सितंबर माह में खरीफ धान की फसल मुख्यतौर बढ़वार अवस्था होती है। इस दौरान तापमान में बदलाव से धान की फसलों में कई तरह के कीट रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है।
फसल में मुख्य रूप से झोंका, झुलसा और तना छेदक कीट रोग लगते हैं। इनका समय पर प्रबंधन नहीं किया जाए, तो पूरी फसल चौपट हो सकती है।
धान में झोका रोग नियंत्रण के लिए कासु बी 3% एल. 400-600 ml/एकड़ या धानुका गोडिवा सुपर (एजोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% और डाइफेनोकोनाजोल 11.4 % एससी) कवकनाशी 200 ml/ एकड़ का छिड़काव करें।
जेंथोमोनास ओराइजी नामक जीवाणु से झुलसा रोग फैलता है। रोग के प्रारंभिक लक्षण में लस्टर 37.5% एस.ई. 484 ml प्रति एकड़ या गौडीवा सुपर 29.6% एससी 200-484 ml का छिड़काव करें।
तना छेदक और ब्राउन प्लांट होपर कीट के लिए खेत में 4 फिरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं। प्रकोप अधिक होने पर करटाप दवा के 4% दाने या कार्बोफूरान के 3% दाने 10 किग्रा प्रति एकड़, बुरकाव या क्लोरपाइरिफास 20 ईसी 2 Lt पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
यह भारत में सबसे ज़्यादा उगाया जाने वाली खाद्यान्न फसल है। रोपाई जून-जुलाई माह में की जाती है। नर्सरी शुद्ध एवं स्वस्थ व उन्नत धान बीज के प्रयोग से ही तैयार करें।