तुलसी की खेती : कम लागत में ज्यादा मुनाफा, 20 प्रतिशत सब्सिडी भी मिलेगी
नेशनल मेडिसिन प्लांट बोर्ड से मिलती है किसानों को सब्सिडी
तुलसी को प्राकृतिक औषधि की माता कहा जाता है। आयुर्वेद में भी तुलसी को मातृ स्थान प्राप्त है। तुलसी के इतने धार्मिक सांस्कृतिक और औषधीय महत्व हैं कि इन्हें माता की उपमा देने में कोई बुराई नहीं है। कहते हैं तुलसी लक्ष्मी का रूप होती है, और वो जिनके घर होती हैं आर्थिक समृद्धि भर भर के देती हैं। इस कथन को सार्थक कर रहे हैं हमारे देश के हजारों किसान..! तुलसी के सभी महत्व को जानते हुए, इसके उपयोग को जानते हुए आगे हम तुलसी की खेती पर चर्चा करने वाले हैं।
सबसे ज्यादा कमाई वाली फसल का नाम
आधुनिक खेती में कई सारी ऐसी फसल हैं, जो किसान बाजार की मांग को देखते हुए पैदा करते हैं। इन्हीं फसलों में से एक फसल तुलसी है जिसकी मांग सालों भर बनी रहती है। तुलसी की फसल या तुलसी की खेती से किसान लाखों कमा रहे हैं।
तुलसी के प्रकार
- तुलसी तीन प्रकार के होते हैं, रामा तुलसी, कृष्णा तुलसी, और वन तुलसी।
- रामा तुलसी हरे रंग की होती है।
- कृष्णा तुलसी काले रंग की होती है, और वन तुलसी गहरे हरे रंग की होती है।
- सभी तुलसी की अपनी अपनी विशेषताएं हैं। इन्फेक्शन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तुलसी में वन तुलसी है। दिमाग से
- संबंधित कमजोरियों को कृष्णा तुलसी दूर करती है।
तुलसी का सांस्कृतिक महत्व
धर्म और संस्कृति दोनो अलग अलग होती हैं। धर्म एक विशेष समुदाय तक ही सीमित रहता है, जबकि संस्कृति उस रहन सहन और भाषा के अंतर्गत रहने वाले सभी समुदायों तक पहुंच बनाए रखता है। यही कारण है कि भारत में हिन्दू धर्म के अतिरिक्त और धर्मावलंबी भी घर में तुलसी का एक पौधा रखते हैं। ताकि किसी भी प्राथमिक उपचार में उसे काम में लाया जाए, तुलसी को समृद्धि का प्रतीक भी मानते हैं।
तुलसी का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में और आयुर्वेद मे तुलसी को सभी जड़ी बूटियों में उच्च स्थान प्राप्त है। इसके धार्मिक महत्व की बात करें, तो वो भी अतुल्य है। सनातन धर्म में तुलसी की पूजा की जाती है, सनातन धर्म के अतिरिक्त बौद्ध धर्म, जैन धर्म में भी तुलसी की पूजा का विधान है। इस प्रकार तुलसी का व्यापक धार्मिक महत्व भी है।
तुलसी का औषधीय महत्व
तुलसी का औषधीय महत्व का सिर्फ भारत तक नही पूरे विश्व तक फैलाव है, क्योंकि तुलसी के व्यापक औषधीय महत्व है। ये सैकड़ों बीमारियों में औषधि के रूप में काम आती हैं। तुलसी में एंटीप्सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, तुलसी में रोजामेरिनिक अम्ल पाए जाते हैं जो दिमाग के लिए बहुत ही फायदेमंद औषधि है।
आजकल दैनिक जीवन में एंजाइटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं। तुलसी शरीर से कोर्टिकोस्टरोन हार्मोन का स्राव करती है जिससे व्यक्ति का मूड सही रहता है। यदि कोई व्यक्ति अनिद्रा से परेशान है और अक्सर नींद की गोली लेते हैं तो उन्हें तुलसी का सेवन करना चाहिए। तुलसी गहरी नींद के साथ, ताजगी और आपको ऊर्जावान रखने में मदद करती है।
तुलसी खाने से शरीर में कॉग्निटिव फंक्शन का विकास होता है। कॉग्निटिव फंक्शन का शाब्दिक अर्थ है, कि आप एक साथ कई काम कर पाने की क्षमता हासिल करेंगे। कई प्रकार के मेमोरी लॉस जैसे शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस यानि भूलने की बीमारी में भी तुलसी का सेवन फायदेमंद है। विद्यार्थियों के लिए तुलसी रामबाण है, क्योंकि तुलसी कंसंट्रेशन यानि आपकी पढ़ाई से विषय वस्तु पर ध्यान केन्द्रन को भी बढ़ाता है। लर्निंग और प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाता है, कुल मिला कर आपकी किसी विषय वस्तु पर समझ बढ़ाता है।
मूंह के छाले में भी तुलसी असरदार है। मुंह के छाले का इलाज की औषधि में तुलसी बहुत कारगर है। इसके अतिरिक कई छोटी मोटी समस्या, जैसे गैस्ट्राइटिस, पेट मे दर्द, उल्टी होना, दस्त आना, खट्टी डकारें ये सब तो ऐसे ही समाप्त हो जाती हैं।
अपने डिटॉक्सिफिकेशन गुण की वजह से तुलसी लीवर की क्षमता का भी विकास करता है। हम दैनिक जीवन में कई प्रकार के प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड खाते होंगे, ये सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। तुलसी इन फूड के अंदर के हानिकारक अवयवों को शरीर से बाहर कर देता है। अगर ये भोजन कोई नहीं भी खाते हैं, तो पेस्टीसाइड्स और फर्टिलाइजर्स युक्त सब्जियां और फल भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। लेकिन तुलसी इनमे उपस्थित हानिकारक अवयव को शरीर से बाहर कर देता है। तुलसी शरीर मे यूरिक अम्ल का संतुलन बना कर रखती है यही वजह है कि तुलसी से किडनी को भी फायदा मिलता है। यूरिक एसिड नियत रहने से तुलसी गठिया रोग के निदान में भी सहायक है। स्टेमिना को भी बढ़ाने में तुलसी सहायक है।
तुलसी का कारोबार
तुलसी का व्यापक महत्व की वजह से इसका बाजार भी बहुत बड़ा है। 2022 तक माना जा रहा है कि तुलसी के कारोबार में करीब 1500 करोड़ रुपए तक की वृद्धि होगी। बाजार में तुलसी की भारी मांग है, इसे देखते हुए नेशनल मेडिसिन प्लांट बोर्ड ने तुलसी की खेती करने वाले किसानों के लिए 20% सब्सिडी का भी ऐलान कर चुकी है।
तुलसी के फायदे
तुलसी की 50 ग्राम की मात्रा में 2ग्राम प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। ब्यूटी प्रोडक्ट में भी तुलसी का इस्तेमाल होता है। साथ ही तुलसी बुखार , सांस की समस्या और मधुमेह और टीवी रोग की चिकित्सा के लिए भी प्रेस्क्राइब किया जाता है।
तुलसी की खेती में लागत
तुलसी की खेती अन्य फसलों के मुकाबले लागत में राहत का काम करती है। क्योंकि तुलसी की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक है। 1 हेक्टेयर जमीन में लगभग 1 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है,जिसकी कीमत 1000 रुपए प्रति किलोग्राम के लगभग है। उर्वरक की कीमत लगभग 5000 रूपए तक की लग सकती है। और अंत में 4000 रुपए कटाई का खर्च आ जायेगा। इस प्रकार कुल 10,000 रुपए की लागत में 1 हेक्टर जमीन पर तुलसी की खेती की जा सकती है।
तुलसी की खेती में मुनाफा
तुलसी के तेल की कीमत बाजार में 1000 रुपए प्रति किलो ग्राम है। 1 हेक्टेयर में 5200 से 5300 किलो तुलसी का उत्पादन किया जाता है, जिससे लगभग 150 किलोग्राम तेल निकलेगा। 150 किलोग्राम तेल यानी 1 लाख और चालीस हजार का मुनाफा। साल भर में तीन बार फसल ली जा सकती है। उत्पादन थोड़ा बहुत ऊपर नीचे रह सकता है पर इस खेती में मुनाफा अच्छा है। 1 हेक्टेयर में साढ़े तीन लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा प्रति वर्ष आराम से किया जा सकता है।
तुलसी की खेती के लिए जलवायु
तुलसी के खेती में सभी प्रकार की जलवायु उपयुक्त है। परंतु तुलसी ज्यादा सर्दी की बर्दाश्त नहीं कर पाती है। इसलिए हल्की गर्मी में रोपाई अतिउत्तम रहेगा। साथ ही खेतों में जल जमाव ना हो, इसका खास ध्यान रखें।
तुलसी के खेती के लिए मिट्टी
तुलसी की खेती सभी मिट्टी में की जा सकती है, परंतु बलुई और दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त है। जमीन को समतल करके क्यारियां अच्छे से बना लें, पानी का जमाव नही होना चाहिए। खाद के रूप में ऑर्गेनिक और केमिकल दोनो खाद का प्रयोग कर सकते हैं।
तुलसी की खेती में रोपाई
तुलसी के पौधों की रोपाई बिल्कुल धान की तरह भी की जा सकती है, पौधा तैयार करके या सिर्फ बीज से भी खेती की जा सकती है। खर पतवार और कीटनाशक का प्रयोग शुरू कर दें, क्योंकि तुलसी की फसल के लिए भी खर पतवार नाशक जरूरी है।
तुलसी के फसल की कटाई
10 से 12 सप्ताह यानि 3 महीने बाद तुलसी पौधा नीचे से पीलापन दर्शाएगी। यही उपयुक्त समय होता है, कि फसल की कटाई कर ली जाए। कटाई के बाद कुछ दिनों तक हल्का धूप में सूखने दें, ध्यान रहे हल्का ही सूखने देना है, सिर्फ हल्का मुरझा जाए। ऐसा नही करने पर तेल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। जड़ से 25 सेमी ऊपर से पौधा काटें, ऐसे में फिर से जड़ों से शाखाएं निकलेंगी और साल भर में 3 फसलें ली जा सकेंगी।
कटाई के बाद
तुलसी पत्तों को सुखाया जाता है हल्का और फिर आसवन विधि से तेल निकाला जाता है। इसके बाद तेल बिक्री के लिए तैयार हो जाता है,आप इस ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो तरीके से बेच सकते हैं। फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी ई कॉमर्स साइट के द्वारा आप इसे बेच सकते हैं। या फिर आप दवा बनाने वाली कंपनियों को सीधे बिक्री कर सकते हैं। या फिर आधुनिक तरीके से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी किया जा सकता है।
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