मक्का की खेती : बुवाई से लेकर उत्पादन तकनीक की जानकारी

भारत में मक्का का रकबा 8.50 मिलियन हेक्टेयर है। 22 से 23 मिलियन टन उत्पादन प्रति वर्ष होता है। बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा और उत्तरप्रदेश देश प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य है।
मक्का एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। विश्व के खाद्यान्न उत्पादन में इसका 25 प्रतिशत योगदान है। इसका सबसे अधिक उपयोग पशु चारे के रूप में किया जाता है। साथ ही कार्न फ्लेक्स, तेल निकालने में स्टार्च के लिए, पाप कॉर्न और शराब आदि बनाने में भी इसे काम लिया जाता है।
क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से मक्का तीसरी खाद्यान्न फसल है। सिंचाई साधनों के साथ मक्के की खेती साल भर की जा सकती है। भारत में खरीफ के मौसम में इसकी असिंचित खेती की जाती है।
पीएमएच 1-एलपी, जवाहर मक्का-8, पूसा विवेक 27 इम्प्रूव्ड, प्रकाश, जे.एच. 3189, नवज्योति, राजेन्द्र हाइब्रिड 1 और 2, सी.एच.एच. 12, जवाहर मक्का 216, पूसा हायब्रिड 1, पूसा हायब्रिड 2, शक्ति 1, गुजरात मक्का 2, एस.पी.वी -1041, शक्तिमान इत्यादि मक्के की उन्नत किस्में हैं।
मक्के की खेती के लिए अधिक वायु संचार, उत्तम पानी निकास और अच्छे जीवाश्म पदार्थ वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त है। बलुई मिट्टी से भारी चिकनी मिट्टी में इसकी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।
खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई जून के द्वितीय पखवाड़ा से लेकर जुलाई के प्रथम पखवाड़ा तक व रबी सीजन के लिए अक्टूबर से नवम्बर माह में बुवाई करनी चाहिए। जायद फसल के लिए बुआई का सही समय जनवरी से मार्च महीने तक का है। बीजों की बुवाई कतार विधि से करने पर अधिक लाभ प्राप्त होता है।
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