Shrimp Farming : संसद भवन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मोदी 3.0 सरकार का वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया। इस केंद्रीय बजट 2024 (Union Budget 2024-25) में वित्त मंत्री ने महिलाओं व युवाओं के साथ-साथ किसानों को बड़ी राहत दी। खेती-किसानी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्तमंत्री ने इस बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। बजट में वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने झींगा पालकों को बड़ी राहत दी है। देश में झींगा पालन (Shrimp Farming) को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता देने के ऐलान के साथ झींगा ब्रूड-स्टॉक्स न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा वित्त मंत्री द्वारा की गई। वित्त मंत्री ने कहा कि झींगा पालन, उनके प्रोसेसिंग और निर्यात के लिए नाबार्ड (NABARD) से फंडिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
देश में झींगा उत्पादन (Shrimp Production) क्षेत्र का विस्तार करने के लिए सरकार ने बजट में झींगा फीड और ब्रूडस्टॉक के आयात शुल्क में कटौती की है। इसके अलावा, फिश फीड पर भी आयात शुल्क घटाया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने झींगा फीड के आयात पर लगने वाले शुल्क में 15 फीसदी की कटौती करते हुए 5 फीसदी कर दिया है। वहीं, ब्रूडस्टॉक आयात शुल्क में कमी की है। ब्रूडस्टॉक आयात शुल्क पहले 10 फीसदी थी, जिसे घटकार 5 फीसदी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से झींगा पालन करने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। झींगा मछली का पालन भी भारत में मशहूर हैं। झींगा पालन में थोड़ी सी मेहनत और कम निवेश की आवश्यकता है।
देश में मत्स्य पालन सेक्टर में झींगा मछली का पालन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसका पालन मछलियों के पालन के समान ही होता है। झींगा मछली, अन्य सभी मछलियों में सबसे लोकप्रिय मानी जाती है, क्योंकि यह पालकों को तगड़ा मुनाफा देती है और बाजार में इसकी मांग भी बहुत अधिक होती है। झींगा मछली को सी-फूड के नाम से जानते हैं। यह खाने में बेहद बहुत स्वादिष्ट और प्रोटीन युक्त होती है। अभी कई राज्यों में झींगा मछली पालन के लिए सरकार अपने स्तर पर मछली पालकों एवं किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। झींगा पालन मीठे पानी में किया जा सकता है। इसके पालन के लिए तालाब की तैयारी उसी तरह की जाती है जैसे अन्य मछली पालन के लिए किया जाता है। इसमें मुख्य अंतर यह है कि झींगा पालन में शुरू में ही खाद की मात्रा बढ़ाकर दी जाती है और बीज संचय करने बाद खाद नहीं डाली जाती।
इसके साथ ही मिट्टी के पी.एच मान के अनुसार तालाब में चूने का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तालाब में 250-1000 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से चूने का उपयोग करना चाहिए। चूना से मिट्टी का पी.एच सही रहता है, पानी की बफर क्षमता बढ़ती है। इसके साथ ही यह तालाब को रोगाणु मुक्त रखता है। चूना कैल्शियम का भी स्रोत है। तालाब में झींगा मछली के बीज डाल दें और इनको भोजन के में सूजी, मेंदा, अंडे को एक साथ मिलाकर देना चाहिए। झींगा मछली के खाने में 80 प्रतिशत शाकाहारी और 20 प्रतिशत मांसाहारी पदार्थ शामिल करना चाहिए।
झींगा मछली पालन करने से पहले इसकी स्थानीय मांग और प्रतिस्पर्धा के बारे में अच्छे अध्ययन करना चाहिए। अपने आसपास के क्षेत्र सहित स्थानीय बाजार अनुसंधान करें। झींगा मछली पालन व्यवसाय के लिए कुशल प्रशिक्षण एवं तकनीकी ज्ञान का होना अति आवश्यक है। इसलिए पहले स्थानीय मत्स्य पालन विभाग से तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण हासिल करें। वाणिज्यिक झींगा फार्म संचालित करने के लिए एक्वाकल्चर परमिट खरीदने के लिए अपने राज्य के मत्स्य पालन विभाग के कानून के अनुसार रजिस्टर कर परमिट प्राप्त करें। झींगा उत्पादन का कार्य प्राकृतिक रूप से समुद्र के खारे पानी से किया जाता था, लेकिन तकनीकी विकास और अनुसंधान के चलते झींगा का सफल पालन मीठे पानी में भी सम्भव हो चला है। मीठे पानी में झींगा पालन की सफलता काफी हद तक बेहतर होती है। झींगा मछली पालन पोखर, तालाब, झील व बांध के अलावा कृत्रिम तालाबों में किया जा सकता है। झींगा लगभग 6 महीने में बाजार के लिए तैयार हो जाता है। एक एकड़ जमीन पर खोदे गए तालाब से करीब 4 हजार किलोग्राम झींगा उत्पादन किया जा सकता है। खुले बाजार में झींगा 350 से 400 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। एक एकड़ भूमि में एकल झींगा मछली पालन से 5 लाख तक की शुद्ध आय हो सकती है।
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