ककोड़ा की खेती : बुवाई से लेकर उत्पादन एवं कीमत की जानकारी
Posted - Aug 22, 2024
ककोड़ा अथवा खेखसा एक बहुवर्षीय कद्दूवर्गीय जंगली सब्जी फसल है। यह करेले से मिलता-जुलता है और इसके फल पर छोटे-छोटे कांटेदार रेशे पाए जाते है। ककोड़ा का वानस्पतिक नाम “मोमोर्डिका डियोका” है।
ककोड़ा बारिश के मौसम में जंगलों में पहाडी जमीन में, खेतों के मेड़ों पर, बीहड़ चारागाह भूमि में स्वयं ही उगते है। हालांकि, अभी इसकी खेती देश के कुछ क्षेत्र में की जा रही है।
ककोड़ा स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी बताया गया है। यह जंगली सब्जी कफ, खांसी, अरूचि, वात, पित्तनाशक और हृदय में होने वाले दर्द से राहत दिलाती है।
ककोड़ा की पैदावार का बाजार भाव 100-150 रुपए किलो के बीच होता है। जैसे ही मानसून सीजन शुरू होता है, बाजार में ककोड़ा मिलना शुरू हो जाता है।
ककोड़ा की उन्नत फेमस किस्मों में इंदिरा कंकोड़ा-1, अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 शामिल हैं। यह इन प्रजातियों में अंकुरण क्षमता 70-80 प्रतिशत है। इसकी ’नर और ’मादा’ बेल अलग-अलग होती हैं।
ककोड़ा की बुवाई जुलाई महीने के अंत तक की जा सकती है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से इसके बीज प्राप्त कर सकते हैं। खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 5 से 10 किलो बीज की आवश्यता होती है। ककोड़ा की बुवाई क्यारी या गड्ढों में की जाती है।