गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और बचाव के उपाय

गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग

गेहूं की फसल में धारीदार रतुआ या पीला रतुआ, भूरा रतुआ, करनाल बंट, पर्ण झुलसा या लीफ ब्लाईट, पहाड़ी बंट, काला रतुआ, पाद विगलन या फुट रांट रोगों की संभावना बनी रहती है।

गेहूं की फसल में पीता रतुआ रोग

इस रोग का प्रमुख लक्षण पत्तों का पीलापन होना और पाउडरनुमा पीला पदार्थ हाथ पर लगना है। बारिश की वजह से नमी वाले तराई क्षेत्रों में गेहूं की फसल में पीला रतुआ बीमारी की संभावना अधिक रहती है।

करनाल बट रोग के लक्षण

यह रोग कवक टिलेसिया इंडिका के कारण होता है, इस रोग का प्रमुख लक्षण दानों के अंदर काला चूर्ण बनाना और अंकुरण क्षमता कम होना है।

कंडुआ रोग के लक्षण

कंडुआ रोग के लक्षण बाली आने पर ही दिखाई देते हैं। इस रोग में पौधों की बालियों में दानों की जगह रोग जनक के रोगकंड (स्पोर्स) काले पाउडर के रूप में पाये जाते हैं।

पर्ण झुलसा रोग के लक्षण

यह रोग पौधे के सभी भागों में भूरे रंगे के नाव के आकार के छोटे धब्बों पाये जाते हैं, इस रोग का प्रकोप नम तथा गर्म जलवायु वाले उत्तर पूर्वी क्षेत्र में अधिक होता है।

तना रतुआ या काला रतुआ रोग

तना रतुआ रोग का जनक पक्सीनिया ग्रैमिनिस ट्रिटिसाई नामक कवक है। इस रोग के पनपने पर तने तथा पत्तियों पर चाकलेट रंग जैसा काला हो जाता है।

पहाड़ी बंट या हिल बंट रोग

पहाड़ी बंट रोग का जनक टिलेसिया फोइटिडा एवं टिलेसिया कैरीज नामक कवकों है। इस रोग में रोगी बालियों में दानों की जगह कवक की काले रंग की संरचनाए बन जाती है।

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