चीकू की खेती : बुवाई से लेकर पैदावार तक की जानकारी

चीकू का पेड़ सदाबहार माना जाता है। इसमें फल पैदा करने वाले प्ररोह प्राकृतिक रूप से ही उचित अंतर पर पैदा होते हैं और उनके रूप एवं आकार में इतनी सुडौलता होती है कि काटछांट की जरूरत नहीं होती।
चीकू की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी कर सकते है, लेकिन उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी को चीकू के फल की पैदावार के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्‌टी का पीएच मान 5.8 से 8 के बीच का होना चाहिए।
चीकू का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला होता है। इसकी वृद्धि करने के लिए आद्र और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में चीकू का पौधा अच्छे से विकास करता है।
पीली पत्ती किस्म, पीकेएम 2 हाइब्रिड किस्म, काली पत्ती किस्म, क्रिकेट बाल किस्म, कीर्ति भारती, डीएसएच – 2 झुमकिया, पी.के.एम.1, जोनावालासा 1, बैंगलोर, पाला, द्वारापुड़ी, ढोला दीवानी और वावी वलसा किस्म।
चीकू को बीज या कटिंग विधि दोनों तरीके से उगाया जा सकता है, लेकिन कटिंग विधि से उगाए चीकू के पौधे में जल्दी फल आते हैं।
चीकू के पौधों को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। पूर्ण रूप से विकसित चीकू के पौधों को एक वर्ष में 7 से 8 बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है।
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