मखाने की खेती : साल में 3 से 4 लाख रूपये की होगी कमाई

कहां होती है मखाने की खेती?

खेती की शुरुआत बिहार के दरभंगा जिला से हुई। अब इसका विस्तार क्षेत्र सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज होते हुए पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हरिश्रंद्रपुर तक फैल गया है।

जलवायु एवं मिट्टी

उष्ण जलवायु, जलभराव वाली काली चिकनी मिट्टी वाले तालाब की जरूरत होती हैं।

बीज रोपण का समय

तालाब में 30 से 90 किलोग्राम स्वस्थ मखाना बीज को दिसम्बर के महीने में हाथों से बिखेर दें।

फसल पकने का समय

बीज रोपाई के बाद सितंबर-अक्टूबर माह में पानी की निचली सतह से इन्हें इकट्ठा कर निकाल लिया जाता है।

पैदावार

प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल बीजों से 40 किलोग्राम लावा प्राप्त हो जाता है।

मखाने की खेती के लाभ

इसमें प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रूपये की लागत आती है, जबकि 60 से 80 हजार रूपये की आय हो जाती है।

पोषक तत्व

मखाने में 9.7 प्रतिशत प्रोटीन, 76 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट, 12.8 प्रतिशत नमी, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.5 प्रतिशत खनिज लवण, 0.9 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं प्रति 100 ग्राम 1.4 मिलीग्राम लौह पदार्थ मौजूद होता है। इसमें औषधीय गुण भी होता है।

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