खेती के लिए खाद, बीज, उवर्रक और कीटनाशक सबसे जरूरी चीजे हैं। इनके बिना खेती की कल्पना करना भी असंभव है। सरकार इन महंगे कृषि आदानों को सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही है जिससे किसानों के लिए खेती फायदे का सौदा बन सके। लेकिन देश के ग्रामीण इलाकों में सरकारी नियमों का खुलकर उल्लंघन हो रहा है। अब सरकार ने उर्वरक बिक्री नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है। अगर सरकार नियमों के अनुसार लगातार कार्रवाई करती है तो उर्वरक बिक्री के लाइसेंस बड़ी संख्या में रद्द हो सकते हैं। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से जानें कि सरकार के एक्शन का उर्वरक बिक्री पर क्या असर पड़ेगा।
गांव, कस्बों में उर्वरक बिक्री की दुकानें खुली हुई है। उर्वरक का थोक व खुदरा व्यापार करने के लिए उर्वरक प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है, जिसकी वैधता प्राधिकार-पत्र जारी होने से 5 वर्ष तक मान्य है। अब सरकार की ओर से वैधता प्राधिकार-पत्रों की जांच की जा रही है। जांच में सामने आया है कि उर्वरक व्यापारियों द्वारा जारी पत्र का नवीनीकरण नहीं कराया गया है। साथ ही निर्गत विक्रय प्राधिकार पत्र की मूलप्रति एवं रिटेल पीओएस मशीन कार्यालय में जमा नहीं कराई गई है, जो कि उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 का उल्लंघन है। लापरवाही सामने आने के बाद कृषि विभाग ने खाद की बिक्री करने वाले व्यापारियों और दुकानदारों पर बड़ा एक्शन लेने की तैयारी शुरू कर दी है।
उर्वरक कारोबारियों पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत कोई कार्रवाई हो, उससे पहले उन्हें संभल जाना चाहिए। अगर समय रहते नवीनीकरण करा लिया जाता है तो कोई कार्रवाई नहीं होगी। लखनऊ के जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के अनुसार, “जनपद के समस्त थोक, खुदरा उर्वरक विक्रेता निर्गत उर्वरक प्राधिकार-पत्र का नवीनीकरण आवेदन वैधता तिथि समाप्ति से एक माह पूर्व करें, यदि किसी व्यापारी द्वारा उर्वरक नवीनीकरण नहीं कराया जाता है तो वैधता तिथि के बाद लाइसेंस एवं पीओएस मशीन मूलरूप में कार्यालय में जमा करने की उत्तरदायित्व संबंधित विक्रेता/फर्म का होगा।“
नियमानुसार उर्वरक बिक्री का लाइसेंस हर 5 साल में रिन्यूअल होता है। अगर लाइसेंस नवीनीनीकरण में लापरवाही बरती जाती है तो संबंधित विक्रेता पर एफआईआर जैसी सख्त कार्रवाई की जाती है। यदि यह तथ्य सामने आता है कि संबंधित फर्म, व्यापारी द्वारा बिना वैध उर्वरक प्राधिकार-पत्र और जारी लाइसेंस समाप्त होने के बाद रिटेल आईडी से उर्वरक व्यापार किया जाता है, तो उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी जाती है। जिसके लिए फर्म और व्यापारी खुद उत्तरदायी होते हैं। जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के अनुसार इसके लिए अलग से कोई भी नोटिस जारी नहीं किया जाता है। जांच में किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
उत्तरप्रदेश में उर्वरक की ब्रिकी के लिए लाइसेंस रिन्यू कराने की फीस 500 रुपए रखी गई है। इसके अलावा खुदरा लाइसेंस की फीस 1250 रुपये तय है। जबकि थोक लाइसेंस के लिए फीस 2250 रुपए है। वहीं ब्रिकी लाइसेंस फीस 1000 रुपए निर्धारित की गई है।
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