ट्रैक्टर / कृषि दुर्घटनाओं से बचाव के लिए किसान अपनाएं ये सावधानियां
ट्रैक्टरगुरु पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं ट्रैक्टरों के उपयोग के दौरान होने वाली कृषि दुर्घटनाओं से किसान भाई कैसे बच सकते हैं। इसके लिए किसानों को सिर्फ छोटी-छोटी इन जरुरी बातों को ध्यान में रखना होगा।
कृषि दुर्घटनाओं में हर साल 1200 करोड़ का नुकसान
एक सर्वे के अनुसार कृषि दुर्घटनाओं से प्रतिवर्ष देश को 1200 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति होती है। इन दुर्घटनाओं में 30.5 प्रतिशत कृषि मशीनों, 34.2 प्रतिशत हाथ द्वारा प्रयोग की जाने वाली मशीनों तथा 35.3 प्रतिशत अन्य जैसे सांप के काटने, कुएं में गिरने या किसी जानवर के काटने इत्यादि कारणों से होती है।
इस सर्वे के अनुसार ट्रैक्टर या ट्रैक्टर चलित मशीनों से 32 प्रतिशत, थ्रेसर से 14 प्रतिशत, जानवरों द्वारा चलित मशीनों से 22 प्रतिशत, बिजली या पंपसेट से 12 प्रतिशत, चारा मशीन से 6 प्रतिशत, स्प्रेयर से 4 प्रतिशत तथा अन्य कारणों से 2 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती है।
अधिकतर दुर्घटनाएं ट्रैक्टर के पहिए से
ट्रैक्टर का निर्माण कृषि कार्यों के लिए किया गया है। इसके प्रयोग से दुर्गम परिस्थितियों में भी अधिक कुशलता के साथ कार्य कर सकते हैं। ट्रैक्टर को उपयोग जुताई-बुवाई के साथ अन्य कार्यों जैसे कटाई, गहाई एवं ट्रॉली के साथ परिवहन आदि के लिए भी किया जाता है। अधिकतर दुर्घटनाएं ट्रैक्टर के पहिए के शरीर पर चढऩे से होती है जिसका मुख्य कारण चालक की लापरवाही होती है, साथ ही क्लच या ब्रेक फेल होना अथवा स्टीयरिंग का अनियंत्रित होना भी दुर्घटना का कारण हो सकता है।
इन सावधानियों से होगा बचाव
यदि हम ट्रैक्टर का उचित रखरखाव रखें, जिससे ब्रेक, क्लच, स्टीयरिंग फेल होने अथवा अगले पहिये का एक्सल टूटने आदि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
कंपनी द्वारा दिए गए ट्रैक्टर सूचना पत्रों के अनुसार नियमित रखरखाव समय-समय पर किया जाना चाहिए।
ट्रैक्टर की बैटरी एवं सेल्फ स्टार्टर सही रखें जिससे ट्रैक्टर को ढलान पर खड़ा करके या धक्का देकर स्टार्ट न करना पड़े। इससे भी दुर्घटना होने की संभावना होती है।
ट्रैक्टर में मशीनों को जोड़ते समय पहले बाएं ओर की लिंक (स्थिर ऊंचाई वाली) को जोड़े, इसके बाद दाएं ओर की लिंक (परिवर्तन ऊंचाई) को ऊपर से नीचे समायोजित करके मशीन से जोड़े। अंत में ऊपर वाली लिंक को आवश्यकतानुसार समायोजित करके जोड़ें।
अगर हम ट्रैक्टर को ट्रॉली से जोड़ते है तो उस समय पहले ट्रॉली को स्टैंड पर खड़ा करें तथा ट्रॉली के पहिए के आगे पीछे कुछ टेक लगा दें, जिससे जोड़ते समय ट्रॉली आगे या पीछे न जाए। स्टैंड की ऊंचाई को स्क्रू जैक से समायोजित कर पिन लगा दें। अगर ट्रॉली में स्टैंड नहीं लगा है तो उसमें स्टैंड लगवा दें।
ट्रॉली एवं टै्रक्टर का समतल जगह पर ही खड़ा करें जिससे आसानी से समायोजित करके जोड़ सकें।
ट्रैक्टर पर चालक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को न बैठने दें। चलते ट्रैक्टर पर कोई चढऩे या उतरने की कोशिश न करें।
ट्रैक्टर से जुताई करते समय या ट्रॉली पर माल ढोते समय तेज गति से न मोड़े। इससे मशीन का भार का तरफ शिफ्ट होने से ट्रैक्टर अनियंत्रित हो सकता है तथा अचानक ब्रेक का प्रयोग या अचानक आगे न बढ़ाएं। इससे टै्रक्टर के पलटने की संभावना होती है।
ढलान या चढ़ान पर कभी क्लच न दबाएं। हमेशा लो-गियर का ही प्रयोग करें तथा खेतों में या मार्ग पर चलते समय गति अनियंत्रित न होने पाएं।
खेतों में ट्रैक्टर चलाते समय डिफरेंशियल लॉक जरूर से लगा लें तथा रास्ते पर चलते समय डिफरेंशियल लॉक को खोल लें तथा ब्रेक पेडल को लॉक कर लें। क्योंकि गति अधिक होने पर मोड़ पर ट्रैक्टर पलटने की संभावना होती है।
ट्रैक्टर चालक दो पहिए वाली ट्रॉली चलाते समय अचानक साइड न दें। अचानक साइड देने से ट्रॉली का पिछला हिस्सा एक से दो फीट दूसरी तरफ भागता है जिससे पीछे वाली गाड़ी टकराने की संभावना रहती है।
ट्रैक्टर की टंकी के पास डीजल के लिए कभी भूल से भी माचिस या ज्वलनशील सामग्री का प्रयोग न करें। इससे आग लगने की संभावना होती है।
लगातार कार्य करने से थकावट के कारण नींद आने से भी कई दुर्घटनाएं हो जाती है।
अधिकतर ट्रैक्टर चालक कोई प्रशिक्षण नहीं लेते हैं तथा कई चालकों के पास तो लाइसेंस भी नहीं होता है। अत: ग्राम पंचायत या ब्लॉक स्तर पर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
यहां पर मिलता है प्रशिक्षण
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल अथवा केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण व परीक्षण संस्थान बुधनी द्वारा ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाता है। अत: ज्यादा से ज्यादा युवक इन प्रशिक्षणों में शामिल होकर कृषि दुर्घटनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
सभी कंपनियों के ट्रैक्टरों के मॉडल के लिए ट्रैक्टरगुरु वेबसाइट से जुड़े और जागरूक किसान बने रहें।