Goat Farming Training : किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि संबंधित क्षेत्र में पशुपालन को बढ़ावा दिया जाता है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं लागू कर विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से किसानों को पशुपालन प्रशिक्षण के साथ-साथ आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे में राज्य के किसानों को पशुपालन क्षेत्र में भेड़-बकरियों के पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को विभिन्न श्रेणियों में भेड़-बकरियों एवं अन्य छोटे मवेशियों के पालन करने के लिए अनुदान के साथ ही पशुपालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस बीच राज्य पशुपालन विभाग ने इटावा में उत्तर प्रदेश का पहला भेड़-बकरी प्रशिक्षण केंद्र खोला है। इस प्रशिक्षण केंद्र में निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था के साथ-साथ किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि किसानों की आय बढ़ाने और किसी भी प्रकार की कमी न हो। अगर आप भी पशुपालन शुरू करने की सोच रहे हैं, तो प्रदेश के इस भेड़-बकरी प्रशिक्षण केंद्र शिविर से फ्री प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं और भेड़-बकरियों के पालन से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
इटावा के मुख्य पशुपालन अधिकारी मनोज गुप्ता के मुताबिक, 16 अक्टूबर 2023 को प्रदेश का पहला भेड़-बकरी प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था। इस प्रशिक्षण केंद्र से अब तक 470 के करीब किसान भेड़-बकरी का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षण के लिए एक माह में चार बैच इटावा के प्रशिक्षण केंद्र सेंटर (center) में चलते हैं। प्रशिक्षण केंद्र में 19 फरवरी से नया बैच प्रारंभ होगा। इस प्रशिक्षण केंद्र में निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था के साथ-साथ किसानों को इटावा और मथुरा के प्रशिक्षण (CIRG) शिविरों में ले जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को पांच दिनों तक भोजन के लिए एक हजार रुपए जमा करना होता है, बाकी सभी कुछ नि:शुल्क यानी फ्री होता है।
मुख्य पशुपालन अधिकारी कहते हैं कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत 100 से 500 बकरी की पांच प्रकार की यूनिट लगाने पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान है। हालांकि, इसका फायदा किसानों एवं पशुपालकों को तभी मिलता है जब वो प्रदेश के मथुरा और इटावा के बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) से प्रशिक्षण लेने के बाद सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे। साथ ही जो लोग प्रशिक्षण नहीं लेंगे उनको बकरी पालन के लिए अनुदान का लाभ नहीं दिया जाएगा।
मुख्य पशुपालन अधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) के मद्देनजर सरकार ने इस योजना को 5 श्रेणियों में पशुपालकों एवं किसानों के लिए शुरू की है, जिसके तहत 100 बकरियों की यूनिट लगाने पर पांच बीजू बकरे दिए जाएंगे। इस बकरी पालन यूनिट की अनुमानित लागत लगभग 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है, जिस पर लाभार्थी को 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह 200 बकरियों एवं 10 बीजू बकरे की फार्म यूनिट लगाने पर 40 लाख रुपए की लागत पर 20 लाख रुपए अधिकतम देने का प्रावधान है। नेशनल लाइव स्टॉक मिशन (NLM) के तहत 300 बकरियों और 15 बीजू बकरे की यूनिट की परियोजना लागत 60 लाख रुपए निर्धारित की है। इस पर अधिकतम अनुदान 30 लाख रुपए पशुपालकों को दिया जाएगा। 400 बकरियों और 20 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर 80 लाख रुपए तक की लागत पर अधिकतम अनुदान 40 लाख रुपए दिया जाएगा। इसी प्रकार 500 बकरियों और 25 बीजू बकरे की परियोजना लागत 1 करोड़ रुपए पर 50 लाख रुपए तक का अधिकतम अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
अधिकारी के अनुसार, गाय और भैंस की तुलना में बकरी के दूध में अधिक पोषक तत्व होते हैं , जो स्वास्थ्य और बीमारियों से लड़ने में मददगार होते हैं और इनके मांस की डिमांड भी अधिक होती है। अगर बकरी के एक छोटे बच्चे को खरीदा जाए और 2-3 साल बाद उसे तैयार करके बेचा जाए तो इससे कई गुना मुनाफा पशुपालकों को प्राप्त होता है जो गाय और भैंस पालन में संभव नहीं है। नेशनल लाइव स्टॉक मिशन (National Live Stock Mission) के तहत प्रशिक्षण के लिए जमुनापारी, बरबरी और ब्लैक गोट बकरी नस्ल को शामिल किया गया है। एनएलएम योजना के तहत किसान अकेले या समूह में बकरी पालन की यूनिट लगाने पर अनुदान का लाभ ले सकते हैं। इस योजना के तहत एकल किसान के रूप में कोई भी पुरुष या महिला बकरी और बकरे की यूनिट के लिए आवेदन कर सकते हैं। बकरी पालन यूनिट लगाने के लिए एकल किसानों को पर्याप्त भूमि एवं अन्य जरूरी संसाधान के इंतजाम होने के प्रमाण, आवेदन के समय प्रस्तुत करने होंगे। साथ जो किसान समूह में इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे स्वयं सहायता समूह (SHG) या कृषि उत्पादक संगठन (FPO) बनाकर भी इस योजना के तहत बकरी पालन यूनिट पर अनुदान का लाभ ले सकते हैं।
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