गिनी घास की खेती से बढ़ाये अपनी आय, जानें पूरी जानकारी

पशु चारे में गिनी घास का योगदान

ये बहुत तेजी से बढ़ने वाली बहुवर्षीय हरे चारे वाली घास है। हरे चारे के रूप में इस घास का महत्वपूर्ण योगदान हैं।

गिनी घास का जन्म स्थान

जन्म स्थान गिनी, अफ्रीका को बताया जाता है। और पशुओं के लिए एक स्वादिष्ट घास है।

उपयुक्त जलवायु और भूमि

गर्म जलवायु का घास पौधा है, खेती के लिए 15 से 38 डिग्री तापमान उपयुक्त माना गया है। उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि उपयुक्त है।

खेती के लिए बीज की मात्रा

इसे जड़ों,बीज और तने की कटिंग द्वारा लगाया जा सकता है। 3-4 किलोग्राम बीज या लगभग 25,000 जड़े प्रति हेक्टेयर चाहिए।

बीजों की रोपाई का समय

बीजों की रोपाई जून से जुलाई में बाना चाहिए। इसकी नर्सरी के लिए एक माह पहले बीज बो देना चाहिए।

बुवाई की विधि और दूरी

कुंड बनाकर बोना चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 50 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी रखनी चाहिए। अन्य फसलों के साथ बढ़ा भी सकते हैं।

खाद और उर्वरक की मात्रा

200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद, 80 किलो. नाईट्रोजन, 40 किलो. फोस्फोरस और 40 किलो. पोटाश तथा 40 किलो. नाईट्रोजन प्रत्येक कटाई के बाद दें

कटाई एवं हरे चारे का उत्पादन

पहली कटाई 50 से 60 दिन में एवं प्रत्येक कटाई 30 से 40 दिन में करते रहना चाहिए। प्रत्येक कटाई से 200 क्विंटल /हेक्टेयर

गिनी घास की प्रजातियाँ

बुन्देल गिनी, बुन्देल गिनी, बुन्देल गिनी, गटन, हेमिल इत्यादि प्रजातियाँ पूरे देश के लिए उपयुक्त है।

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