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यूरिया खाद सब्सिडी : किसानों को प्रति बोरी ₹800 का प्रोत्साहन

यूरिया खाद सब्सिडी : किसानों को प्रति बोरी ₹800 का प्रोत्साहन
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सरकार की नई पहल से खेती की लागत में आएगी कमी, किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा

अभी देश में खरीफ फसल सीजन चल रहा है और कई राज्यों में खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में किसानों को उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से किसानों को समय पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही है। 

इसी बीच, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि राज्य में जो किसान यूरिया का कम इस्तेमाल करेंगे, उन्हें सरकार की ओर से प्रति बोरी ₹800 की प्रोत्साहन राशि (सब्सिडी) दी जाएगी। इस पहल से न सिर्फ़ मिट्टी की सेहत सुधरेगी, बल्कि किसानों की खेती की लागत भी घटेगी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को खाद का संतुलित और सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है।

सीधे किसानों तक पहुंचाई जाएगी सब्सिडी (Subsidy will be directly delivered to farmers)

अमरावती में जिला कलेक्टरों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घोषणा की है कि जो किसान खेती में यूरिया का कम इस्तेमाल करेंगे, उन्हें सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री प्रणाम योजना के तहत मिलने वाली खाद सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचाई जाए, ताकि उन्हें रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रेरित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में यूरिया की कोई कमी नहीं है, लेकिन समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बेहतर योजना बनाना जरूरी है।

किसानों को टिकाऊ पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियों के लिए प्रोत्साहित करना (Encouraging farmers to adopt sustainable nutrient management practices)

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मौजूदा खरीफ सीजन के बीच किसान यूरिया खाद की किल्लत का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार ने दावा किया है कि इस पहल का उद्देश्य किसानों को यूरिया पर अत्यधिक निर्भरता से मुक्त करना है, ताकि वे ज़्यादा टिकाऊ पोषक तत्व प्रबंधन तरीकों को अपना सकें। यूरिया और रासायनिक कीटनाशकों के ज्यादा प्रयोग से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

मांग और आपूर्ति के आधार पर फसलों का चयन (Selection of crops based on demand and supply)

मुख्यमंत्री ने बताया कि चीन ने रासायनिक अवशेष पाए जाने के कारण आंध्र प्रदेश की मिर्च की खेप को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने पंजाब में कैंसर के बढ़ते मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश भी फिलहाल कैंसर मामलों में देश में पांचवें स्थान पर है। मुख्यमंत्री नायडू ने किसानों को सुझाव दिया कि वे मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखकर फसलों का चयन करें और टिकाऊ कृषि पद्धतियां अपनाएं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रायलसीमा क्षेत्र में बागवानी फसलों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है और अब अनंतपुर जिले की प्रति किसान आय कोनासीमा क्षेत्र से अधिक हो गई है।

उर्वरकों की आपूर्ति के लिए सऊदी अरब से एलटीए (LTA from Saudi Arabia for supply of fertilizers)

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, रूस-यूक्रेन और इजराइल-ईरान युद्धों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि हुई है। इन वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत सरकार ने देश में उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक व्यवस्थाओं पर ध्यान केंद्रित किया है ताकि किसानों को किसी भी कमी का सामना न करना पड़े। भारतीय उर्वरक कंपनियों और मोरक्को के एक संघ के बीच 25 लाख मीट्रिक टन डीएपी और टीएसपी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा, जुलाई 2025 में सऊदी अरब और भारतीय कंपनियों के बीच अगले पांच सालों के लिए 31 लाख मीट्रिक टन डीएपी की सालाना आपूर्ति के लिए एक दीर्घकालिक समझौते (एलटीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

राज्यों में उर्वरकों की उपलब्धता (Availability of fertilizers in states)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए मजबूत सहयोगों से भारत की लंबे समय तक की उर्वरक जरूरतों को पूरा करने और राज्यों में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिली है। इन प्रयासों के कारण, चालू खरीफ सीज़न 2025 के दौरान उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता बनी हुई है।

  1. यूरिया: 143 लाख मीट्रिक टन की जरुरत के मुकाबले, 183 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है और 155 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है।
  2. डीएपी: 45 लाख मीट्रिक टन की जरुरत के मुकाबले, 49 लाख मीट्रिक टन उपलब्ध है और 33 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हुई है।
  3. NPK: 58 लाख मीट्रिक टन की जरुरत के मुकाबले, 97 लाख मीट्रिक टन उपलब्ध है और 64.5 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हुई है। 

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