ओल (जिमीकंद) खेती - एक बार की फसल से कमाएं 4 लाख रूपए, जानें उन्नत तरीका

ओल की खेती क्यों करें?

औषधिय गुणों के कारण जिमीकंद की मांग बाजार में मांग कभी कम नहीं होती। और इसके लम्बे समय तक खराब होने का भी ड़र नहीं होता।

खेती में एक से डेढ़़ किलो वजनी कंद का करें प्रयोग

एक से डेढ़ किलो वजनी का कंद का खेती में बीज के रूप में प्रयोग करने से सात से आठ माह उपरांत बड़े आकार का जिमीकंद उपज होती है।

जलवायु एवं भूमि का चुनाव

उपोष्णकटिबंधीय जलवायु एवं 20 से 35 डिग्री तापमान और अच्छे जल निकासी वाली बुलई दोमट मिट्टी वाले भूमि का प्रयोग करें।

बीजों की बुवाई का समय

बुवाई अप्रैल से मई के शुरू में की जाती है एवं इसकी बुवाई वानस्पतिक विधि द्वारा की जाती है।

जिमीकंद की उन्नत किस्में

ओल (जिमीकंद) की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार हैं- गजेंन्द्र, संतरा गाची, एम-15, राजेन्द्र आदि।

खाद व उर्वरक का प्रयोग

10 से 15 क्विंटल गोबर की खाद, नेत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश 80ः60ः80 किग्रा. प्रति हेक्टेयर के अनुपात में प्रयोग करें।

पैदावार और लाभ

एक हेक्टेयर खेत से लगभग 70 से 80 टन की पैदावार हो जाती है। एक बार की फसल से लगभग 4 लाख रूपएं तक की कमाई कर सकते हैं।

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