Biogas-Plants : योगी सरकार (Yogi Government) ने प्रदेश के किसानों को दीपावली का उपहार दिया है। सरकार प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बायोगैस संयंत्र (Biogas-Plants) रियायती दरों पर स्थापित कराने जा रही है। इसके लिए चार जिलों का चयन किया गया है। जल्द ही इन चयनित जिलों के किसानों को बायो ईंधन के पावर हाउस (Biogas-Plants) संयत्र के लिए सरकार द्वारा भारी-भरकर सब्सिडी दी जाएगी। योगी सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में कार्बन उत्सर्जन को कम करना, कृषि में जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाना और परिवारों को स्वच्छ ईंधन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।
योगी सरकार ने किसानों को भरपूर सस्ता ईंधन देने के लिए 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्रों की स्थापना करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश के चार जिलों में सरकार के नेतृत्व में इन बायो गैस संयंत्रों की स्थापना होगी। 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्रों की स्थापना के लिए सिस्टेमा बायो संस्था को शुक्रवार को पर्यावरण निदेशालय में स्वीकृति पत्र भी प्रदान किया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय साल 2024-25 के लिए पर्यावरण निदेशालय को 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्र (biogas plant) स्थापित करने का लक्ष्य सौंपा गया है। सिस्टेमा बायो संस्था अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी और गोंडा के ग्रामीण क्षेत्रों में संयंत्रों की स्थापना करेगी। संयंत्रों के इस्तेमाल से खाना पकाने के लिए बायो गैस के साथ-साथ कृषि के लिए उपयोगी जैविक खाद भी मिल सकेगी।
सिस्टेमा बायो संस्था को स्वीकृति प्रदान करते हुए पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि योजना के तहत प्रत्येक बायो गैस संयंत्र की कुल लागत 39300 रुपये आएगी। इसमें लाभार्थी किसानों को केवल 3990 रुपये ही अंशदान करना होगा। बाकी लागत का प्रबंध केंद्र सरकार की केंद्रीय वित्तीय सहायता और कार्बन क्रेडिट से किया जाएगा। इस योजना के तहत महिलाओं, लघु एवं छोटे किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे उन्हें स्वच्छ और किफायती ईंधन उपलब्ध होगा। इस परियोजना का एक अनूठा पहलू यह है कि सिस्टेमा बायो संस्था द्वारा संयंत्र से उत्पन्न कार्बन क्रेडिट का विक्रय कर 20960 रुपये की व्यवस्था की जाएगी, जिससे किसान पर आर्थिक भार कम रहेगा। यह कार्बन फाइनेंसिंग मॉडल न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों के लिए सस्ता और टिकाऊ भी है।
सिस्टेमा बायो संस्था दस वर्ष तक किसानों को सेवा सहायता प्रदान करेगी, ताकि संयंत्रों का सुचारू संचालन और रखरखाव सुनिश्चित किया जा सके। किसान ईको-फ्रेंडली और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को अपनाकर कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकेंगे। इससे किसानों को अतिरिक्त कमाई करने के नए अवसर मिलेंगे। दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन करने वाली कंपनियां कार्बन क्रेडिट खरीदती हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहन दिया जा सके। इस क्षेत्र में मॉनिटरिंग और देखरेख करने वाली कई एजेंसियां देश और दुनियाभर में काम कर रही हैं।
बायो गैस संयंत्र, पशुओं के व्यर्थ अपशिष्ट पदार्थ और घरेलू तथा खेती के अपशिष्ट पदार्थों को डीकंपोज कर जैविक अपशिष्ट में बदलने वाला प्लांट है। बायोगैस प्लांट गोबर रिसाइकिल का सबसे बेहतर और सस्ता विकल्प हैं। किसान इस संयंत्र की मदद से गाय -भैंसों के गोबर के निपटारा आसानी से कर सकते हैं, खेती के लिए जैविक उर्वरक भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, बायोगैस संयंत्र से किसान को खाना बनाने के लिए स्वच्छ और किफायती ईंधन भी उपलब्ध होता है। गाय-भैंस के व्यर्थ अपशिष्ट जैसे गोबर को बायो गैस प्लांट में डालकर कम ताप पर डाइजेस्टर में चलाकर माइक्रोब प्रक्रियाओं द्वारा बायोगैस (गोबर गैस) प्राप्त की जाती है। इस बायोगैस में 75 प्रतिशत मिथेन गैस होती है, जो एक ज्वलनशील गैस होती है। यह बिना धुआं उत्पन्न किए जलती है और अन्य ईंधन की तरह ही बेहद उपयोगी होती है। इस बायोगैस का उपयोग रसोई चुल्हा चलाने और रोशनी के लिए बिजली तथा कृषि संयंत्रों के संचालन में किया जा सकता है। संयंत्र में अवशेष के रूप में स्लरी प्राप्त होती है, जिससे 25 से 30 दिनों में जैविक खाद बनाई जा सकती है। 4 से 5 की संख्या में पशु रखने वाले पशुपालकों के लिए दो घनमीटर का घरेलू बायोगैस संयंत्र पर्याप्त होता है। इसमें 50 किलोग्राम तक गोबर का निपटारा आसानी से किया जा सकता है। इससे लगभग 2 एल.पी.जी. सिलेंडर के बराबर रसोई गैस उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
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