गुलाब की खेती : किसानों को बनाएगी मालामाल, देश-विदेश में भारी मांग
एक एकड़ में गुलाब की खेती से दस लाख रुपए तक की कमाई
देश के किसान अब समय के साथ खुद को बदल रहे हैं। नई पीढ़ी के किसान परंपरागत कृषि को छोडक़र खेती के नए वैकल्पिक तरीके अपना रहे हैं। देश के कई किसानों ने गुलाब की खेती से लाखों रुपए कमाकर दूसरे किसानों को नया रास्ता दिखाया है। गुलाब एक भारतीय पुष्प है। पूरे भारत में गुलाब के पौधे पाए जाते हैं।
गुलाब का वैज्ञानिक नाम रोजा हाइब्रिडा है। कई किसानों ने गुलाब की खेती से एक एकड़ में दस लाख रुपए तक की कमाई भी की है। अमूमन एक एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती से मात्र 50-60 हजार रुपए की कमाई होती है। वहीं गुलाब की खेती से कई गुना ज्यादा कमाई होती है। गुलाब को कट फ्लावर, गुलाब जल, गुलाब तेल, गुलकंद आदि के लिए उगाया जाता है। की इस पोस्ट में हम आपको गुलाब की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी देंगे।
गुलाब की खेती के लिए भूमि व जलवायु
देश में गुलाब की खेती मुख्यत: कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल ,गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्रा प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है। गुलाब की खेती उत्तर एवं दक्षिण भारत के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दियों के दिनों में की जाती है। दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम माना जाता है। गुलाब की खेती हेतु दोमट मिट्टी तथा अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिए। जिसका पी.एच. मान 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है। गुलाब जनवरी से अप्रैल के महीने तक खूब खिलता है।
गुलाब की खेती का उचित समय
देश में गुलाब की खेती का सबसे उपयुक्त समय मानसून के दिनों में जुलाई, अगस्त व सितंबर है। सितंबर-अक्टूबर में तो यह भरपूर उगाया जाता है। गुलाब लगाने की संपूर्ण विधि और प्रक्रिया अपनाई जाए तो यह फूल मार्च तक अपने सौंदर्य, सुगंध और रंगों से न केवल हमें सम्मोहित करता है बल्कि लाभ भी देता है। पौधे लगाने से एक माह पूर्व दो से तीन फुट की दूरी पर दो से ढाई फुट गहरे गड्ढे बनाएं तथा व्यास दो फुट रखें। गड्ढे में पांच किलो गोबर की खाद व 20 मि.ली. क्लोरोपाइरीफोस मिलाकर गड्ढा भरकर पानी लगा दें।
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गुलाब की उन्नत किस्में / गुलाब की खेती के लिए किस्मों का चयन
वैसे तो विश्व में गुलाब की किस्मों की संख्या लगभग 20 हजार से अधिक है, जिन्हें विशेषज्ञों ने विभिन्न वर्गों में बांटा है। गुलाब की ज्यादा पैदावार के लिए भूमि के हिसाब से किस्म का चयन करना चाहिए। मुख्य रूप से गुलाब को लगभग 6 प्रकार की प्रजातियां में बांटा जा सकता है।
- संकर प्रजातियां : क्रिमसन ग्लोरी, मिस्टर लिंकन, लवजान, अफकैनेडी, जवाहर, प्रसिडेंट, राधाकृषणन, फर्स्ट लव , पूजा, सोनिया, गंगा, टाटा सैंटानरी, आर्किड, सुपर स्टार, अमेरिकन हेरिटेज आदि।
- पॉलीएन्था : अंजनी, रश्मी, नर्तकी, प्रीत एवं स्वाती।
- फ़लोरीबंडा : बंजारन, देहली प्रिंसेज, डिम्पल, चन्द्रमा, सदाबहार, सोनोरा, नीलाम्बरी, करिश्मा सूर्यकिरण आदि।
- गैंडीफलोरा : क्वींस, मांटेजुमा आदि।
- मिनीपेचर ब्यूटी : क्रिकेट, रेड फ्लस, पुसकला, बेबीगोल्ड स्टार, सिल्वर टिप्स आदि।
- लता गुलाब : काक्लेट, ब्लैक बॉय, लैंड मार्क, पिंक मेराडोन, मेरीकलनील आदि।
अपने खेत की मिट्टी के हिसाब से सही किस्म का चयन करते समय कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
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गुलाब के पौधों का रोपण / गुलाब की खेती के लिए पौधे तैयार करना
आमतौर पर जुलाई-अगस्त में मानसून आते ही गुलाब लगाया जाता है। सितम्बर-अक्टूबर में तो यह भरपूर उगाया जाता है। गुलाब लगाने की सम्पूर्ण विधि और प्रक्रिया अपनाई जाए तो यह फूल मार्च-अप्रैल तक भरपूर पैदावार से किसानों को अच्छा मुनाफा देता है। गुलाब के पौधे कलम, इनरचिंग व लेयरिंग विधि से तैयार कर सकते हैं। कलमी पौधे तैयार करने हेतु मूलवृंत रोजा इंडिका, वर्षोनिया, ओडारोटा या रोजा मल्टीफ्लोरा से कलम लेकर 10 से 1 सेमी फासले पर मध्यम सितंबर से मध्य अक्टूबर तक लगा दें। इन कलमों पर आए फुटाव पर जनवरी-फरवरी में उन्नत किस्म के पौधे से आंख लेकर चढ़ा देनी चाहिए। आंख चढ़ाने का काम मार्च तक भी कर सकते हैं। देशी गुलाब के पौध कटिंग द्वारा तैयार किए जाते हैं।
जंगली गुलाब की कलम
इसी प्रकार जंगली गुलाब के ऊपर टी बडिंग द्वारा इसकी पौध तैयार होती है। जंगली गुलाब की कलम जून-जुलाई में क्यारियों में लगभग 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगा दी जाती है। नवंबर से दिसंबर तक इन कलम में टहनियां निकल आती है इन पर से कांटे चाकू से अलग कर दिए जाते है। जनवरी में अच्छे किस्म के गुलाब से टहनी लेकर टी आकार कालिका निकालकर कर जंगली गुलाब की ऊपर टी में लगाकर पालीथीन से कसकर बांध देते है। ज्यों-ज्यों तापमान बढ़ता है तभी इनमें टहनी निकल आती है। जुलाई अगस्त में रोपाई के लिए पौध तैयार हो जाती है।
पौधशाला से सावधानीपूर्वक पौध खोदकर सितम्बर-अक्टूबर तक उत्तर भारत में पौध की रोपाई करनी चाहिए। रोपाई करते समय ध्यान दे कि पिंडी से घास फूस हटाकर भूमि की सतह से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर पौधों की रोपाई करनी चाहिए। पौध लगाने के बाद तुरंत सिंचाई कर देना चाहिए।
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गुलाब की खेती में खाद व उर्वरक
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 20 टन गोबर की सड़ी खाद, 320 किलो यूरिया, 500 किलो सिंगिल सुपर फासफेट,128 किलो म्यूरेट पोटाश प्रति प्रति एकड़ खाद के लिए पर्याप्त रहता है। यूरिया की आधी मात्रा तथा शेष सभी खाद मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक डाल देनी चाहिए। बाकि बची यूरिया एक माह बाद डालनी चाहिए। जिंक, मैगनिशियम व मैगनीज सल्फेट में प्रत्येक का 0.3 प्रतिशत घोल नवंबर व फरवरी में छिडक़ाव करना चाहिए।
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गुलाब की खेती में सिंचाई की विधि
गुलाब की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन उत्तम होना चाहिए। यह ध्यान रखें कि जब पौधे को खेतों में लगाये, तब उसकी सिंचाई भी कर दें। आवश्यकतानुसार गर्मी के दिनों में 5-7 दिनों बाद व सर्दी के मौसम में 10-12 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में पानी का भराव नहीं होना चाहिए। इसके अलावा अगर आप गमलों में फूल उगा रहे है, तो हर साल इसके ऊपर की मिट्टी को करीब 2 से 3 इंच तक निकाल दें. इसकी जगह सड़ी हुई गोबर की देशी खाद भर दें।
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गुलाब की खेती में ध्यान देने वाली खास बातें
- बरसात के मौसम में गमलों और क्यारियों में बहुत देर तक पानी भरा न रहने दें।
- गुलाब के फूलों की ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के लिए पौधों की निराई-गुड़ाई करना जरूरी है। इसकी निराई-गुड़ाई नवंबर के बाद से शुरू कर देनी चाहिए। है। नवंबर महीने के बाद जनवरी तक 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए।
- पौधों को बार-बार पानी नहीं देना चाहिए। इससे जमीन भी कठोर होने लग जाती है। इस वजह से जड़ों तक तक वायु भी नहीं पहुंच पाती है। लेकिन निराई करने से हवा उचित मात्रा में पौधों को मिल पाती है, जिससे पौधे का अच्छा विकास होता है।
- हर 2-3 साल के बाद संपूर्ण पौधे को मिट्टी सहित नए गमले में ट्रांसफर कर दें। चाहें तो गमले की मिट्टी बदल कर ताजा मिश्रण भरें। यह प्रक्रिया सितम्बर-अक्टूबर में करें।
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गुलाब के फूलों की तुड़ाई
गुलाब के फूलों की अधखुली पंखुडिय़ों में जब ऊपर की पंखुड़ी नीचे की ओर मुडऩा शुरू हो जाए तब फूल काटना चाहिए। फूलों को काटते समय एक या दो पत्तियां टहनी पर छोड़ देना चाहिए जिससे पौधों की वहां से बढ़वार होने में कोई परेशानी न हो सके। काटने के लिए तेज धार वाले चाकू या ब्लेड का इस्तेमाल करना चाहिए। फूल को काटने के तुरंत बाद पानी से भरे बर्तन में रख दें। अब उसे कोल्ड स्टोरेज में रख दें। इसका तापमान करीब 2 से 10 डिग्री तक होना चाहिए। इसके बाद फूलों की ग्रेडिंग की जाती है, जिसे कोल्ड स्टोरेज में ही पूर्ण किया जाता है।
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गुलाब के फूलों की पैदावार और मुनाफे का गणित
गुलाब का एक पौधा लगातार पांच साल तक फूल देता है। इसके बाद दूसरा पौधा लगाना पड़ता है। इस पौधे के लिए बीज की कोई जरूरत नहीं होती। बल्कि खेत में पहले से लगे पौंधों की टहनियों को काटकर कलम कर दिया जाता है। इससे नए पौधे तैयार हो जाते हैं। इस तरह से एक बार का खर्च उठाने के बाद किसान जब तक चाहे, तब तक लाभ कमा सकता है। गुलाब की खेती करीब चार महीने में फूल देना शुरू कर देती है।
एक एकड़ जमीन मं 30 से 40 किलो या इससे ज्यादा भी फूल मिल जाते हैं। जिनका बाजार भाव 50 से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से होता है। एक पौधे से साल में लगभग 20 फूल निकलते है। इस तरह साल में एक एकड़ से लगभग 200 से 300 क्विंटल फूल प्राप्त हो सकते हैं। गुलाब की खेती से मुनाफा सीजन पर निर्भर करता है। साथ ही किसान को बाजार का ज्ञान होना चाहिए कि कहां पर उसे ज्यादा दाम मिलेंगे।
किसान भाईयों, ट्रैक्टरगुरु की इस पोस्ट में आपको गुलाब की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया गया है। ट्रैक्टरगुरु एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहां पर आपको सभी प्रमुख लोकप्रिय ट्रेक्टर ब्रांड्स और कृषि उपकरण आदि उपलब्ध हैं। आप यहां पर पुराने ट्रैक्टर व कृषि उपकरण भी बेच सकते हैं। कृषि संबंधित नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए हमेशा ट्रैक्टरगुरु के साथ बने रहें।
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