अदरक की खेती - यहां जानें अदरक की खेती का उन्नत तरीका

अदरक के क्या फायदे हैं?

अदरक में कई औषधीय गुण पाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य को काफी लाभ पहुंचाते हैं। अदरक में प्रचूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन डी, आयरन जिंक और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं।

अदरक की उन्नत किस्में

ताजा अदरक हेतु: आई.आई. एस. आर. (रजाता),महिमा, एवं रेशा तथा सुखी अदरक हेतु- रियो-डे-जिनेरियो, चाइना, मारन, थिंगपुरी, नाडिया, नारास्सपट्टानम, वायनाड, कारकल, वेनगार, आर्नड मनजार, वारडावान |

जलवायु

उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंध जलवायु अदरक की फसल के लिए अधिक उपयुक्त होता हैं। अदरक के पौधों को 20 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

भूमि

अच्छे जल निकासी वाली बलुई दोमट जिसमें अधिक मात्रा में जीवांश या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो वो भूमि सबसे ज्यादा उपयुक्त रहती हैं। भूमि का पी.एच मान 5.6 से 6 के मध्य होना चाहिए।

बीजों की मात्रा

इसके खेत की बुवाई बीजों से नहीं बल्कि इसके कंद को ही बीज के रूप में उपयोग किया जाता हैं। 20 से 25 क्विंटल प्रकन्द प्रति हेक्टेयर बीज दर पर्याप्त रहता हैं। तथा पौधों की संख्या 140000 प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती हैं।

बुआई का समय एवं बुवाई की विधि

दक्षिण भारत में अप्रैल से मई में जबकि मध्य एवं उत्तर भारत में अप्रैल से जून माह तक बुवाई की जाती हैं। इसके प्रकन्दों को 40 सेमी. के अन्तराल पर बोना चाहिये। मेड़ या नाली़ विधि से बुवाई करनी चाहिये।
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