बेल की खेती से संबंधित पूरी जानकारी

क्या है बेलगिरी

बेल एक औषधीय गुणों से भरपूर फल का पेड़ है। इसे बेलगिरी, बेलपत्र, बेलकाठ या कैथा के नाम से जाना जाता है।

भारत में मुख्य रूप से इसकी खेती कहां होती है?

इसकी खेती पूरे भारत में उत्तर पूर्वी राज्यों में मुख्य रूप से की जाती हैं। बेल की व्यावसायिक खेती धनबाद, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, बोकारों गढ़वा, राँची और हजारीबाग में होती है।

उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी

बेल उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है। उपजाऊ दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है।

बेल की उन्नत किस्में

पंत शिवानी, पंत अर्पणा, नरेन्द्र बेल 5, पंत उर्वशी, नरेन्द्र बले-9 और सी.आई.एस.एच.बी. 1 बेल की उन्नत किस्में है।

खेती के लिए पौध रोपाई का समय

पॉली और नेट हाउस में तैयार पौधों को जून-जूलाई माह में खेत में तैयार गड्ढों लगाया जाता है।

खाद एवं उर्वरक की मात्रा

25 किलोग्राम जैविक खाद, 50 ग्राम पोटाश, 50 ग्राम नाइट्रोजन और 25 ग्राम फास्फोरस की मात्रा प्रति गड्ढों के हिसाब से दें।

पौधों की सिंचाई

पहली सिंचाई पौध रोपाई के समय इसके अलावा गर्मियों में 8 से 10 के अंतराल में तथा सर्दियों में 15 से 20 दिन के अंतराल में करें।

बेल के पौधों से पैदावार

कलमी पौधों में 3 से 4 वर्षों में पैदावार मिलना प्रारंभ हो जाती है, बीजू पेड़ 7 से 8 वर्ष में पैदावार देते हैं। एक पेड़ 40 किलोग्राम तक पैदावार देते हैं।

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