बांस की खेती से करें लाखों की कमाई, जानें पूरी जानकारी
बांस का सामान्य परिचय
बांस वैसे तो घास की श्रेणी में आता है। बांस जल्दी बढ़ने वाला पौध है, रोजाना औसत 1 फुट तक बढ़ता है।
भारत में 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बांस मौजूद है। भारत में इसकी खेती व्यावसायिक तौर पर सबसे ज्यादा होती है।
बांस की करीब 136 प्रजातियां है, जिनमें से बैब्यूसा अरंडिनेसी, बैंब्यूसा स्पायनोसा, बैंब्यूसा टूल्ला, बैंब्यूसा वलगैरिस, डेंड्रोकैलैमस, बैंब्यूसा नूटैंस और मैलोकेना आदि को व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल सबसे ज्यादा होती है।
बांस को खाद और कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है। बाँस का एक हेक्टेयर रोपित क्षेत्र प्रति वर्ष वातावरण से 17 टन कार्बन अवशोषित कर सकता है। बाँस के क्षेत्र मृदा के ऊपरी हिस्से के संरक्षण में सर्वाधिक कारगर हैं।
देश में बांस की खेती के प्रसार को देखते हुए सरकार ने साल 2018 में भारतीय वन अधिनियम 1927 का संशोधन करके बांस को पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया।
बांस की खेती पर मिलती है सब्सिडी
केन्द्र सरकार की ओर से ’राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरूआत की गई है, जिसके तहत किसानो को अलग-अलग तरह से सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।