Wheat Price: 3000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचेगा गेहूं का भाव!, गेहूं की बिक्री पर लगाई रोक

पोस्ट -01 मई 2024 शेयर पोस्ट

3000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचेगा गेहूं का भाव! इन किसानों ने गेहूं की बिक्री रोकी

केंद्र सरकार देश के 80 करोड़ लोगों को 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से हर महीने गेहूं उपलब्ध करा रही है। इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने व बफर स्टॉक के लिए केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद कर रही है। राजस्थान व मध्यप्रदेश में गेहूं किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा 125 रुपए का अतिरिक्त बोनस दिया जा रहा है। देश की मंडियों में गेहूं (Wheat) का औसत भाव 2300 से 2400 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। इस बीच यह खबर निकलकर सामने आई है कि साल 2024 में गेहूं 2800 से 3000 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक सकता है। इस उम्मीद में किसानों के एक वर्ग ने गेहूं की बिक्री रोक दी है। उन्होंने एमएसपी पर गेहूं (Wheat) बेचने के बजाए आगामी महीनों में खुले बाजार में गेहूं बेचने को प्राथमिकता दी है। किसानों के अनुसार पिछले साल रबी सीजन 2023 में गेहूं का अधिक भाव 2600 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया था। अब रबी सीजन 2024 में गेहूं का अधिकतम भाव 2800 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। किसानों ने अपनी इस उम्मीद के पीछे मुख्य कारण रूस- यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजरायल संघर्ष को बताया है। आइए, जानें की गेहूं की अधिकतम कीमत 2024 में कहां तक पहुंच सकती है और गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार क्या कर रही है।

बंपर पैदावार के बावजूद मंडियों में गेहूं की आवक कम (Despite bumper production, arrival of wheat in the markets is less)

देशभर में इस बार गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ है। इसके बावजूद मंडियों व सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक कम है। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए 372.9 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 184 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद हो पाई है। सरकार ने अपने लक्ष्य का आधा गेहूं खरीद लिया है। गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में 1 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी जो 30 जून तक जारी रहेगी। एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए इस सीजन में 34 लाख 23 हजार 554 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था जबकि अब तक 8 लाख 95 हजार 575 किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने का फायदा उठा चुके हैं।

क्या इस बार भी अधूरा रहेगा गेहूं खरीद का लक्ष्य? (Will the target of wheat procurement remain unfulfilled this time also?)

सरकार पिछले दो साल से गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है, ऐसे में किसानों द्वारा गेहूं को बिक्री से रोकना सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। रबी विपणन सीजन 2023-24 में 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही सरकार ने खरीदा था जबकि लक्ष्य 341.5 लाख मीट्र‍िक टन था। 2022-23 में 444 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 187.92 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। अब इसका असर यह सामने आया है कि देश में गेहूं का स्टॉक 16 साल के न्यूनतम स्तर पर है। यह बफर स्टॉक की लिमिट से थोड़ा ही अधिक है।

गेहूं में तेजी को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ (What do experts say about the rise in wheat prices?)

किसानों को इस बार गेहूं की बाजार कीमत एमएसपी से ज्यादा मिल रही है। अच्छी क्वालिटी वाला गेहूं खुले बाजार में ही बिकने के लिए पहुंच रहा है। सरकारी खरीद केंद्रों पर बेस्ट क्वालिटी गेहूं बहुत कम मात्रा में देखने को मिल रहा है। इधर, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बफर स्टॉक में जब अधिक गेहूं होता है तो गेहूं के दाम कम बढ़ते हैं और अगर स्टॉक कम है तो दाम अच्छी स्पीड से बढ़ते हैं। अगर गेहूं आवक के टॉप सीजन में गेहूं की कीमत (Wheat Price) खुले बाजार में ज्यादा है तो भविष्य में 500 से 800 रुपए की तेजी का गणित सही बैठता है। वहीं वैश्विक स्तर गेहूं का संकट बरकरार है। ईरान-इजरायल संघर्ष और यूक्रेन-रूस युद्ध के परिणाम स्वरूप भी गेहूं में तेजी का कारण बन सकता है।

गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में अभी तक गेहूं खरीद की स्थिति (Status of wheat procurement so far in major wheat producing states)

गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश व राजस्थान में गेहूं की सरकारी खरीद जारी है। इस बार पंजाब को सबसे ज्यादा 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया है। यहां अब तक 83 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश को 60 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य दिया गया है, यहां अभी तक 5.39 लाख मीट्रिक टन की खरीद संभव हो सकी है। हरियाणा के किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने में रूचि दिखा रहे हैं। हरियाणा का लक्ष्य 80 लाख मीट्रिक टन है, यहां अब तक 56 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदा जा चुका है। मध्यप्रदेश में अभी लक्ष्य से आधी खरीद भी नहीं हुई है। यहां का लक्ष्य 80 लाख मीट्रिक टन है, जबकि अब तक 35 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई है। राजस्थान को 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य मिलता है, इसके विपरित 4 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई है। कुल मिलाकर गेहूं की कीमत 2024 (Wheat Price 2024) में एमएसपी से ऊपर ही बनी रहेगी। गेहूं की अधिकतम कीमत कहां तक जाएगी यह तो भविष्य ही बताएगा। फिलहाल बाजार विशेषज्ञ गेहूं में तेजी ही बता रहे हैं।

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