खरीफ मौसम 2024 : राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत देश के अधिकांश राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई का काम लगभग पूरा हो गया है और अब किसान अपने कृषि पंपों का उपयोग कर फसलों में सिंचाई का काम कर रहे हैं। साथ ही फसलों की बढ़वार अवस्था के लिए मौसम भी अनुकूल हैं। हालांकि इस मौसम के दौरान खरीफ की फसलों में कई कीटों एवं रोगों के प्रकोप होने की संभावना बनी रहती है। इसको देखते हुए कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों और अधिकारियों द्वारा कीटों के नियंत्रण हेतु फसलों में विभिन्न कीटनाशकों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। वहीं, कृषि विभाग द्वारा कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान के गंगानगर जिले में गुलाबी सुंडी के सर्वेक्षण एवं प्रभावी प्रबंधन के लिए गठित निरीक्षण दल द्वारा चुनावढ सहायक कृषि अधिकारी क्षेत्र में कपास की फसलों का सघन निरीक्षण किया गया।
कृषि विभाग अजमेर के संयुक्त निदेशक शंकर लाल मीणा ने बताया कि खरीफ की फसलों में अलग-अलग स्थानों पर कीटों के प्रकोप की जानकारी मिली है। मानसून के दौरान कीटों के लिए भी अनुकूल परिस्थिति रहती है। जिसको देखते हुए विभिन्न कीटनाशकों के उपयोग करने की सलाह किसानों को दी जा रही है। वहीं, सामान्य कृषि अधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह ने फसलों में कातरा के नियंत्रण के बारे में किसानों को सुझाव दिए हैं।
पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि किसान बाजरा, ज्वार, मूंग व मूंगफली में कातरा के नियंत्रण के लिए फसल व फसल के आस-पास पनपे जंगली घास व पौधों पर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत कण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें। खेत में लट को आने से रोकने के लिए खेत के चारों तरफ खाई खोदें। इसमें क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण डालें, जिससे खाई में आने वाली लटे नष्ट हो जायें। पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्र में क्यूनालफॉस 25 ईसी 625 मिली या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें।
कृषि अधिकारी (पौध संरक्षण) मुकेश माली ने बताया कि इस समय ज्वार, बाजरा की फसल में फड़का कीट का प्रकोप देखा जाता है। फड़का कीट से भी बाजरे की खेती को काफी नुकसान होता है। पौध संरक्षण अधिकारी ने बाजरे की फसल में फड़का कीट नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से डालने की सलाह दी है। कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा द्वारा मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल एक मिली प्रति तीन लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी है। इसके अलावा, पर्ण कुंचन रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा कर नष्ट करने के लिए कहा गया है।
कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी द्वारा भी फसलों में कीट प्रबंधन के लिए कीटनाशक सुझाए गए। उन्होंने मक्का में फाल आर्मी वर्ग कीट के प्रबंधन के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करने के लिए कहा है। गोभी में डायमण्ड बैक मोथ के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 200 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। कपास में रस चूसक कीट जैसिड व सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए एक लीटर क्यूनालफॉस 25 ईसी या डायमिथेएट 30 ईसी प्रति हैक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए खेतों में फेरोमेन ट्रैप का इंस्टॉलेशन करें। 60 दिन से ऊपर की कपास फसलों में अनुशंसित कीटनाशकों के छिड़काव के लिए विभाग से विस्तृत जानकारी हासिल करें।
कृषि अधिकारी (फसल) डॉ. पुष्पा कंवर ने मूंगफली में सफेद लट के नियंत्रण के लिए 300 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ देने की सलाह दी है। कीटनाशी रसायन को सूखी बजरी या खेत की साफ मिट्टी (80 से 100 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब) से अच्छी तरह मिलाकर पौधों की जड़ों के आस-पास डालें। इसके बाद हल्की सिंचाई करें, जिससे कीटनाशी पौधों की जड़ों तक पहुंच जाए। कॉलर रॉट के नियंत्रण के लिए आगामी सीजन में बुवाई पूर्व फफूंदनाशी से बीजोपचार करें। बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मृदा उपचार करें। मूंगफली में टिक्का रोग की शुरुआती अवस्था में ही कार्बेन्डाजिम आधा ग्राम प्रति लीटर पानी या मैन्कोजेब डेढ किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में प्रकोप अधिक है, तो 10-15 दिन बाद छिड़काव पुनः दोहराएं।
गंगानगर में गुलाबी सुंडी (pink bollworm) के सर्वेक्षण तथा प्रभावी प्रबंधन हेतु गठित निरीक्षण दल द्वारा सोमवार को चुनावढ सहायक कृषि अधिकारी क्षेत्र में चक 7 जी छोटी, 9 जी छोटी, 14 जी छोटी 28 जीजी, 34 जीजी में कपास फसलों का सघन निरीक्षण किया गया। इस दौरान 9 जी छोटी में किसान राजवंत सिह के खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप आर्थिक नुकसान स्तर से अधिक पाया गया। शेष क्षेत्र के अन्य स्थानों पर कपास की फसलों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से नीचे पाया गया। इस दौरान उपस्थित किसानों को फेरोमेन ट्रैप के इंस्टॉलेशन तथा गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बता दें कि पिछले वर्ष राजस्थान में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के चलते कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ था। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा इस बार गुलाबी सुंडी की रोकथाम और इसके नियंत्रण के लिए संगोष्ठी, पंफलेट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मदद से किसानों के मध्य जागरूकता फैलाने का कार्य भी किया जा रहा है।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y