किसानों को कर्ज के बोझ से राहत देने, आत्मनिर्भर बनाने और कम लागत में कृषि उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में सरकार द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। इसके अलावा, किसानों को कम ब्याज दरों पर ऋण (Loan) उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया जा रहा है। ऐसे में यूपी के “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ” ने प्रदेश के लघु व सीमांत किसानों की आय में वृद्धि और आर्थिक सशक्तीकरण के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ (Mukhyamantri Krishak Samridhi Yojana) शुरू करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने अधिकारियों से इस योजना का विस्तृत प्रस्ताव जल्द तैयार कर प्रस्तुत करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना का उद्देश्य किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत किसानों को सस्ती दरों पर आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने योजना को दूरदर्शी और किसान-हितैषी पहल बताया है।
हाल ही में हुई सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगीनाथ के समक्ष “मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना” की प्रारंभिक रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उन्होंने प्रस्तावित योजना के लिए कृषि विभाग से मसौदा तैयार करने के लिए कहा। योजना में नाबार्ड (NABARD) के साथ-साथ सहकारी बैंकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। बताया जा रहा है कि प्रदेश के सहकारिता विभाग ने ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे जल्द ही वित्त विभाग के पास मूल्यांकन के लिए भेजा जा रहा है। इसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष रखे जाने की तैयारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा, किसानों की समृद्धि के लिए यह योजना एक प्रभावी कदम सिद्ध होगी। उन्होंने अधिकारियों को योजना का क्रियान्वयन प्रभावी और समयबद्ध तरीके से करने के लिए निर्देश दिए। इसके लिए सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता बढ़ाने, शाखाओं के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और किसानों को आसानी से ऋण सुलभ कराना सुनिश्चित करने पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने लघु और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि, पारदर्शिता और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में शामिल करने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया कि भंडारण क्षमता में भी वृद्धि हुई है। एआईएफ (एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड) योजना के तहत 375 नए गोदामों का निर्माण करके 37,500 मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता विकसित की गई है। वर्ष 2025-26 में 100 नए गोदामों का निर्माण प्रस्तावित है। देश की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के अंतर्गत प्रदेश के 16 जिलों में 24 बी-पैक्स केंद्रों पर 500-1000 मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाने का प्रस्ताव है। उन्होंने भंडारण क्षमता और बढ़ाए जाने के निर्देश दिए और कहा कि इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नीति तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने पीसीएफ की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और राइस मिलर्स का भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। सहकारी क्षेत्र में रिक्त बैंकिंग और नान-बैंकिंग पदों पर जल्द भर्ती के लिए आइबीपीएस के माध्यम से चयन प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि उप्र कोआपरेटिव बैंक एवं राज्य के 50 जिला सहकारी बैंकों को नाबार्ड के सीबीएस क्लाउड प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी भूमिका और बढ़ गई है।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अंतर्गत चलाई जाएगी। बैंक द्वारा किसानों को दीर्घकालिक ऋण न्यूनतम ब्याज दर से उपलब्ध कराया जाएगा। योजना के तहत प्रदेश सरकार किसानों को ब्याज पर अनुदान देगी, जिससे कृषि के लिए लिया जाने वाला यह ऋण किसानों को सस्ती दर पर मिलेगा। योजना के तहत यह ऋण पांच साल और उससे अधिक अवधि के लिए दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सहकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से लगभग 8 प्रतिशत की ब्याज दर से ऋण मिलता है। बैंक किसानों को 11 फीसदी की दर से फसली ऋण बांटता है। बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा ब्याज पर अनुदान दिए जाने पर किसानों को इस योजना के तहत अधिकतम तीन से पांच प्रतिशत की दर से ऋण मिलने लगेगा। यह योजना उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नई सुबह लाने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक और जिला सहकारी बैंकों का व्यवसाय व शुद्ध लाभ दोनों बढ़ा है। कोऑपरेटिव बैंक का ऋण वितरण वर्ष 2017 में 9,190 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2025 में 23,061 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जबकि शुद्ध लाभ 100.24 करोड़ रुपए हो गया है। इसी अवधि में जिला सहकारी बैंक का कुल व्यवसाय 28,349 करोड़ रुपए से बढ़कर 41,234 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वहीं, शुद्ध लाभ 162 करोड़ रुपए दर्ज किया गया।
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