औद्योगिक तिलहन फसल अलसी - जानें, अलसी की वैज्ञानिक खेती के गुर

अलसी का उपयोग

अलसी के बीज से निकलने वाला तेल प्रायः खाने के रूप में उपयोग में नही लिया जाता है, बल्कि दवाइयाँ बनाई जाती है।

अलसी उत्पादक राज्य

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार प्रमुख अलसी उत्पादक राज्य हैं।

अलसी की खेती से पैदावार

100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। दो-उद्देशीय संचित एवं असिंचित दशा में 20 से 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त हो जाती हैं।

खेती हेतु भूमि एवं उपयुक्त जलवायु

अच्छे जल निकास वाली काली दोमट मिट्टी सामान्य पीएच मान वाली भूमि उपयुक्त होती है। तथा सम-शीतोष्ण जलवायु 15 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान

खेती के लिए बीज की मात्रा बीजोपचार

25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई से पूर्व कार्बेन्डाजिम की 2.5 से 3 ग्राम मात्रा प्रति किलो. दर से उपचारित करना चाहिए।

बीजो की रोपाई का समय

बीजों की बुवाई के लिए सिंचित जगहों पर नवंबर और असिंचित क्षेत्रो में अक्टूबर के प्रथम पखवाडे में बुवाई करें।

अलसी की उन्नत किस्में

पी के डी एल 42, जवाहर अलसी-552, जे. एल. एस. - 27, एलजी 185, जे. एल. एस. - 67, पी के डी एल 41, जवाहर अलसी - 7, आर एल - 933, आर एल 914, जवाहर 23, पूसा 2 आदि।

खाद और उर्वरक की मात्रा

8 से 10 टन गोबर की खाद, 100 किलो. नाईट्रोजन, 75 किलो. फोस्फोरस और 40 किलो. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से दे।

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