मोती की खेती से चमकेगी किस्मत | किसानों को 12.50 लाख रुपए की सब्सिडी मिलेगी

पोस्ट -14 मई 2022 शेयर पोस्ट

मोती की खेती: जानें कैसे मिलेगी सरकार से मदद

आजकल के समय में खेतीबाड़ी एक ऐसा व्यवसाय बना गया है, जिसमें किसान निवेश से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर रहा है। वहीं, ज्यादातर राज्यों के किसान व्यावसायिक खेती की और अपनी रूचि दिखा रहे हैं। किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपको बता दें कि पारंपरिक खेती किसान की आजीविका का मुख्य स्रोत है, लेकिन किसान भाई पारंपरिक खेती के अलावा व्यावसायिक खेती कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। व्यावसायिक खेती में इन दिनों मोती की खेती में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इन दिनों भारत के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती पर काफी जोर दिया जा रहा हैं। यहां तक इसकी खेती के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही हैं। राज्यों की इस सूची में राजस्थान सरकार भी शामिल है। मसलन, मोती की खेती करने वाले किसानों को राजस्थान सरकार 12.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। मोती की खेती इन दिनों अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। मोती की खेती से किसान की किस्मत भी चमक रही है। तो आइए ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में जानते हैं मोती की खेती क्या है और इसे कैसे किया जा सकता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि राजस्थान सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद का किसान किस प्रकार लाभ उठा सकते हैं।  

मोती की खेती शुरू करने से पहले मोती के बारे जानकारी

पर्ल फार्मिंग सबसे आकर्षक एक्का कल्चर व्यवसायों में से एक है और लगभग सभी राज्य की सरकार इसकी खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन इसकी खेती अपनाने से पहले यह जानना जरूरी है कि मोती क्या होता है। आपको बता दें कि दरअसल मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जो घोंघे के सीप के घर के अंदर बनाया जाता है। इसके बनने के पीछे एक कहानी है। दरअसल जब घोंघा खाने के लिए सीप से अपना मुंह निकालता है, तो कुछ परजीवी उसके मुंह से चिपक भी जाते हैं, जो उसके साथ सीप के अंदर पहुंच जाते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए घोंघा एक सुरक्षा कवच बनाने लगता है, जो बाद में मोती बन जाता है। 

कृत्रिम तरीके से पैदा कर सकते हैं सुसंस्कृत मोती 

मोती की पैदावार किसान भाई कृत्रिम रूप से कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को एक तालाब बनाकर उसमें सीप डालना होता है। जिसके के लिए किसान को अच्छी किस्म के सीपों को तालाब में डालना होता हैं। दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा के सीप की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। इन सीपों को बाजार से खरीदा जा सकता है। इसमें संवर्धित मोती का उत्पादन किया जा सकता है। मूल रूप से तीन प्रकार के मोती होते हैं। जिसमें प्राकृतिक, कृत्रिम और सुसंस्कृत मोती शामिल हैं। संवर्धित मोती वे हैं जिन्हें खेती करके तैयार किया जाता हैं। 

मोती की खेती पर सब्सिडी की सूची में अब राजस्थान भी शामिल 

मोती की खेती के दायरे को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन विभाग ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए नीली क्रांति योजना में मोती पालन के लिए उप-घटक शामिल किया है। नीली क्रांति योजना के तहत मत्स्य विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त कर राज्यों में मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्यों/केंन्द्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया था। मोती की मांग की तुलना में आपूर्ति में कमी के कारण इसकी कीमत अधिक है। नीली क्रांति योजना के तहत कई राज्यों ने मोती की खेती अपनाई है एवं सरकार से इसकी खेती पर सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता भी प्राप्त करे रहे हैं। राज्यों की इस सूची में राजस्थान भी शामिल है। राजस्थान सरकार प्रदेश के अंदर मोती की खेती के लिए 50 फीसदी तक की सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। जिसके तहत राज्य में मोती की खेती करने वाले किसानों को अधिकतम 12.50 लाख रुपये की सब्सिडी राशि मिल सकती है। जानकारी के अनुसार मोतियों की खेती के लिए साल भर पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में मोती की खेती के लिए कोटा संभाग में काफी संभावनाएं हैं। मोती की खेती की लागत 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है, जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान प्राप्त किया जा सकता है। 

किसान इस प्रकार शुरू करें पर्ल फार्मिंग 

मोती की खेती काफी दिलचस्प करोबार है, वहीं ओडिशा और बंगलुरू में भी इसका काफी अच्छा स्कोप है। राजस्थान प्रदेश में इसकी खेती के लिए कोटा संभाग में अपार संभावनाएं हैं। मोती की खेती में लागत कम और कमाई जबरदस्त है। मोती की खेत के लिए एक तालाब की आवश्यकता होती है। इसमें सीप का अहम रोल है, मोती की खेती के लिए राज्य स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर तालाब नहीं है इसका इंतजाम भी करवाया जा सकता है। आपकी इन्वेस्टमेंट पर सरकार से 50 फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है। मोती की खेती शुरू करने के लिए आपको कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेना होता है। कई संस्थानों में सरकार खुद फ्री में इसकी ट्रेनिंग करवाती है। सरकारी संस्थान या फिर मछुआरों से सीप खरीदकर खेती का काम शुरू करें। सीप को तालाब के पानी में दो दिन के लिए रखते हैं। धूप और हवा लगने के बाद सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती है। मांशपेशियां ढीली होने पर सीप की सर्जरी कर इसके अंदर सांचा डाल जाता है। सांचा जब सीप को चुभता है तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है। थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है। सांचे में कोई भी आकृति डालकर उसकी डिजाइन का आप मोती तैयार कर सकते है, डिजाइनर मोती की मांग बाजारों में ज्यादा है।

पर्ल (मोती) फार्मिंग से होने वाली कमाई एवं लागत विशलेषण

मोती की खेती में एक सीप को तैयार करने में करीब 25 से 35 रूपए का खर्च आता है। वहीं, एक सीप से 2 मोती तैयार होते हैं। एक मोती की कीमत 200 से 2000 रूपये तक है। अगर क्वॉलिटी अच्छी हुई तो एक मोती काफी अच्छे दाम तक मिल सकते हैं। जिसमें किसान एक बार इसे करने के कुछ समय बाद ही अपनी लागत निकाल लेते हैं। जिसके बाद यह मुनाफे का सौदा है। मोती की खेती के लिए एक एकड़ तालाब में करीब 25 हजार सीप डाले जो सकते हैं। इन 25 हजार सीप पर आपका करीब 8 लाख रूपए का निवेश होगा। इन सीप में से 50 प्रतिशत सीप भी ठीक निकलते हैं और उन्हें बाजार में लाया जाता है तो आसानी से 30 लाख रूपए तक की सालाना कमाई हो सकती है। 

मोती की खेती पर सब्सिडी का लाभ कैसे उठाएं

मोती की खेती के बिजनेस के लिए सरकार की ओर से 50 फीसदी तक की सब्सिडी भी मिलती है। महज 25 हजार रूपये लगाकर इस बिजनेस को शुरू किया जा सकता है और हर महीने 3 लाख रूपये तक की कमाई कर सकते है। राज्य के किसान मोती की खेती के लिए अगर सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसके लिए पहले उन्हें आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए आपको आवश्यक अनुमति और तकनीकी जानकारी के दस्तावेजी साक्ष्य के साथ तकनीकी वित्तीय विवरण दर्शाते हुए स्व-निहित प्रस्ताव तैयार करना आवश्यक है। व्यक्तिगत किसान/लाभार्थी के लिए सरकारी वित्तीय सहायता 5 इकाइयों तक सीमित है। मछुआरे/मछुआरा सहकारी समितियों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि के लिए 50 इकाईयां जिनमें कम से कम 10 सदस्य हो। इसके बाद किसान राजस्थान की तरफ से तैयार किए राजकिसान साथी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। यह पोर्टल सिंगल विंडो सिस्टम पर आधारित हैं। जहां एक जगह ही सभी तरह की सुविधाएं मिलती हैं। 

ट्रैक्टरगुरु आपको अपडेट रखने के लिए हर माह पॉवरट्रैक ट्रैक्टर व फार्मट्रैक ट्रैक्टर कंपनियों सहित अन्य ट्रैक्टर कंपनियों की मासिक सेल्स रिपोर्ट प्रकाशित करता है। ट्रैक्टर्स सेल्स रिपोर्ट में ट्रैक्टर की थोक व खुदरा बिक्री की राज्यवार, जिलेवार, एचपी के अनुसार जानकारी दी जाती है। साथ ही ट्रैक्टरगुरु आपको सेल्स रिपोर्ट की मासिक सदस्यता भी प्रदान करता है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y

`

Quick Links

Popular Tractor Brands

Most Searched Tractors