ज्वार की खेती से किसानों को दोहरा लाभ : अनाज तथा चारा दोनों मिलेगा

भारत में ज्वार की खेती करने वाले राज्य

राजस्थान एवं पंजाब में इसकी खेती अधिक एवं बंगाल, मद्रास, बरमा में कम बोई जाती हैं।

ज्वार की खेती से लाभ

अनाज के साथ ही साथ पशु आहार के लिये कडबी (चारा) भी मिलता है।

उपयुक्त जलवायु और भूमि

गर्मी की फसल है, खेती के लिए 25 से 45 डिग्री तापमान उपयुक्त माना गया है। उचित जल निकास वाली चिकनी मिट्टी वाली भूमि उपयुक्त है।

खेती के लिए बीज की मात्रा

12 से 15 किलो. प्रति हे. कार्बण्डाजिम (बॉविस्टीन) 2 ग्राम अथवा एप्रोन 35 एस डी 6 ग्राम कवकनाशक दवाई प्रति किलो. बीज की दर से बीजोपचार

बीजो की बुवाई का समय

गर्मी की फसल है, खेती के लिए 25 से 45 डिग्री तापमान उपयुक्त माना गया है। उचित जल निकास वाली चिकनी मिट्टी वाली भूमि उपयुक्त है।

बुवाई की विधि और दूरी

ड्रिल और छिड़काव दोनों विधियों से की जाती है। कतार से कतार की दूरी 45 सेमी और बीज को 4 से 5 सेंमी. गहरा बोयें

ज्वार की उन्नत किस्में

सी एस एच 5, 16, एस पी वी 96 (आर जे 96), एस एस जी 59 -3, एम पी चरी राजस्थान चरी 1, 2, पूसा चरी 23, सी.एस.बी. 13, पी.सी.एच. 106

कटाई एवं पैदावार

बुवाई के बाद 90 से 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। औसत पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ हो जाती है।

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