट स्थापित किए जाने का लक्ष्य रख कार्य किया जा रहा है। इस योजना में विद्युत फीडर से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइजेशन के अन्तर्गत 33/11 केवी ग्रिड सब स्टेशन के करीब 5 किमी. के दायरे में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने का प्रावधान है। कुसुम कंपोनेंट-ए में अधिकतम 2 मेगावाट क्षमता तक और कंपोनेंट-सी में अधिकतम 5 मेगावाट क्षमता तक के ग्रिड से जुड़े (कनेक्टेड) सोलर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। कंपोनेंट-सी में सोलर प्लांट की स्थापना पर केंद्र सरकार द्वारा लागत का अधिकतम 30 प्रतिशत (अधिकतम 1 करोड़ 5 लाख रूपए प्रति मेगावाट) तक अनुदान दिया जा रहा है।
राज्य उद्यानिकी विभाग द्वारा राज्य में “पीएम कुसुम योजना” का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य में कम्पोनेंट-B लागू की गई है। इसके माध्यम से किसानों को 3 एचपी से 7.5 हॉर्स पावर क्षमता के सौर ऊर्जा कृषि पंप संयंत्र की स्थापना करने के लिए 60 प्रतिशत तक सरकारी अनुदान दिया जाता है। कंपोनेंट-बी के तहत वर्तमान राज्य सरकार द्वारा करीब 39 हजार से अधिक सौर ऊर्जा पम्प संयंत्रों की स्थापना लाभार्थी किसानों के खेतों में की जा चुकी है। इस दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम तीन राज्यों में है। योजना के माध्यम से सोलर प्लांट की स्थापना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही है, जहां कृषि कनेक्शन अधिक संख्या में हैं। खेत के समीप भूमि पर लग रहे अधिकतम 5 मेगावाट क्षमता तक के इन सौर ऊर्जा संयंत्रों से किसानों को कृषि कार्यों के लिए दिन में बिजली मिलने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के एक नए युग की शुरुआत हुई है। किसान अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर अन्नदाता के साथ-साथ अब ऊर्जादाता भी बन रहे हैं, जिससे उन्हें आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया भी मिला है।
पीएम कुसुम योजना के विभिन्न घटकों के तहत स्थापित किए जा रहे सौर ऊर्जा संयंत्रों का लाभ विद्युत वितरण निगमों (डिस्कॉम) को भी मिल रहा है। विद्युत वितरण कंपनी (Power distribution company) को करीब 3.04 रुपए प्रति किलोवाट घंटा (kwh) प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली मिल रही है। स्थानीय स्तर पर उत्पादित बिजली का उपयोग स्थानीय स्तर पर ही होने से प्रसारण में होने वाली छीजत भी कम हुई है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में की बढ़ती बिजली मांग की आपूर्ति के लिए डिस्कॉम को अतिरिक्त विद्युत तंत्र विकसित करने की आवश्यकता में भी कमी आई है। विद्युत निगमों को अब कृषि कार्य के लिए एक्सचेंज से महंगे टैरिफ पर बिजली खरीदने की आवश्यकता नहीं होती। विशेष यह है कि लगभग 1 हजार मेगावाट बिजली अतिरिक्त उत्पादन क्षमता तंत्र विकसित करने में राज्य सरकार के बजट पर कोई अलग से अतिरिक्त भार नहीं आया है और साथ ही, इससे राज्य के कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी हो रही है।
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