मेंहदी की खेती की पूरी जानकारी, जानें, खेती में उत्पादन बढ़ाने का तरीका 

मेंहदी के बारे में सामान्य जानकारी

वानस्पतिक नाम लॉसोनिया इनर्मिस, इसे हिना भी कहते है। लाइर्थिएसी कुल का सदस्य है। बहुशाखीय, बहुवर्षीय एवं व्यावसायिक फसल हैं।

मेंहदी का उपयोग

‘लासोन’ नामक रंजक योगिक होता है, जो बालों एवं शारीर को रंगने एवं मेंहदी की हेज घर, कार्यालय और उद्यानों में सुन्दरता के लिए लगाते हैं।

शुष्क भूमि क्षेत्रों के लाभकारी

शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में बहुवर्षीय फसल के रूप में टिकाऊ खेती के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। 30-40 डिग्री सेंटीग्रेट में भी सक्रिय वृद्धि। 

उन्नत किस्में 

अधिकारिक तौर पर मेंहदी की कोई उन्नत किस्म विकसित नहीं हुई है। स्वस्थ, चौड़ी व घनी पत्तियों वाले देशी किस्म पौध तैयार कर फसल की रोपाई करें। 

उत्पादन

3-4 साल बाद उत्पादन देना शुरू, जो करीब 20-30 साल तक बना रहता है। सामान्य उत्पादन 15-20 क्विटल प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर।

उत्पादन क्षेत्र में प्रमुख

राजस्थान का पाली जिला इसके उत्पादन में प्रमुख हैं। जिले की 40,000 हेक्टयर के क्षेत्र में व्यावसायिक खेती की जाती हैं।

खाद एवं उर्वरक

5-8 टन सड़ी गोबर खाद प्रति हेक्टेयर एवं 60 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस खड़ी फसल में प्रति हे. की दर से प्रति वर्ष दें।

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