गाजर की खेती - भरपुर पैदावार के लिए इस विधि से करें बुवाई

बुवाई का सही समय

इसकी बुवाई रबी और खरीफ दोनों सीजन में की जाती है। रबी सीजन की बुवाई के लिए मध्य अगस्त से नवम्बर तक एवं खरीफ सीजक के लिए जून से जूलाई तक का समय उपयुक्त रहता है। 

बुवाई का तरीका

5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, बुवाई समतल क्यारियों में या डोलियों पर की जाती है। डोलियों के बीच 30 से 45 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे के बीच 6 से 8 सेंटीमीटर की दूरी रखे। 

उपयुक्त जलवायु, मिट्टी एवं तापमान

अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट अच्छी जल निकास जिसका पी.एच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। 10-25 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है। ठंडी जलवायु का पौध है।

गाजर की उन्नत किस्में 

एशियन किस्में - पूसा मेघाली, गाजर नं- 29, पूसा केशर, हिसार गेरिक, हिसार रसीली, इत्यादि। यूरोपियन किस्में -नैन्टीज, पूसा यमदागिनी और चौंटनी आदि प्रमुख हैं।

उर्वरक की मात्रा का प्रयोग

खेत तैयार करते समय 20 से 25 टन गोबर खाद प्रति हैक्टेयर। इसके अलावा 30 किलो. नाइट्रोजन, 20 किलो. फास्फोरस एवं 25 किलो. पोटाश, 30 किलो. नाइट्रोजन 3-4 सप्ताह बाद खड़ी फसल में मिट्टी चढ़ाते समय देनी चाहिए। 

पैदावार एवं लाभ

फसल को तैयार होने में 90 से 120 दिनों का समय लग जाता हैं। 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर करीब दो से तीन लाख रूपए की कमाई आसानी हो सकती है।

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