Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana 2025 : बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की लहलहाती फसल कुछ ही पलों में तबाह हो जाती है। साथ ही नुकसान के कारण कर्ज चुकाने में भी मुश्किल होती है। किसानों के लिए अब यह हर साल की कहानी बन चुकी है। लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं। वजह है “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana), जिसने देश के किसानों को कठिन समय में एक मजबूत सहारा देने का काम किया है। बीते दिनों कुछ राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत क्षतिग्रस्त फसलों के लिए मुआवजा जारी हुआ है। इसमें राजस्थान एवं हरियाणा जैसे राज्य में विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं से फसलों का नुकसान उठाने वाले किसानों को करोड़ रुपए की धनराशि का मुआवजा दिया गया है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पीएमएफबीवाई किसानों को प्राकृतिक आपदा या फिर कुछ और कारणों से फसल में होने वाले नुकसान के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करती है। सरकार द्वारा उनके नुकसान की भरपाई इस योजना के तहत कर दी जाती है। यदि किसान इस योजना में लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। आइए, जानते हैं कि फसल बीमा योजना में लाभ कैसे उठाएं और राज्य में किन किसानों को नुकसान मुआवजा (Compensation) मिला है।
दरअसल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में राजस्थान के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के बदले बीमा क्लेम देकर आर्थिक संबल दिया जा रहा है। यह योजना केवल एक बीमा सुविधा नहीं, बल्कि किसानों की आय को स्थिर और सुरक्षित रखने का राष्ट्रीय प्रयास है। इस योजना के तहत किसान न्यूनतम प्रीमियम देकर भारी नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। ऐसे में राज्य के चूरू, बीकानेर और हनुमानगढ़ सहित कई और जिले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने में आगे हैं, जबकि धौलपुर, करौली, दौसा, राजसमंद सहित कई जिलों के किसान इस योजना का लाभ उठाने में पीछे हैं। वहीं, बीते दिनों हरियाणा सरकार ने राज्य में आग लगने की घटनाओं से फसलों का नुकसान उठाने वाले 151 किसानों को मुआवजा राशि जारी कर दी है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के अंबाला, मेवात, पलवल, फरीदाबाद और पंचकूला को छोड़कर 17 जिलों के 151 किसानों के खातों में लगभग 324 एकड़ क्षेत्र के लिए 86.96 लाख रुपये जारी किए, जिसमें आधी राशि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग (Revenue and Disaster Management Department) तथा आधी राशि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (Agriculture and Farmers Welfare Department) ने दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन किसानों की फसल जली है, उनको सरकार अगली फसल की बुवाई हेतु खाद और बीज निशुल्क देगी। कृषि विभाग ने पहली बार फसल जलने पर बीमा क्लेम दिया है। वहीं, राजस्थान में पीएम फसल बीमा योजना (PM Crop Insurance Scheme) रबी 2023-24 सीजन के तहत चूरू जिले के किसानों को 260 करोड़ 20 लाख 94 हजार 938 रुपए का बीमा क्लेम बना है, जबकि दूसरी ओर धौलपुर जिले में केवल 2 लाख 61 हजार 376 रुपए का ही 0क्लेम बना है। पिछले दिनों कृषि मंत्री डा. किरोड़ीलाल मीणा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह मामला सामने आया था।
विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि चूरू जिले का क्लेम सबसे ज्यादा है। यहां गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए जांच की जा रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि फसल बीमा योजना का लाभ लेने में जो जिले पीछे हैं, उसके कारण क्या है। ज्यादा क्लेम राशि वाले जिलों में चूरू 260,20,94,938 रुपए, जालोर 136,24,55,613 रुपए, हनुमानगढ़ 124,77,84,420 रुपए, बीकानेर 79,74,78,573 रुपए मुआवजा राशि, अजमेर 75,73,51,210 रुपए शामिल है, जबकि धौलपुर 2,61,376 रुपए, राजसमंद 5,02,024 रुपए, अलवर 10,70,879 रुपए, दौसा 46,56,392 रुपए और करौली 23,35,740 रुपए के साथ कम क्लेम राशि वाले जिले में शामिल है। विभाग के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2023 में भी धौलपुर जिले का क्लेम सबसे कम बना था। धौलपुर के किसानों का क्लेम सिर्फ 94 हजार 993 रुपए बना था।
केंद्र सरकार की पीएम फसल बीमा योजना का उद्देश्य देश के किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है, जिससे कृषि उत्पादन में निरंतरता बनी रहे। इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पंजीकृत किसानों को फसल खराब होने पर आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा दिया जाता है। इसमें पीएमएफबीवाई के अंतर्गत अधिसूचित फसलों के लिए किसानों को महज 1.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है। शेष राशि सब्सिडी के तौर पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर देती है। खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जैसे संवेदनशील इलाकों में सरकार पूरा प्रीमियम खुद वहन करती है। यानी किसान को फसल के लिए बीमा लेने हेतु अब कोई भी भारी भरकम प्रीमियम नहीं भरना होता और उन्हें नुकसान होने की स्थिति में पूरा कवर मिलता है।
हाल ही में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, जिन किसानों ने पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) में समय रहते आवेदन कर बीमा लिया था, उन्हें अब नुकसान का मुआवजा मिलने की उम्मीद है। इस योजना के माध्यम से किसानों को नुकसान के बाद सिर्फ दो महीने के अंदर क्लेम मिल जाता है। सेटेलाइट, ड्रोन और मोबाइल एप के माध्यम से नुकसान का आकलन करने से अब भुगतान प्रक्रिया पहले से ज्यादा सटीक और पारदर्शी हो चुकी है। किसान नजदीकी CSC या बैंक शाखा में जाकर योजना का आवेदन फॉर्म भरकर बीमा लाभ प्राप्त कर कर सकते हैं। ऑफिशियल पोर्टल या वेबसाइट पर आवेदन के स्टेटस से लेकर प्रीमियम कैलकुलेशन तक की सभी जानकारी किसान अब ऑनलाइन चेक कर सकते हैं, जिससे योजना में पारदर्शिता और भरोसा दोनों बढ़ा है।
पीएम फसल बीमा योजना का उद्देश्य सिर्फ मुआवजा देना नहीं, बल्कि किसानों को कृषि से जुड़े आधुनिक तकनीकों की ओर प्रोत्साहित करना भी है। लेकिन अभी भी देश के कई किसानों को इस योजना की पूरी जानकारी नहीं है। इसलिए राज्यों के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाकर सरकार और राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक किसान इस योजना से जुड़े। क्योंकि जब तक अंतिम किसान तक यह सुरक्षा कवच नहीं पहुंचेगा, तब तक इसका असली उद्देश्य अधूरा रहेगा। यह योजना कई राज्यों में किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा की ढाल बनी है। इस योजना में आवेदन के लिए आधार कार्ड, फसल बुवाई का सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म, जमीन का नक्शा या खसरा नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता एवं मोबाइल नंबर की जानकारी देनी होती है। किसान सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म ऑनलाइन डाउनलोड करके भर सकते हैं और इंश्योरेंस एप्लीकेशन के साथ अपलोड कर दें। बिना इसके किसानों को नुकसान होने पर मुआवजा मिलने में कठिनाई हो सकती है।
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