फड़का कीट नियंत्रण - अपनाएं ये आसान फॉर्मूला
फड़का कीट क्या है?
टिड्डीनुमा कीड़े को फड़का कहा जाता है, जून-जूलाई, अगस्त में फड़का शिशु अवस्था में अंडों से बाहर निकलकर पौधों पर आ जाता है। इससे बाजरे की फसल रोगग्रस्त हो रही है।
फसल पर प्रभाव
फड़का कीट खरीफ की लगभग सभी फसलों को अत्यंत भारी क्षति पहुंचाता है। यह सर्वभक्षी कीट है। कुछ समय में पौधों की पत्तियां खा जाने से सिर्फ तना बच जाता है। ऐसे में बाजरे के खेत में पौधों में सिट्टे का विकास ही नहीं हो रहा है।
फड़का का प्रकोप
इन दिनों राजस्थान के कई हिस्सों में खरीफ फसल पर फड़का कीट का प्रकोप छाया हुआ है। इससे किसानों की बाजरे की फसल को काफी नुकसान हो रहा है। जिसको लेकर किसान काफी चिंतित है।
कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी
किसानों को सलाह दी गई है कि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से अधिक होने पर कीटनाशी रसायनों का छिड़काव सुबह या शाम के समय खड़ी फसल में करें।
बचाव के उपाय
खेत की समस्त डोर मेडों पर मेलाथियान 5 प्रतिशत या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण का भुरकाव 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करे।
गहरी खाइयां खोदें
खेत के चारों तरफ 30-35 सेंटीमीटर चौड़ी एवं 60 सेंटीमीटर गहरी खाइयां खोदें। खरपतवार एवं खाइयों में क्लोरोपायरीफॉस 1.25 ली या प्रोफेनाफोस 1.25 ली. या डायक्लोरोवॉस 1 ली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।